सीतापुर में एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों की सर्पदंश से मौत

सुबह अपने तीनों बच्चों को लेकर परिजन अस्पताल गए, मगर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिलाधिकारी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए परिवार की हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

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सीतापुर में एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों की सर्पदंश से मौतअपने तीनों बच्चों को खोने के बाद घर के बाहर रखे उनके शव देखकर बिलख-बिलख कर रोटी माँ रिंकी देवी। फोटो : गाँव कनेक्शन

सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में सात अगस्त को एक ग्रामीण परिवार के साथ बेहद दुखदायी घटना घटी। घर में रात को एक साथ सो रहे तीन सगे भाइयों को सांप ने डस लिया और तीनों भाइयों की सर्पदंश से मौत हो गई।

जिले के थाना सदरपुर इलाके के ग्राम पिपरी मजरे पिपराकलां में यह घटना सामने आई। सुबह गाँव में यह खबर फैलते ही कोहराम मच गया।

घटना की सूचना पर एसडीएम और पुलिस ने घटना स्थल का मुआयना किया, वहीँ पूरे मामले पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी ने परिवार को हर सम्भव आर्थिक सहायता पहुँचाने की बात कही।

इस गाँव में रहने वाले सुनील कुमार के तीन बच्चे थे। गुरुवार यानी छह अगस्त की रात सुनील की पत्नी रिंकी देवी तीनों बच्चों के साथ घर में जमीन पर सोई हुई थी। आचानक रात में परिवार के लिए काल बनकर आए जहरीले सर्प ने उसके तीनों बच्चों को डस लिया।

सर्प के काटने से शानू (10 वर्ष), पवन (06 वर्ष), अंश (03 वर्ष) बेहोश हो गए। आनन-फानन में सुनील और रिंकी अपने तीनों बच्चों को लेकर सीएचसी बिसवां पहुंचे जहां चिकित्सकों ने परीक्षण के दौरान सबसे छोटे बेटे अंश को मृत घोषित कर दिया, जबकि अन्य दोनों बच्चों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

जिला अस्पताल न जाकर परिजन दोनों बच्चों को लेकर महमूदाबाद के एक निजी चिकित्सालय में गए, जहां चिकित्सक ने देखते ही दोनों बच्चों को भी मृत घोषित कर दिया।

इस पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, "मौके पर एसडीएम और लेखपाल से जाँच कराई गई है, हम पीड़ित परिवार की हर सम्भव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।"

इस दुखदायी घटना के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में हर साल सर्पदंश से लगभग एक लाख लोग मारे जाते हैं। इनमें से आधी मौतें यानी करीब 50 हजार लोगों की मौत अकेले भारत में होती हैं। एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इनमें से 97 प्रतिशत मौतें ग्रामीण इलाकों में होती हैं।

भारत में मौत के ये आंकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि आज भी भारत में सांप के काटने के बाद लोग अस्पताल की जगह झाड़-फूंक कराने भागते हैं। सांप का जहर तेज असर करता है और मरीज के परिजनों को अपनी गलती सुधारने का मौका नहीं मिलता। ये मौतें कहीं दर्ज नहीं हो पातीं।

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