कर्नाटक में सड़क पर उतरे हजारों प्रवासी मजदूर, तुरंत ट्रेनों से घर भेजे जाने की उठाई मांग

एक दिन पहले 'गाँव कनेक्शन' ने इस मुद्दे पर कर्नाटक में फँसे मजदूरों की आवाज उठाई थी और घर वापसी के लिए राज्य सरकार के खिलाफ प्रवासी मजदूरों द्वारा आंदोलन करने की तैयारियों के बारे में पहले ही आगाह किया था।

Kushal MishraKushal Mishra   8 May 2020 7:15 AM GMT

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कर्नाटक में सड़क पर उतरे हजारों प्रवासी मजदूर, तुरंत ट्रेनों से घर भेजे जाने की उठाई मांगकर्नाटक के मंगलोर स्थित सेंट्रल रेलवे स्टेशन में कर्नाटक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते प्रवासी मजदूर।

खिरकार कर्नाटक में बड़ी संख्या में फँसे प्रवासी मजदूर घर वापसी की अपनी मांग को लेकर कर्नाटक सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आये। ये सभी घर जाने के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं। हालाँकि इससे पहले कर्नाटक सरकार ने सात मई की शाम श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रद्द करने का फैसला वापस ले लिया था।

एक दिन पहले 'गाँव कनेक्शन' ने इस मुद्दे पर कर्नाटक में फँसे मजदूरों की आवाज उठाई थी और घर वापसी के लिए राज्य सरकार के खिलाफ प्रवासी मजदूरों द्वारा आंदोलन करने की तैयारियों के बारे में पहले ही आगाह किया था।

ट्रेनें दोबारा शुरू करने का फैसला लेने के बाद भी शुक्रवार सुबह (08 मई) ये प्रवासी मजदूर करीब दो हज़ार की तादाद में कर्नाटक के मंगलोर स्थित सेंट्रल रेलवे स्टेशन में पहुँच गए और राज्य सरकार से उन्हें घर भेजे जाने की मांग कर रहे हैं।

मंगलोर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर घर वापसी के लिए आज ही ट्रेनों का इंतजाम करने की मांग करते प्रवासी मजदूर

मंगलोर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन में प्रदर्शन कर रहे झारखण्ड के मजदूर सरताज अंसारी बताते हैं, "हम सभी की लोगों की मांग है कि सरकार हम लोगों की घर वापसी के लिए आज ही ट्रेनों का इंतजाम करे और हम लोगों को घर वापस भेजा जाए।"

यह भी पढ़ें : कर्नाटक सरकार दोबारा शुरू करेगी श्रमिक ट्रेन, सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में थे प्रवासी मजदूर

सरताज कहते हैं, "जब सब राज्यों में प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घर ट्रेनों से भेजा जा रहा है तो कर्नाटक सरकार क्यों हम लोगों को गुलाम बनाकर रखना चाहती है। हमारी मांग है कि हम लोगों की घर वापसी के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएँ।"

ये सभी मजदूर बड़ी संख्या में सुबह तीन बजे सेंट्रल रेलवे स्टेशन के लिए निकले थे। सरताज के मुताबिक सभी ने इस विरोध प्रदर्शन में सोशल डिसटंसिंग का पूरा ख्याल रखा है और एक मीटर की दूरी बनाकर सड़कों पर निकले हैं। इस रैली में झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं।

प्रदर्शन में शामिल झारखण्ड के एक मजदूर नौशाद आलम बताते हैं, "सरकार के फैसला वापस लेने के बारे में हमें मालूम था, मगर हम लोग बहुत परेशान हो चुके हैं और अब यहाँ बिल्कुल भी नहीं रुकना चाहते हैं, इस प्रदर्शन के जरिये हमारी मांग है कि हमारे लिए तुरंत ट्रेनों का इंतजाम किया जाए और बस हमें घर जाने दिया जाये।"

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मंगलोर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन में इतनी बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों की संख्या देखने के बाद रेलवे अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूल गए। ये सभी मजदूर रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर बैठकर घर वापसी के लिए मांग करते रहे।

हालाँकि दोपहर बाद रेलवे अधिकारियों ने प्रदर्शन मजदूरों को समझा बुझाकर शांत कराया और दो दिन में ट्रेनों से घर वापसी करने का आश्वासन दिया। आश्वासन मिलने के बाद प्रवासी मजदूर ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया और पुलिस ने बसों के जरिये इन्हें वापस इनके इलाकों में भेजने की व्यवस्था की।

प्रदर्शन में शामिल बिहार के एक और मजदूर विकास कुमार ने बताया, "हम लोगों को अधिकारियों की ओर से दो दिन का आश्वासन मिला है और हमने इसे माना भी है, अगर सरकार ट्रेनों की व्यवस्था नहीं करती है तो हम फिर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।"


    

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