कर्नाटक में कमल खिलाने वाले अनंत कुमार का निधन

59 वर्ष के अनंत कुमार लंबे वक्‍त से कैंसर से जुझ रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और फिर अस्‍पताल में ही उनका निधन हो गया।

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कर्नाटक में कमल खिलाने वाले अनंत कुमार का निधन

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का सोमवार सुबह बेंगलुरु के एक अस्पताल में निधन हो गया। 59 वर्ष के अनंत कुमार लंबे वक्‍त से कैंसर से जुझ रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और अस्‍पताल में ही उनका निधन हो गया। उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।



बीजेपी नेता अनंत कुमार का पार्थिव शरीर बेंगलुरु के नेशनल कॉलेज में रखा जाएगा। यहां लोग उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सकेंगे। उनके निधन पर कर्नाटक में तीन दिन का शोक घोषित किया गया है और आज छुट्टी भी घोषित की गई है। अनंत कुमार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कद्दावर मंत्रियों में से एक थे। उनके पास रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय व संसदीय कार्यमंत्री का जिम्‍मा था।



प्रधानमंत्री मोदी ने अनंत कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ''मेरे अहम सहयोगी और दोस्त, श्री अनंत कुमार जी के निधन से बेहद दुखी हूं। वह एक असाधारण नेता थे, जिन्होंने एक छोटी उम्र में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया और अत्यंत परिश्रम और करुणा के साथ समाज की सेवा की। उन्हें हमेशा अपने अच्छे काम के लिए याद किया जाएगा। वह इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं।''



उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी अनंत कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया है। योगी ने कहा, ''अनंत कुमार एक लोकप्रिय नेता थे। उनका जनता से गहरा जुड़ाव था। उन्होंने सरकार और संगठन में अपने दायित्‍वों का हमेशा कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। अनंत कुमार की सेवाओं को सदैव याद किया जाएगा।''



कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अनंत कुमार के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ''केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी संवेदना है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ओम शांति।''

कर्नाटक की राजनीति में अहम योगदान

अनंत कुमार का जन्म 22 जुलाई 1959 को बेंगलुरु में हुआ था। उन्होंने केएस आर्ट्स कॉलेज से बीए की पढ़ाई की थी। उसके बाद जेएसएस लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अनंत कुमार का कर्नाटक की राजनीति में अहम योगदान था। कुमार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा करीब रहे। वह चाहे अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी का दौर रहा हो या मौजूदा नरेंद्र मोदी का दौर। अनंत कुमार 1987 में भाजपा में शामिल हुए और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह एबीवीपी के राज्य सचिव और राष्ट्रीय सचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और महासचिव रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा के साथ कुमार उन चंद पार्टी नेताओं में शामिल थे जिन्‍हें कर्नाटक में भाजपा के विस्‍तार का श्रेय दिया जा सकता है। उन्होंने राज्य में संगठन को खड़ा किया और 2008 में पार्टी को राज्य की सत्ता तक पहुंचाया। दक्षिण भारत में तब भाजपा की पहली सरकार बनी थी। कुमार 1996 में पहली बार बेंगलुरु दक्षिण सीट से लोकसभा के लिए नर्विाचित हुए और निधन होने तक यह क्षेत्र उनका गढ़ रहा।

   

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