लखनऊ: एक बड़ी चूक से कई लोगों में कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका

Neetu SinghNeetu Singh   6 May 2020 10:54 AM GMT

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लखनऊ: एक बड़ी चूक से कई लोगों में कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका

लावारिस मिली एक लड़की को कोविड-19 की जांच के बिना दो मई को आशा ज्योति केंद्र पर रखा गया। दो दिन बाद हुई जांच के बाद छह मई को उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने आशा ज्योति केंद्र पर शनिवार रात करीब आठ बजे पारा थाना की पुलिस एक लड़की को रखने के लिए पहुंची थी।

आशा ज्योति केंद्र द्वारा जब पुलिस से लड़की की कोविड-19 की जांच रिपोर्ट माँगी गयी तो पता चला उसकी अभी जांच नहीं हुई है। आशा ज्योति केंद्र की टीम के अनुसार लड़की की तबियत भी ठीक नहीं थी, रखने से मना करने के बावजूद उच्च अधिकारियों के दबाव के बाद उस लड़की को बिना जांच के शेल्टर होम में रखा गया।

सोमवार को जब लड़की की ज्यादा हालत बिगड़ी तब उसकी रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में चार मई को जांच कराई गयी। जांच के तीन दिन बाद आयी रिपोर्ट में वो लड़की कोरोना पॉजिटिव पायी गयी।

इस घटना में जब गाँव कनेक्शन ने पुलिस और जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो कई सवालों के जबाव अनसुलझे रहे। कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी चूक मानने को तैयार नहीं। अगर लड़की शुक्रवार देर रात मिली तो शनिवार को पूरे दिन में उसकी कोविड-19 की जांच क्यों नहीं हो पाई? ऐसी क्या मजबूरी थी कि लड़की को बिना जांच के शनिवार रात लगभग आठ बजे आशा ज्योति केंद्र पर रखने के लिए दबाव बनाया गया? रविवार को जांच क्यों नहीं हुई? क्या बिना अधिकारियों के आदेश के कोविड-19 की जांच संभव नहीं है?

लड़की लगभग तीन दिन शेल्टर होम में रही। इस दौरान स्टाफ सहित 14 लोग आशा ज्योति केंद्र पर मौजूद रहे। वहीं ड्यूटी पर तैनात लोग अपने घर भी गये। इस घटना से अभी कितने लोग संक्रमित हो सकते हैं इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। फिलहाल सभी को कोविड-19 की जांच के बाद आशा ज्योति केंद्र में ही क्वारंटाइन कर दिया गया है।

पारा थाना के थाना प्रभारी (एसएचओ) त्रिलोकी सिंह ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "लड़की शुक्रवार और शनिवार के बीच रात सड़क पर घूमते हुए मिली थी, शनिवार को दिनभर प्रयास किया कि उसका कुछ पता चले लेकिन जब कुछ पता नहीं चला तो उसे आशा ज्योति केंद्र पर शनिवार रात को रखा गया।"

शनिवार को दिनभर कोविड-19 की जांच क्यों नहीं हो पायी? इस सवाल के जबाव में पर त्रिलोकी सिंह बोले, "अधिकारियों के आदेश के बाद ही जांच हो सकती है, आदेश नहीं मिल पाया था जिसकी वजह से जांच नहीं हो पायी। नियम के अनुसार किसी भी शेल्टर होम में बिना कोविड-19 की जांच के नहीं रखा जा सकता है, पर रात में उसे थाने में भी नहीं रख सकते थे इसलिए वहां रखना पड़ा।"

क्या बिना अधिकारियों के आदेश के किसी की कोविड-19 की जांच नहीं हो सकती? इस सवाल के जबाव में थाना प्रभारी का फोन कट गया, दोबारा कॉल रिसीव नहीं हुई।

आशा ज्योति केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार टीम ने लड़की की स्थिति को देखते हुए स्पष्ट रूप से रखने के लिए मना किया था लेकिन जिला प्रोबेशन अधिकारी के फोन आने के बाद मजबूरी में लड़की को शेल्टर होम में रखकर खतरा मोल लिया गया।

आशा ज्योति केंद्र पर उस दौरान ड्यूटी में लगे 14 लोगों की कोविड-19 की जांच के बाद टीम को आशा ज्योति केंद्र में ही अभी क्वारंटाइन कर दिया गया है।

जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधांकर पाण्डेय ने बताया, "पारा थाने वाले इस केस को देख रहे थे आप उन्ही से बात कर लीजिये।"

वहां बात हो गयी आप बताईये आपको क्या लगता है चूक कहां रह गयी? सुधांकर पाण्डेय ने जबाब दिया, "लड़की रात में थाने में नहीं रुक सकती, इसलिए उसे बिना कोविड-19 की जांच के शेल्टर होम में रखा गया लेकिन उसे पूरी तरह से एक कमरे में क्वारंटाइन किया गया।"

इस खबर के सिलसिले में आशा ज्योति केंद्र और लखनऊ जिलाधिकारी से बात करने की कोशिश की गयी पर फोन नहीं उठा। बात होते ही खबर में अपडेट कर दिया जाएगा।

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