स्‍वच्‍छता की रेस में आगे बढ़ने के लिए पेड़ों को किया पेंट, वन विभाग ने लगाई रोक

Ranvijay SinghRanvijay Singh   14 Oct 2019 12:16 PM GMT

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स्‍वच्‍छता की रेस में आगे बढ़ने के लिए पेड़ों को किया पेंट, वन विभाग ने लगाई रोक

लखनऊ। स्‍वच्‍छता की रेस में एक कदम आगे बढ़ने की होड़ में लखनऊ के गोमती नगर में कई पेड़ों को अप्राकृतिक रंगों से पेंट कर दिया गया। गोमती नगर के विराम खंड के पार्षद ने यह काम पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर उठाया था, जिसे वो पूरे लखनऊ में लागू कराना चाहते थे। हालांकि वन विभाग को जैसे ही इसकी जानकारी हुई इस काम को रोक दिया गया।

पेड़ों पर पेंट कराने वाले पार्षद अरुण कुमार तिवारी ने गांव कनेक्‍शन को बताया, ''पिछली बार हमारा वार्ड 'राजीव गांधी द्वितीय' प्रदेश में स्‍वच्‍छता में तीसरे नंबर पर आया था और लखनऊ में पहले स्‍थान पर था। ऐसे में यह ख्‍याल आया कि अब तीसरे की जगह नंबर एक की लड़ाई लड़ें तो अच्‍छा होगा। हमने अध‍िकारियों से बात की और फिर यह प्‍लान तैयार किया। इसमें करीब 100 मीटर जगह चिन्‍ह‍ित की गई है। हमारी कोश‍िश है कि दीपावली से पहले तक यह मॉडल तैयार कर दिया जाए। हम लोगों से फीडबैक भी ले रहे हैं और लोग इसे पसंद कर रहे हैं।''

इस सवाल पर कि पेंट करने से पेड़ों को नुकसान नहीं होगा? अरुण कुमार कहते हैं, ''काम शुरू करने से पहले हमने पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. भरत राज सिंह से बात की थी। उनके मुताबिक, इससे पेड़ को नुकसान नहीं होगा, उल्‍टा इसकी लाइफ ही बढ़ेगी। हालांकि अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार होते हैं। हम और भी लोगों से बात कर रहे हैं।''

पेड़ों पर कुछ ऐसे की गई है पेंट‍िंंग।

पार्षद अरुण कुमार तिवारी के मुताबिक उन्‍होंने इस काम को करने से पहले पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. भरत राज सिंह से सलाह ली थी। ऐसे में गांव कनेक्‍शन की टीम ने भी यह समझने के लिए कि पेड़ों को पेंट करने से कैसे उनकी लाइफ बढ़ेगी डॉ. भरत राज सिंह फोन पर बात की। उन्‍होंने बताया, ''कोई भी पेड़ जड़ से पानी लेकर उसकी पत्‍तियों तक पहुंचाता है। ऐसे में तने के ऊपर बनी छाल बहुत जरूरी होती है। छाल एक मोटा लेयर है, जिससे पत्‍त‍ियों तक जो पानी जा रहा है वो वाष्‍प बनकर न निकले। ऐसे में छाल का मुख्‍य काम यह है कि पानी तने से बाहर न निकल पाए।''

डॉ. भरत राज सिंह बताते हैं, ''इसका साफ मतलब है कि पेड़ की ग्रोथ के लिए तने पर एक कर्टेन जरूरी है। अब अगर उसके ऊपर कोई पेंट लगा देते हैं तो यह अवरोधक का काम करेगा और पानी बाहर निकलने के प्रोसेस को रोकेगा। ऐसे में पेड़ की ग्रोथ और अच्‍छी हो सकती है। यह समझने वाली बात है कि जब पानी तने से ही वाष्‍प बन जाएगा तो पत्‍तों तक कहां से जाएगा। इस लिए तने पर पेंट करने में कोई नुकसान नहीं है।''

