“कानून के बिना ट्रिपल तलाक से लड़ाई संभव नहीं” : सहिस्ता अंबर

“कानून के बिना ट्रिपल तलाक से लड़ाई संभव नहीं” : सहिस्ता अंबरप्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली (एएनआई)। ट्रिपल तलाक के विवादों के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष सहिस्ता अंबर ने सोमवार को कहा कि मुस्लिम महिलाओं को इस मामले में तब तक न्याय नहीं मिल सकता, जब तक कि इस परिप्रेक्ष्य में कानून नहीं बन जाता। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लॉ बोर्ड की निष्क्रियता के कारण मुस्लिम समुदाय के लोग ट्रिपल तलाक का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एक सामाजिक बुराई है और तब तक नहीं खत्म होगी, जब तक इसका गलत इस्तेमाल करने वालों को दंडित नहीं किया जाएगा।

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सहिस्ता अंबर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हैदराबाद से एक और तीन तलाक का मामला सामने आया। भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 506 आर/डब्ल्यू 34 के तहत सनातननगर पुलिस स्टेशन में सुमैना शारफी ने यह शिकायत16 मार्च को दर्ज कराई थी। सुमैना ने शिकायत में कहा है कि औवैस तालिब से उसका निकाह 2015 में हुआ था। पिछले साल 28 नवंबर को तालिब ने इस निकाह को खत्म करने के लिए ‘तलाक तलाक तलाक’ का मैसेज भेजा।

उत्‍तर प्रदेश में भी नेशनल लेवल की नेटबाल प्‍लेयर शुमेला जावेद को उसके पति ने फोन पर तीन बार 'तलाक' कहकर तलाक दे दिया। शुमेला ने बताया कि उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक बच्‍ची को जन्‍म दिया था। शुमेला के अनुसार उसने अपने करियर के साथ-साथ अपने परिवार के लिए वो सब किया जो एक महिला को करना चाहिए। लेकिन बावजूद इसके उनके पति ने अलग होने से पहले एक बार भी नहीं सोचा।

ट्रिपल तलाक के खिलाफ हैं बॉलीवुड के 'नवाब'

बॉलीवुड के 'नवाब' सैफ अली खान ने भी ट्रिपल तलाक पर अपनी बेबाक राय रखी है। सैफ ने कहा कि वे इस प्रथा से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अमृता सिंह से निकाह किया था और कानूनी तौर पर ही उन्हें तलाक भी दिया। आगे कहा कि करीना से शादी मैंने भारत सरकार के प्रावधानों के तहत की है। सैफ ने कहा ' मैं ट्रिपल तलाक की प्रथा को नहीं मानता और इसीलिए मैंने भी ऐसे तलाक नहीं लिया था। मैंने बाकायदा कानूनन तलाक लिया।'

अभिनेता सैफ अली खान।

सैफ ने दुनिया भर में इस्लाम के लिए बढ़ते डर के बारे में भी राय रखी। उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी पहचान के कारण कभी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन दुनिया भर में इस्लाम के लिए नफरत और डर है और यह चिंताजनक है।

अज़ान में जितनी कम आवाज हो उतना ही अच्छा

सैफ ने एक कार्यक्रम में सोनू निगम द्वारा उठाए गए अज़ान विवाद पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूँ कि जितनी कम आवाज हो उतना ही अच्छा है। एक मनोवैज्ञानिक कारण पर विचार करते हुए कहा कि 'एक अल्पसंख्यक होने के नाते आप चाहते हैं कि दूसरे लोग आपकी मौजूदगी का एहसास करें, यहीं नहीं वे आपकी उपस्थिति को स्वीकार भी करें।' इस हालत में कोई भी अज़ान की आवाज को कम करने को कहता है तो कुछ लोगों का उग्र हो जाना स्वभाविक है।

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