प्रशासन की चुस्ती और मौसम विभाग की चक्रवात प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से बची हजारों की जान
वर्ष 1999 में आए सुपर साइक्लोन तूफान ने करीब 10 हजार लोगों की जान ले ली थी, फोनी चक्रवात को लेकर पहले की तैयारियों की संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारत सरकार की तारीफ की है
Chandrakant Mishra 4 May 2019 12:47 PM GMT
लखनऊ। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के बेहतर वॉर्निंग सिस्टम और प्रदेश सरकार की युद्ध स्तर की तैयारियों के चलते ओडिशा में हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी। ओडिशा ने शुक्रवार को आए भीषण तूफान फोनी करीब 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। वर्ष 1999 में आए भीषण तूफान ने करीब 10 हजार लोगों की जान ले ली थी। लेकिन इस बार आईएमडी के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल (रीजनल हूरिकेन मॉडल) से पहले मिली सूचना से जान-माल को नुकसान होने से पहले बचा लिया गया।
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आईएमडी के महानिदेशक केजे रमेश ने गाँव कनेक्शन को बताया, " हमारे देश में चक्रवात के पूर्वानुमान तकनीकि सिस्टम है उसमें हम लोगों ने काफी सुधार कर लिया है। उसी का परिणाम है कि हम लोगों ने समय रहते को को चक्रवात से सचेत कर दिया। समुंद्र में जहां पर साइक्लोन बनता है हम लोगों को उस निश्चित स्थान के बारे में जानकारी चल जाती है। समुंद्र में इस बारें में पता तो लगाया नहीं जा सकता, इसलिए सेटेलाइट के माध्यम से हम इसके बारे में पता कर लेते हैं।
बंगाल की खाड़ी में भी हमारे सेटेलाइट लगे हुए हैं जो सटीक जानकारी मुहैया कराते रहते हैं। इस क्षेत्र में हम लोगों ने काफी काम कर लिया है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। हम लोग चक्रवात प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (साइक्लोन अर्ली वॉर्निंग सिस्टम) में और सुधार करने के प्रयास में हैं। "
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस) के सेक्रेटरी माधवन राजीवन ने ट्विट कर कहा, 'यह आईएमडी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस बड़े संकट को टालने के लिए मैंने इसके महानिदेशक केजे रमेश को बधाई नोट लिखा है। विभाग ने अन्य मौजूदा मॉडलों के अलावा अपने क्षेत्रीय तूफान मॉडल (रीजनल हूरिकेन मॉडल) का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।"
Early indications are that accuracy of early warnings from @Indiametdept & effective evacuation of 1.1 million people in Odisha have saved many lives as #CycloneFani weakens but remains a threat as it moves slowly inland. No storm surge reported as yet. @ndmaindia #GP2019Geneva pic.twitter.com/gaPj91MjFI
— UNDRR (@unisdr) May 3, 2019
चक्रवाती तूफान फोनी से ओडिशा में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है। तूफान के दस्तक देने के एक दिन बाद शनिवार को राज्य के लगभग 10,000 गांवों और शहरी क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया। 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे इस अत्यंत भयंकर चक्रवाती तूफान की वजह से शुक्रवार को पूरी में तेज बारिश और आंधी आयी। तूफान के कमजोर पड़ने और पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने से पहले इसकी चपेट में आये कस्बों और गांवों में बहुत से घरों की छतें उड़ गयीं और कई घर पूरी तरह से बर्बाद हो गये।
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मयूरभंज जिले के आपात अधिकारी एसके पति ने पत्रकारों को बताया, " बारी पदा में अलग-अलग स्थानों पर पेड़ गिरने से चार लोगों की मौत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की और तटीय राज्य में चक्रवात आने के बाद की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया कि केंद्र की तरफ से राज्य को लगातार सहायता मिलती रहेगी।"
Advisory distributed by @ndmaindia and local authorities days before #CycloneFaniUpdates made landfall in effort to minimize loss if life and injury #GP2019Geneva #ResilienceForAll #CycloneFani pic.twitter.com/5q2w2QBNkS
— UNDRR (@unisdr) May 3, 2019
केजे रमेश ने बताया, " वर्ष 2013 में फैलिन और 2014 में आए हुदहुद तूफान के दौरान भी हम लोगों ने काफी काम किया था। हम लोगों ने चक्रवात का पूर्वानुमान लगाकर केंद्रीय एजेंसियां और राज्य सरकार की मदद से बड़े पैमाने पर निकासी का प्रबंधन का काम किया था। इस बार हम तकनीक रूप से आर सक्षम हो गए हैं, जिसका परिणाम है कि हम लोगों ने करीब 11 लाख लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया।" रमेश ने आगे बताया।
आईएमडी के साथ-साथ राज्य सरकार भी इस बार काफी सक्रिय नजर आई। चूंकि ओडिशा में अक्सर इस तरह के चक्रवात आते रहते हैं ऐसे में राज्य सरकार का प्रबंधन तंत्र काफी मजबूत हो चुका है। वे इस तरह के चक्रवात का सामना करने में सक्षम हो चुके हैं। ओडिशा में फोनी तूफान के आने से पहले ही स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और एनडीआरएफ की टीमें सक्रिय हो गई थीं।
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एनडीआरएफ किसी भी अनहोने से निपटने के लिए 65 टीमें बना रखी थीं। इस टीम के लोगों ने मात्र तीन दिन के अंदर 11.5 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। नौसेना ने राहत कार्यों के लिए 6 जहाजों को तैनात किया था और मेडिकल और डाइविंग टीम अलर्ट पर थीं। वहीं वायुसेना ने दो सी -17, दो सी -130 और चार एएन-32 को स्टैंडबाय पर रखा था।
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