छत्तीसगढ़ में लंबे समय से तैनाती से थक रहे जवान

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छत्तीसगढ़ में लंबे समय से तैनाती से थक रहे  जवानफाइल फोटो 

नई दिल्ली (भाषा)। अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा में लंबे समय से तैनात सीआरपीएफ के जवानों में थकावट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

सुकमा में नक्सलियों के हमले में 25 जवानों के मारे जाने की घटना के बाद घटनास्थल पहुंचे गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने पाया कि बस्तर क्षेत्र में उच्च जोखिम वाले नक्सल विरोधी अभियान चलाने वाले अर्धसैनिक बल के 45 हजार जवानों में से अधिकतर जवान वहां तीन वर्षों से भी ज्यादा वक्त से तैनात हैं।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जवानों में थकान के लक्षण दिखाई दिए हैं क्योंकि इनमें से बहुत से जवान सुकमा में पिछले पांच वर्षों से तैनात हैं जबकि समान्यतया उन्हें वहां तीन वर्ष तक ही होना चाहिए।''

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लंबे समय से तैनात रहने के कारण उनके उत्साह में कमी आई है। लगातार बस्तर में तैनात रहना बेहद तनावपूर्ण है और यही कारण है कि जवान अन्य कहीं भी नक्सल विरोधी अभियान में जाने को तरजीह देते हैं। जवान कश्मीर तक जाना पसंद कर रहे हैं जहां सुरक्षाबलों को लगातार आतंकवादी हमलों और पथराव की घटना का सामना करना पड़ता है।

जवानों में थकान के लक्षण दिखाई दिए हैं क्योंकि इनमें से बहुत से जवान सुकमा में पिछले पांच वर्षों से तैनात हैं जबकि समान्यतया उन्हें वहां तीन वर्ष तक ही होना चाहिए।
एक अधिकारी

अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष अभी तक 32 नक्सली मारे गए हैं वहीं सीआरपीएफ के 38 जवानों की जानें गई हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि माना जाता है कि सोमवार को नक्सलियों ने जिन सौ शक्तिशाली जवानों पर हमला किया था वह पर्याप्त रूप से सतर्क नहीं थे, जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ।

सीआरपीएफ

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नक्सल विरोधी अभियानों के लिए जरुरी साजो सामान और आधारभूत ढांचा मुहैया करा कर जवानों का मनोबल बढाने का प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ में जवानों के पास 58 बारूदी सुरंग रक्षक वाहन हैं। इसके अलावा 30 वाहनों की खरीद की जानी है। बस्तर क्षेत्र में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कम से कम 45 हजार और राज्य पुलिस के 20 हजार जवान तैनात किए गए हैं।

        

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