आश्रम में यौन शोषण केस: "गुरु जी शराब पिलाते थे, रात में मालिश करते-करते गंदा काम करवाते थे'

गुरुकुल पद्धति के आधार पर बच्चों को शिक्षा दिलाने के नाम पर महंत बच्चों का यौन शोषण करता था। बच्चों ने महंत पर मारपीट, शराब-बीड़ी पिलाना, अश्लील वीडियो दिखाना और फिर यौन शोषण करने जैसे गम्भीर आरोप लगाये हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   11 July 2020 4:06 PM GMT

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आश्रम में यौन शोषण केस: गुरु जी शराब पिलाते थे, रात में मालिश करते-करते गंदा काम करवाते थे

यूपी के मुजफ्फरनगर के गोड़िया मठ आश्रम में रहने वाले मिजोरम के 10 वर्षीय रोहित (बदला हुआ नाम) की मेडिकल रिपोर्ट में उसके साथ यौन शोषण होने की पुष्टि हुई है।

रोहित ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "गुरु जी शराब पिलाते थे, छोटी सी गलती होने पर बहुत मारते थे। रात में सो नहीं पाते थे हमलोग, रात में सेवा (मालिश) करते-करते गंदा काम करवाते थे।"

रोहित की एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है। इनके मम्मी-पापा खेती करते हैं। रोहित की तरह मिजोरम से पांच और बच्चों को इस आश्रम में गुरुकुल की शिक्षा दिलाने के नाम पर लाया गया था। रोहित मार्च 2019 में यहाँ मठ के पुजारी के साथ आया था।

जबसे आप यहाँ आये हो तबसे आपने अपने मम्मी-पापा से बात नहीं की, इस पर रोहित बोला, "मम्मी-पापा बोलते हैं अभी वहीं पर रहो, पैसा होगा तो लेकर जायेंगे, लेकिन दीदी आप उसे फांसी दिलवाना।"

रोहित की बातों से आप मठ के महंत भक्ति भूषण गोविन्द की क्रूरता का अंदाजा लगा सकते हैं। रोहित की तरह गुरुकुल पद्धति की शिक्षा दिलाने के नाम पर इस आश्रम में मिजोरम से छह और त्रिपुरा से चार बच्चों को लाया गया था। इन बच्चों की उम्र आठ साल से 13 साल तक है जिसमें एक बच्चे की उम्र 18 साल है।

चाइल्ड हेल्पलाइन टीम और पुलिस प्रशासन द्वारा आश्रम से रेस्क्यू किये गये 10 बच्चे.

चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सात जुलाई को किसी व्यक्ति ने फोन करके इन बच्चों के बंधक बनाये जाने की सूचना दी थी। चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम और पुलिस प्रशासन ने मिलकर इन बच्चों को उसी दिन शाम को गोड़िया मठ आश्रम से रेस्क्यू कर लिया था।

अभी इन बच्चों को कस्तूरबा गांधी विद्यालय में रखा गया है जहां इनकी काउंसलिंग चल रही है। बच्चों के बयान हो चुके हैं। मेडिकल रिपोर्ट में चार बच्चों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है जिसमें से रोहित एक है। मुख्य आरोपी मठ का महंत भक्ति भूषण गोविन्द के खिलाफ आईपीसी की धारा 377, 323, 504 पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और उसे उसके चेले अखिलेश दास को जेल भेज दिया गया है।

किसी आश्रम में पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण का देश में यह पहला मामला नहीं है। कभी आश्रय गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ यौन शोषण के मामले सामने आते हैं तो कभी भक्ति भूषण गोविन्द जैसे बाबाओं के काले कारनामों की परते खुलती हैं।

रेस्क्यू हुए 13 साल के अतुल (बदला हुआ नाम) ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "बहुत मारता था, बीड़ी पिलाता था, शराब पिलाता था, गंदे वीडियो दिखाकर गलत काम करवाता था, रातभर सोने नहीं देता, नींद आने पर डंडे से पिटाई करने लगता। रसोई में रोज 10-15 लोगों का मैं खाना बनाता हूँ। थोड़ी सी गलती होने पर इतना मारता कि नाक से खून निकलने लगता।"

