दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है सरकार से नाराज हजारों भूमिहीनों का काफिला
गाँव कनेक्शन 3 Oct 2018 7:29 AM GMT
अलग-अलग राज्यों से मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पहुंचे हजारों भूमिहीनों ने 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 2019 के लोकसभा चुनावों में नतीजे भुगतने को तैयार रहे। ग्वालियर के मेला मैदान में जमा ये भूमिहीन स्वयंसेवी संगठन एकता परिषद की अगुआई में 4 अक्टूबर को यहां से राजधानी दिल्ली के लिए पैदल कूच करेंगे। इससे पहले भी दो बार पिछली सरकारों के साथ आंदोलनकारियों के लिखित समझौते हो चुके हैं लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस बात से नाराज भूमिहीन आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं।
ग्वालियर में एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी पी.वी. राजगोपाल के आह्वान पर मौजूद लोगों ने दोहराया कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आने वाले चुनाव में केंद्र में मोदी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनेगी। राजगोपाल का कहना था, "अपना हक पाने के लिए अपनी ताकत अहसास कराना जरूरी हो गया है। केंद्र सरकार से गरीबों और वंचितों को उनका हक दिलाने की बातचीत चल रही है। अगर इन मांगों को नहीं माना जाता है तो इस वर्ग को अगले चुनावों में अपनी ताकत दिखानी होगी।"
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जनांदोलन को अपना समर्थन देने आए जलपुरुष के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह का कहना था, "वर्तमान दौर में सरकारें जनता के लिए नहीं उद्योगपतियों के लिए काम करती हैं। देश में जल, जंगल और जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होता जा रहा है।" इस आंदोलन में हिस्सा लेने आए गांधीवादी सुब्बा राव और भाजपा सांसद अनूप मिश्रा ने आजादी के सात दशक बाद भी लोगों को छत न मिलने और जमीन न होने का जिक्र किया।
एकता परिषद का यह आंदोलन पांच मांगों को लेकर है। ये मांगें आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून, जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालय बनाए जाने, राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून-2005 व पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाए जाने को लेकर हैं।
"Our votes are what makes a politician. Our numbers are our strength. Our land is our freedom."
— Ekta Parishad (@Ekta_Parishad) October 3, 2018
Aruna Roy addresses the satyagrahis who have assembled in Gwalior to start their nonviolent march for land reforms towards Delhi tomorrow. #JanAndolan2018 #LandlessMarchToDelhi pic.twitter.com/if8jUa0ShL
एकता परिषद दूसरे सामाजिक संगठनों के साथ भूमिहीनों के हित में कई बार आंदोलन कर चुका है। वर्ष 2007 में जनादेश और 2012 में जन सत्याग्रह के दौरान केंद्र सरकार के साथ इन सामाजिक संगठनों के लिखित समझौते हुए हैं मगर उन पर अब तक न तो अमल हुआ और न ही कानून बने हैं। सरकार के इस रवैये पर सत्याग्रहियों में काफी नाराजगी है। ये लोग 3 अक्टूबर तक ग्वालियर में विचार मंथन करने के बाद 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
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