इस सवाल पर कि क्‍या केमिकल पेंट करना भी गलत नहीं? डॉ. भरत राज सिंह क‍हते हैं, ''हां यह बात है कि पेंट में कोई ऐसा केमिकल न हो जो पेड़ों को नुकसान पहुंचा सके। वैसे छाल तो मृत है, इसमें कोई जान थोड़ी है। लकड़ी पर जो पेंट करते हैं वो उसकी सुरक्षा के लिए करते हैं न! आप घर में दरवाजा लगाते हैं तो उसपर प्राइमर लगाते हैं न! नेचर ने अपने आप उसमें हार्ड लेयर दे रखी है। हार्ड लेयर को और सुरक्ष‍ित कपड़ा पहना दिया जाए तो और ज्‍यादा पेड़ ग्रोथ करेगा।'' डॉ. भरत राज सिंह स्‍कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ के महानिदेशक भी हैं।

इस मामले पर जब राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के चीफ साइंटिस्‍ट डॉ. श्री कृष्‍ण तिवारी से बात की गई तो उन्‍होंने कहा, ''यह पेड़ों के लिए अच्‍छा नहीं है। अगर बोटिनिक गार्डन में भी हम कहीं पेंट करते हैं तो गेरू या चूना लगाते हैं, सिंथेटिक पेंट नहीं लगाते हैं। ऐसी कोई स्‍टडी नहीं है कि कितना नुकसान होगा। लेकिन फिर भी कोई केमिकल अगर पेड़ पर लगाया जा रहा है तो उसका नुकसान तो होगा ही। पेंट में तो तमाम तरह के ऐसे केमिकल होते हैं जो नुकसानदेह होते हैं।''

लखनऊ के गोमती नगर का राम भवन चौराहा।

वन विभाग ने लगाई रोक

वन विभाग के सब डिविजनल ऑफिसर (एसडीओ) आरएन गुप्‍ता से जब इस काम के बारे में बताया गया तो उन्‍होंने कहा, ''इस काम को रुकवा दिया गया है और नोटिस जारी किया गया है। पार्षद से पूछा गया है कि वो स्‍पष्‍ट करें कि कौन सा पेंट इस्‍तेमाल कर रहे हैं, क्‍या इससे पेड़ों को नुकसान तो नहीं हो रहा। वैसे पीडब्‍लूडी वाले वॉटर पेंट यूज करते हैं, उससे पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होता। अब यह देखना है कि यह कौन सा कलर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। अगर इससे केंबियम को नुकसान पहुंच रहा है तो यह गलत है। यह देखा जाएगा कि पेड़ को छति हुई है तो बंद करा दिया जाएगा, उन्‍हें नहीं करने दिया जाएगा।''

आरएन गुप्‍ता से जब यह पूछा गया कि क्‍या इस काम के लिए कोई परमिशन ली गई थी? इसपर वो कहते हैं, ''हमसे कोई परमिशन नहीं ली गई है।'' वहीं उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि कितने पेड़ों को पेंट किया गया है। वो कहते हैं, ''हमने अभी गिनती नहीं की है।'' हालांकि मौके पर इस काम को कराने वाले सुनील परदल बताते हैं, ''इसके तहत 115 मीटर को सजाया जा रहा है, जिसमें 100 पेड़ों पर पेंट‍िंग बनाने का काम है।''

पेड़ों को पेंट करने के इस घटना पर लखनऊ के भीम राव अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय के एनवॉयरमेंट मैनेजमेंट के प्रोफेसर वेंकटेश दत्‍ता कहते हैं, ''इंसानों की तरह पेड़ों में भी जान होती है। और क्‍या यह सही लगेगा कि हमारे शरीर पर पेंट कर दिया जाए। पेड़ों को पेंट करना सही नहीं है। वैसे भी पेंट में कई तरह के केमिकल होते हैं, जिनसे पेड़ों को नुकसान होगा ही।''


 

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