छत्तीसगढ़ में दूसरे दिन भी पहाड़ बचाने के लिए डटे रहे हजारों आदिवासी

Mangal KunjamMangal Kunjam   8 Jun 2019 12:00 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
छत्तीसगढ़ में दूसरे दिन भी पहाड़ बचाने के लिए डटे रहे हजारों आदिवासी

मंगल कुंजाम, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) अपने देवता के पहाड़ पर खनन रोकने के लिए दूसरे दिन भी हजारों की संख्या में आदिवासी डटे रहे।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पर्वत श्रृंखला के नंदराज पहाड़ी पर विराजे अपने देवता को बचाने के लिए ये आदिवासी अडानी ग्रुप और सरकार से भिड़ने को तैयार हैं। पांच हजार से भी ज्यादा संख्या में बीजापुर, दन्तेवाड़ा, सुकमा जिले से दो दिनों में पचास किमी. का पैदल सफर करके एनएमडीसी किरंदुल परियोजना के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं।

आदिवासियों कहना है कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने 'डिपाजिट 13' अडानी समूह को सौंप दिया है। जबकि इस पहाड़ में उनके इष्ट देवता प्राकृतिक गुरु नन्द राज की धर्म पत्नी पितोड़ रानी विराजमान हैं। यह आंदोलन संयुक्त पंचायत समिति के बैनर तले किया जा रहा है।


छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला क्षेत्र में एक पहाड़ी का खनन किए जाने का आदिवासी विरोध कर रहे हैं। इलाके के आदिवासियों की मान्यता है कि इस पहाड़ी में उनके इष्ट देवता की पत्नी विराजमान हैं। इस पहाड़ी में लौह अयस्क का भंडार है, माओवादियों ने भी आदिवासियों के विरोध और आंदोलन का समर्थन किया है और इस संबंध में बैनर पोस्टर लगाया है। दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी शुक्रवार तड़के से किरंदुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के खदान के सामने धरने पर बैठे हुए हैं।

इस दौरान आदिवासी अपनी चीत-परिचित व्यवहार (रेला, पाटा गीत/नृत्य) से दूनिया को जैसे संदेश दे रहे है। वे गीत के माध्यम से विरोध कर रहे हैं-

गांव छोड़ब नहीं ।।

जंगल छोड़व नहीं ।।

माय माटी छोड़ब नही, लड़ाई छोड़ब नही ।।


   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.