गाँव के बच्चों का किताबों से दोस्ती करा रहा माटी-पानी

ग्रामीण बच्चों में किताबों के प्रति लगाव पैदा करने के लिए गांव में खोला गया पाटी-पानी पुस्तकालय, बच्चों को मुफ्त में मुहैया कराई जा रही हैं किताबें

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   1 March 2019 7:53 AM GMT

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गाँव के बच्चों का किताबों से दोस्ती करा रहा माटी-पानी

लखनऊ। आज के दौर में जब शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है ऐसे दौर में कुछ लोग हैं जो जरुरतमंद लोगों को मुफ्त में शिक्षा और किताबें मुहैया करा रहे हैं। शाहजहांपुर के विकास खंड पुवाया के गांव हरदुआ में गांव के जरुरतमंद बच्चों में किताबों के प्रति प्रेम पैदा करने के लिए माटी-पानी पुस्तकालय का शुभारंभ किया गया है, जहां जीवन उपयोगी साहित्य, एकांकी, नाटक, व्यक्तित्व विकास समेत करीब एक हजार पुस्तकें हैं।

पुस्तकालय की स्थापना करने वाली टीम के सदस्य सईद अयूब ने बताया, " हमारे समाज में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी असामनता है। निजी शिक्षा सिर्फ कुछ पैसेवालों के पास है। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और शिक्षकों की बेहद कमी है। हम चाहते हैं कि कोई भी बच्चा शिक्षा से दूर न हो। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले बच्चों के पास उपयोगी पुस्तकों का अभाव है। वे इतने संपन्न नहीं हैं कि बाजार से अच्छी पुस्तके खरीद सकें। इसी समस्या को दूर करने के लिए हम लोगों ने इस माटी-पानी पुस्तकालय की स्थापना की है।"

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माटी-पानी पुस्तकालय पर इकट्ठा बच्चे।

सईद अयूब ने आगे बताया, " बच्चों को लगता है कि उनके सैलेबस के अलावा कुछ और नहीं है। बच्चों को और अधिक जानकारी देने के लिए हम लोगों ने इस पुस्तकालय की शुरुआत की है। इसके साथ ही माटी पानी' का मुख्य उद्देश्य गाँवों के लिए काम करना है। मुख्यतः किसानों और उन बच्चों के लिए जिनके पास शिक्षा हासिल करने का न तो कोई ज़रिया है, न संसाधन है, न कोई प्रोत्साहन है और कई बार उनके पास समय भी नहीं है। गाँव में एक पुस्तकालय की स्थापना के साथ इसकी शुरुआत की गई है। "

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पुस्तकालय के लिए काम करने वाले पंकज मिश्रा ने बताया, " ग्रामीण बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हें सही दिशा दिखाने की जरुरत है। बच्चों को देश-दुनिया, इतिहास और महान लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए इस पुस्तकालय को खोला गय है। हमारे इस प्रयास में लोगों को बहुत सहयोग मिल रहा है। लोग अपने पास रखी पुरानी किताबों को हमें दे रहे हैं। जल्द ही कई और जगह पर पुस्तकालय खोलने की योजना है। "

शाम को लाइब्रेरी पर लगती है बच्चों की भीड़।

पुस्तकालय में हैं 1000 पुस्तकें

पुस्तकालय में इस समय एक हजार पुस्तकें हैं, जिसमें बच्चों के लिए हिंदी साहित्य, एकांकी, नाटक, व्यक्तित्व विकास, खेल-खेल में कैसे सीखें, महापुरुषों की जीवनी समेत जीवन उपयोगी पुस्तकें शामिल हैं। इस पुस्तकालय के संचालन की जिम्मेदारी गांव की एक छात्रा को दी गई है। विपिन मौर्या, अनुराग शुक्ला और इरशाद खां ने जगह-जगह से किताबें लाकर पुस्तकालय को समृद्ध किया है।

पुस्तकालय के शुभारंभ पर पहुंचे मशहूर इतिहासकार सुधीर विद्यार्थी ने कहा, " इस तरह के पुस्तकालय ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। बच्चों को क्षेत्रीय इतिहास की जानकारी देने के लिए यह एक अच्छा माध्यम है। ग्रामीण रीति रिवाजों और परंपराओं को बच्चों में फिर जिंदा किया जा सकता है।"

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