महिलाओं को कृषि की मुख्यधारा में लाएंगे : राधा मोहन सिंह
गाँव कनेक्शन 31 Aug 2017 10:09 AM GMT

नई दिल्ली (आईएएनएस)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि अपने संपूर्ण जनादेश, लक्ष्यों और उद्देश्यों के अंतर्गत कृषि मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहा है कि महिलाएं कृषि की मुख्यधारा का हिस्सा बन कर और कृषि पर खर्च होने वाले हर रुपये का फायदा पाकर कृषि उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने तथा अपने परिवार की आमदनी को दोगुना करने के लिए प्रभावी ढंग से योगदान दे सकें।
सिंह ने यहां कांस्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित 'महिला किसानों के अधिकारों की सुरक्षा-कार्रवाई के लिए एक रोडमैप की तैयारी' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि एनएसएसओ (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में कृषि क्षेत्र में महिलाओं एवं पुरुषों की संख्या में गिरावट आई है। जहां पुरुषों की संख्या 81 प्रतिशत से घटकर 63 प्रतिशत हो गई है, वहीं महिलाओं की संख्या 88 प्रतिशत से घटकर 79 प्रतिशत हुई है।
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उन्होंने कहा कि भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं का सबसे अधिक योगदान है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र महिला और महिला अधिकार किसान मंच के साथ मिलकर आयोजित किया था।
सिंह ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्रिय 80 प्रतिशत महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। इनमें से 33 प्रतिशत मजदूरों के रूप में और 48 प्रतिशत स्व-नियोजित किसानों के रूप में कार्य कर रही हैं। एनएसएसओ (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय) की रपट के मुताबिक भारत में लगभग 18 प्रतिशत खेतिहर परिवारों का नेतृत्व महिलाएं ही करती हैं। कृषि का कोई कार्य ऐसा नहीं है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी न हो।
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केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, "बतौर श्रमिक उन्हें पुरुषों की अपेक्षा मिलने वाली कम दरों तथा पुरुषों की अपेक्षा अधिक समय तक काम करने जैसी कई असमानताओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही अपने अधिकारों, अवसरों और सुविधाओं की अनभिज्ञता उनकी कृषि में भागीदारी को और जटिल कर देती है।"
उन्होंने कहा, "महिलाएं कृषि में बहुआयामी भूमिका निभाती हैं, जहां बुवाई से लेकर रोपाई, निकाई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, निराई, भंडारण आदि सभी प्रक्रियाओं से वे जुड़ी हुई हैं, वहीं घर गृहस्थी के काम जैसे कि खाना पकाना, जल संग्रहण, ईंधन लकड़ी का संग्रहण, घरेलू रख-रखाव आदि के कार्य भी उन्हीं के क्षेत्र में आते हैं।"
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सिंह ने कहा कि इसके अलावा महिलाएं कृषि से संबंधित अन्य धंधों जैसे मवेशी प्रबंधन, चारे का संग्रह, दुग्ध और कृषि से जुड़ी सहायक गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन इत्यादि में भी पूरी तरह सक्रिय रहती हैं।
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