खेत में खुरपी-कुदाल के साथ अब कम्प्यूटर चलाना भी सीख रही आदिवासी महिलाएं

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रुबी खातून, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

झारखंड की आदिवासी महिलाएं अपनी आजीविका के लिए तमाम प्रशिक्षण ले रही हैं। वे आजीविका जन सेवा केंद्र खोलने के लिए जेएसएलपीएस से मदद ले रही हैं। इसके लिए वे बकायदा पांच-पांच दिन की ट्रेनिंग ले रही हैं। इस ट्रेनिंग में पुरुष भी बढ़ चढ़ कर हिस्‍सा ले रहे हैं।

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के माध्यम से झारखंड के आदिवासियों को जागरुक कर रहा है। रांची जिले में स्थित तुपुदाना के सप्तर्षि सेवा भवन में आजीविका जन सेवा केन्द्र की पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में सखी मंडल की महिला (दीदी) और इससे जुड़े पुरुष (भइया) को बुलाया गया था।

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चैनपुर ब्‍लाक से ट्रेनिंग लेने आई पूनम देवी ने बताया कि "हम लोगों ने पांच दिन का प्रशिक्षण लिया है। इस दौरान हमें कम्प्यूटर खोलने, बंद करने, मोबाइल रिचार्ज, डीटीएच रिचार्ज, जाति प्रमाण पत्र, पेन कार्ड, आधार कार्ड व अन्‍य चीजें सिखाई गईं। इससे पहले हम लोगों ने कम्प्यूटर को खोला नहीं था। ये सारे काम हम लोग पहले किसी और दुकानदार से करवाते थे, जिसके लिए हमें टाइम के साथ पैसे भी खर्च करने पड़ते थे।"

उन्‍होंने कहा कि "अब यहां ट्रेनिंग लेने के बाद ये सारे काम हम खुद कर सकते हैं। इससे हम अपने समूह को भी पूरा लाभ दे सकते हैं। आजीविका जन सेवा केंद्र खुलने से रोजगार का एक रास्‍ता मिल गया है।"

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वहीं ट्रेनर ने बताया कि "यहां महिलाओं और पुरुषों को JSLPS के माध्‍यम से ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग में लोगों के स्‍किल को देखते हुए बताया जाता है कि आप अपना और अपने समूह के लोगों का काम कैसे करें।इस ट्रेनिंग में लोगों को इंटरनेट, कम्प्यूटर का प्रयोग करना, मोबाइल, डीटीएच व बिजली का बिल भरना। बैंक में ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना, पैसे मंगाना, आधार व पेन कार्ड बनाना आदि जानकारियां दी जाती है। जिससे वे आगे चलकर अपने रोजगार का एक साधन खोज सकें।"

JSLPS के माध्यम से जन सेवा केंद्र खोलने पर एक बजट भी दिया जाता है। जिससे सेंटर में लगने वाले जरुरी सामान जैसे कम्प्यूटर, प्र‍िंटर व अन्‍य जरुरी सामान खरीदा सकता है। 2020 तक 300 सेंटर खोलने का टारगेट दिया गया है और अभी तक लगभग 272 सेंटर खोला गया है।

   

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