अतुल त्रिपुरा से तीन साल पहले इस आश्रम में पढ़ने के लिए आया था। एक बहन तीन भाइयों में अतुल सबसे बड़ा है। पिता मजदूरी करते हैं और माँ कपड़ा सिलाई का काम करती है। अतुल को अच्छी शिक्षा मिल सके इसलिए इनके माता-पिता ने यहाँ पढ़ने के लिए रिश्ते में लगने वाले चाचा (मठ का पुजारी) के साथ भेज दिया। अतुल के गाँव के कुल चार बच्चे यहाँ पढ़ने के लिए आये हैं।

अतुल ने बताया, "केवल दो महीने पढ़ने गये फिर हम रसोई में खाना बनाने लगे। वह रात में हम लोगों से अपनी मालिश करवाता था।"

रेस्क्यू किये गये बच्चों की उम्र आठ साल से 13 साल के बीच की है.

मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर शुक्रताल नाम से एक पौराणिक धार्मिक तीर्थ स्थल है जहाँ पर फिरोजपुर रोड पर गोड़िया मठ नाम का एक बहुत बड़ा तीन मंजिला आश्रम बना है। आसपास क्षेत्र में इस मठ की ऐसी पहचान है कि यहाँ गुरुकुल शिक्षा पद्धति के आधार पर शिक्षा दी जाती है जिसका रजिस्ट्रेशन भी है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मठ का संचालन अखिल भारतीय श्री चैतन्य महाप्रभु चैरिटेबिल ट्रस्ट के नेतृत्व में होता है। इस तीन मंजिल मठ को करोड़ो रुपए की लागत से बनाया गया है। इंग्लैंड के प्रवासी भारतीय प्रेम प्रकाश चोपड़ा ने मठ निर्माण में बड़ी रकम दान दी थी।

आठ साल का अमित (बदला हुआ नाम) मिजोरम से मार्च महीने में होली के बाद यहाँ आ गया था, इसके बाद लॉकडाउन लग गया। रोहित इस आश्रम का सबसे छोटा बच्चा है। मेडिकल रिपोर्ट में इसके साथ भी यौन शोषण होने की पुष्टि हुई है। अमित दो बहन तीन भाई में सबसे छोटा है।

आप यहाँ कैसे आये इस पर अमित बोला, "ट्रेन से आये हैं।"

आप जिनके साथ आये हो वो आपके कौन हैं, अमित ने बताया, "चाचा (मठ का पुजारी) लेकर आये हैं।" वो आपके घर के चाचा हैं, "नहीं, वह सबके चाचा हैं।"

जिसे अमित चाचा बता रहा था वो इसी मठ का एक पुजारी है जो मिजोरम का ही रहने वाला बताया जा रहा है। यह पुजारी इस आश्रम में रहने वाले बच्चों को त्रिपुरा और मिजोरम से लेकर आया है।

"गंदी फिल्म दिखाता था, शराब पिलाता था और फिर गलत काम करता था," अमित ने बताया।

मुजफ्फरनगर बाल कल्याण समिति की जिला अध्यक्ष कमलेश वर्मा गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं, "ये संस्था गुरुकुल पद्धति पर बच्चों को शिक्षा देने का काम करती है। मतलब यहाँ रहकर पढ़ाई करो और पूरा काम करो। इस तरह के संस्थानों में ज्यादातर नार्थ ईस्ट के राज्यों से बच्चों को लाया जाता है। यहाँ इनमें हिंदुत्व की भावना तैयार की जाती है जिससे ये बड़े होकर जब वहां वापस जाएं तो हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर सकें।"

