आज के ही दिन भारत ने पहला उपग्रह आर्यभट्ट किया था लांच
Divendra Singh 19 April 2018 2:31 PM GMT
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को आज एक महाशक्ति के रूप में देखा जाता है और बहुत से देश कम लागत में अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए भारत पर निर्भर करते हैं। देश के अंतरिक्ष के इस सफर में आज, 19 अप्रैल का खास महत्व है। दरअसल यही वह दिन है जब भारत रूस की मदद से अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च कर अंतरिक्ष युग में दाखिल हुआ।
यह भारत का पहला वैज्ञानिक उपग्रह था। देश के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट को यह नाम इंदिरा गांधी ने महान खगोलविद और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा था।
17 साल बाद 11 फरवरी 1992 में इसने दोबारा पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश किया। जीसैट-6 ए से दोबारा संपर्क जोड़ने की कोशिशें कर रहा है इसरो। 360 किलोग्राम वजनी आर्यभट्ट को सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था।
इस उपग्रह को लेकर सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि उपग्रह के लिए एक शौचालय का कायाकल्प किया गया और वहां इसका काम चला। इस उपग्रह को पीन्या में तैयार किया गया था, लेकिन इसका प्रक्षेपण सोवियत यूनियन की सहायता से कॉस्मॉस-3 एच से किया गया था। इसके एवज में 1972 में इसरो के वैज्ञानिक यूआर राव ने सोवियत संघ रूस के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया था, जिसके अनुसार सोवियत संघ रूस भारतीय बंदरगाहों का इस्तेमाल जहाजों को ट्रैक करने के लिए कर सकता था. इस उपग्रह के जरिये ही इसरो ने अंतरिक्ष में संचालन का अनुभव प्राप्त किया था।
1975 से शुरू हुए अंतरिक्ष अनुसंधान के इस सफर में आज भारत इतना आगे निकल चुका है कि न सिर्फ वह तीन टन से भी अधिक वजन वाले अपने दूरसंचार उपग्रह छोड़ने की काबिलियत अर्जित कर चुका है, बल्कि चंद्रमा और मंगल ग्रह तक अपने उपग्रह भेजने लगा है। 2014 में अंतरिक्ष में भेजा गया मंगल यान भी इसरो के लिए एक अविस्मरीणय और महान उपलब्धि रही है।
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