चिकित्सा विज्ञान की तरक्की में आदिवासी दे रहे सहयोग, अपने परिजनों का कर रहे हैं शव दान

Tameshwar SinhaTameshwar Sinha   6 July 2019 6:00 AM GMT

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चिकित्सा विज्ञान की तरक्की में आदिवासी दे रहे सहयोग, अपने परिजनों का कर रहे हैं शव दानफोटो- फेसबुक

जगदलपुर। एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपनी पढ़ाई के दौरान शरीर रचना विज्ञान की शिक्षा के लिए मानव शरीर के डमी का उपयोग करना पड़ता था, लेकिन अब जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में युवा चिकित्सकों की मदद को समाज के विभिन्न वर्गों के लोग रूढ़ियों को तोड़कर सामने आए हैं। रीति रिवाजों के बंधनों को तोड़कर अब समाज के आम और खास लोग चिकित्सा विज्ञान की तरक्की के लिए अपने प्रियजनों के मृत्युपरांत उनकी मृत देह का दान मेडिकल कॉलेज को कर रहे हैं। ऐसे में शवदान करने के मामले में आदिवासी भी पीछे नहीं हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दिनों एक ग्रामीण ने अपने एक रिश्तेदार का शव जगदलपुर मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया। गौरतलब है कि जगदलपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपनी पढ़ाई करने के लिए डमी का उपयोग करना पड़ता था लेकिन कुछ समय पहले जगदलपुर के ही डॉ. निर्मल सचदेव ने पिता का शव मेडिकल कॉलेज को दान करने के बाद अब क्षेत्र में जागरूक करने में लग गए हैं।

डॉ. निर्मल सचदेव

बीते कुछ दिनों में जहाँ दंतेवाड़ा जिले में बचेली के 2 परिवारों ने मेडिकल कॉलेज को अपने परिजनों का शव डोनेट किया। वहीं कुछ दूसरे इलाके के लोगों ने भी जागरूकता के इस क्रम को बनाये रखते हुए अपने परिजनों का शव मेडिकल कॉलेज को दान किया है।

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शव दान करने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि "दूर-दूर से बच्चे यहां पर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए आते है, ऐसे में अगर उन्हें जब डमी से पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है तो लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है।" फिलहाल यह पहला मामला है जब ग्रामीण क्षेत्र के किसी आदिवासी युवक ने अपने प्रियजन के शव का दान करते हुए एक मिसाल पेश की है।

फोटो-फेसबुक


जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. यूएस पैकरा ने बताया कि हमें 2 दिन पहले ही ग्रामीण अंचल से एक शव मिला है, यह अच्छी बात है कि अब लोग जागरूक हो रहे है। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को इस बात का फायदा मिलेगा। डॉ.पैकरा ने बताया कि अब तक 7 शव मेडिकल कॉलेज को दान में मिल चुका है।

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2018 में एक महिला का शव आंध्रप्रदेश के सूर्यपेंटा से जगदलपुर मेडिकल कॉलेज लाया गया था। इसके अलावा बामन (70) कटुलनार गीदम दंतेवाड़ा, जयराम बघेल (75) बड़ेचकवा बस्तर, आशा देवी (80) कुकुरबेड़ा रायपुर, डॉ. निर्मल सचदेव (62) पथरागुड़ा लालबाग, बचेली निवासी सुखदेव (35) और फिगो (55) बचेली के शव उनके परिजनों ने जगदलपुर के स्व. बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज को युवा चिकित्सकों की शिक्षा के लिए दान किया है।

   

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