देश भर के मजदूर संगठन जनवरी में करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
देश भर के मजदूर संगठन जनवरी में करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल

दस केंद्रीय श्रमिक संघों, स्वतंत्र महासंघों और संगठनों ने शुक्रवार को दिल्ली में श्रमिकों के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। ऐसा करके इन संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लंबे समय से चला आ रहा अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। दिल्ली में यह सम्मेलन मावलंकर हॉल में आयोजित किया गया। ये संगठन 8-9 जनवरी 2019 को एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन करने का ऐलान कर चुके हैं।


देश के भर के तमाम श्रमिक संगठनों ने इस आयोजन के जरिए 8 अगस्त 2017 को तालकटोरा स्टेडियम में संपन्न हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में लिए गए फैसलों को आगे बढ़ाया। ये संगठन मजदूरों, उनकी ट्रेड यूनियनों और श्रमिक अधिकारों पर सरकार के हमलों, मजदूर विरोधी और नियोक्ता समर्थक नियमों, मौजूदा श्रमिक कानूनों व अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के समझौतों के उल्लंघन का विरोध करने के लिए एकजुट हुए थे।

यह भी देखें: हरियाणा के रेवाड़ी जिले से शुरू हुई स्वराज यात्रा, देखिए वीडियो

इनकी प्रमुख मांगे थी कि जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने के खिलाफ सरकार ठोस कदम उठाए, नए रोजगार के अवसरों का सृजन करे, 18 हजार रुपए प्रतिमाह न्यूनतम मजदूरी और सभी के लिए न्यूनतम 6 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था करे, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयर बेचने के सभी प्रयास बंद किए जाएं और आउटसोर्सिंग और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए पूर्ण निजीकरण की कोशिशें रोकी जाएं व सभी को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज मुहैया कराई जाए।

यह भी देखें: 'सरकारी कर्मचारी हड़ताल करता है तो उसकी तनख्वाह बढ़ जाती है, लेकिन किसानों की सुनने वाला कोई नहीं'

श्रमिक संघों का आरोप है कि केंद्र सरकार न केवल कामकाजी वर्ग की वाजिब मांगों को अनदेखा कर रही है बल्कि वह मजदूरों, कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों के खिलाफ और आक्रामक हो रही है। राष्ट्रीय महासम्मेलन में शामिल संगठनों का कहना है कि देश में बेरोजगारी की स्थिति दिनोंदिन भयानक होती जा रही है। उद्योगों के बंद होने से और आईटी सेक्टर में रोजगार की भारी कटौती की आशंका से हालात बद से बदतर हो रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थों व आवश्यक सेवाओं जैसे सार्वजनिक परिवहन, बिजली, दवाओं इत्यादि की कीमतों में बढ़ोतरी से देश की जनता के रोजमर्रा के जीवन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। जल्दबाजी में लगाए जीएसटी ने इन मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। जरूरी और जीवन रक्षक दवाओं पर भी भारी जीएसटी लगाया गया है। सामाजिक क्षेत्र और सरकारी कल्याण योजनाओं में सरकारी खर्च पर जबर्दस्त कटौती ने मजदूरों की स्थिति अनिश्चित बना दी है, खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की।

श्रमिकों के राष्ट्रीय सम्मेलन ने निकट भविष्य में अपने कार्यक्रम इस प्रकार तय किए हैं। अक्टूबर / नवंबर 2018 के दौरान आयोजित प्रदेश स्तर, जिला स्तर और उद्योग / क्षेत्र स्तर के संयुक्त सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। नवंबर और दिसंबर के दौरान संयुक्त उद्योग स्तरीय गेट मीटिंग्स, रैलियों आदि होंगे। 17-22 दिसंबर 2018 के दौरान प्रदर्शन के साथ संयुक्त रूप से हड़ताल का नोटिस जमा किया जाएगा। 8 और 9 जनवरी 2019 को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल आयोजित की जाएगी।

यह भी देखें: तो क्या चुनावी मुद्दा और राजनीति का केंद्र बनेंगे किसान ?

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.