"सभी बच्चों ने एक ही जैसी शिकायत की कि वो हमें शराब पिलाता था, गंदे वीडियो दिखाता था, हमारे साथ गलत काम करता था। काम बहुत करवाता था, जरा सी गलती होने पर मारता-पीटता था। बच्चों को उसी दिन वहां से रेस्क्यू कर लिया गया है। इनकी काउंसलिंग चल रही है, मेडिकल रिपोर्ट में चार बच्चों पर यौन शोषण की पुष्टि हुई है। आरोपी को जेल भेज दिया गया है, " कमलेश वर्मा ने बताया।

भोपा थाना प्रभारी, संजीव कुमार बताते हैं, "बाबा (भक्ति भूषण गोविन्द) और शिष्य (अखिलेश दास) को जेल भेज दिया गया है। ये बच्चों को प्रताड़ित करते थे इसकी सूचना किसी ने 1098 पर दी थी इसके बाद टीम ने जाकर बच्चों को रेस्क्यू कर लिया है। अभी इन पर धारा 323, 377, 504 पॉक्सो लगी है।"

बाल कल्याण समिति द्वारा इन बच्चों के परिजनों से संपर्क किया गया है पर किसी से बात नहीं हो सकी है। इन बच्चों का अभी कोरोना टेस्ट कराया जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद इन्हें इनके घर पहुंचाया जाएगा। इस आश्रम में जांच के दौरान इन बच्चों के माता-पिता द्वारा लिखे एफिडेविट भी मिले हैं जिसमें उन्होंने अपने बच्चों को यहाँ पढ़ने के लिए भेजा है।

इन बच्चों की काउंसलिंग कर रहीं चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 की जिला इंचार्ज पूनम शर्मा ने बताया, "इन बच्चों ने हमें यह बताया है कि पुजारी हमें ये कहकर लाया था कि यहाँ बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। तभी हमारे घरवालों ने हमें भेज दिया। पर पढ़ाई के नाम पर यहाँ कुछ नहीं होता। कुछ बच्चे तो लॉकडाउन से पहले ही आये हैं, कुछ दो तीन साल से रह रहे हैं। यहाँ इनसे खूब काम करवाया जाता है, जैसे अगर मान लो कोई बच्चा गाय की घास लेने गया और वो कम लेकर आया तो उसे खाना खाने को नहीं देता था और पिटाई भी करता।"

"महंत शाम को इन्हें शराब पिलाता था, गंदे वीडियो दिखाता था फिर रेप करता था। बच्चों को नशा इसलिए करवाता जिससे बच्चे उसके साथ कॉपरेट करें। सभी बच्चों को अपने आसपास बिठाता था, बच्चों से अपने ऊपर हाथ फिरवाता था जब वो थक जाते और सोने के लिए कहते तो पीटने लगता। इन्हें पेटभर भोजन नहीं देता था,"पूनम शर्मा ने बताया।

रेस्क्यू होने के बाद ये बच्चे बहुत खुश हैं, अब अपने घर वापस जाना चाहते हैं पर उस आरोपी को फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं।

यहाँ रह रहे मिजोरम के नितिन (11 वर्ष) ने बताया, "हमें शराब पिलाता और बीड़ी भी। गंदा काम (यौन शोषण) करवाता, मारता भी था। लॉकडाउन से पहले आये थे तबसे ऐसे ही रह रहे हैं।" नितिन एक भाई और एक बहन है, इनके माता-पिता खेती करके गुजर बसर करते हैं।

रेस्क्यू के बाद जब इन बच्चों को खाना खिलाया गया तो पूनम शर्मा उस समय का अनुभव साझा करती हैं, "सब बच्चे इतने खुश थे लग रहा था वर्षों बाद खाना कहा रहे हैं। एक बच्चे ने हमसे कहा, 'प्याज और रोटी खाये एक साल हो गया है' इस बच्चे की बातें सुनकर मेरा मन भर आया।"

पूनम शर्मा ने अंदेशा जताया, "मुझे ऐसा लगता है जो पुजारी इन बच्चों को पढ़ाई के नाम पर इन्हें घर से लाया है वो इनके माँ-बाप को कुछ पैसे देकर लाया होगा। ये गरीब परिवारों के बच्चे हैं। मैं गलत भी हो सकती हूँ।"


   

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