आखिरी सांस तक संगीत बजा रहे थे टाइटैनिक के म्यूजीशियन
Anusha Mishra 15 April 2017 11:17 AM GMT
लखनऊ। 15 अप्रैल 1912 वह दिन था जब दुनिया का सबसे आलीशान जहाज टाइटैनिक समुद्र में डूब गया था। टाइटैनिक जहाज में यात्रियों का मनोरंजन करने के लिए आठ म्यूजीशियन थे जो अलग-अलग वाद्य यंत्र बजाते थे। टाइटैनिक के आगाज से लेकर इसके अंत तक की कहानी जितनी रोचक है उतनी ही रोचक है जितनी इसके संगीतकारों के जज्बे की कहानी।
दरअसल, 14 अप्रैल 1912 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर जब टाइटैनिक जहाज विशाल हिमखंड से टकराया तब इसके दाहिने किनारे के पांच कंपार्टमेंट में पानी भरना शुरू हो गया और जहाज डूबने लगा। इस घटना से जहाज में सवार यात्री इतना घबरा गए कि उनमें हाहाकार मच गया लेकिन संगीतकारों ने अपना धैर्य नहीं खोया और यात्रियों को शांत रखने के लिए अपनी आखिरी सांस तक संगीत बजाते रहे। ये आठो कलाकार संगीत बजाते बजाते ही जहाज के साथ समुद्र में डूब गए।
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आरएमएस टाइटैनिक के विकीपीडिया पेज के अनुसार, इन आठ कलाकारों की दो टुकड़ियां थीं। एक टुकड़ी में तीन सदस्य थे और दूसरी टुकड़ी में पांच सदस्य थे। ये म्यूजीशियन जहाज में पेरोल पर नहीं रखे गए थे बल्कि ब्रिटिश कंपनी लिवरपूल ने सीडब्ल्यू और एफएन ब्लैक फर्म से कॉन्ट्रैक्ट पर हायर किया था। ये म्यूजीशियन जहाज में सेकेंड क्लास यात्रियों की तरह सफर कर रहे थे।
संगीतकारों में शामिल थियोडोर रोनाल्ड ब्रेली पिआनो बजाते थे, रोजर ब्राइकॉक्स, पर्सी कॉनेलियस टेलर और जॉन वेस्ली वुडवर्ड सेलो बजाते थे, वैलेस हार्टले (बैंड मास्टर), जॉन लॉ ह्यूम और जॉर्ज एलेक्जेंडर क्रिन्स वायलन बजाते थे, जॉन फ्रेड्रिक क्लॉर्क बास इंस्ट्रूमेंट बजाते थे।
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