जानिए किन मांगों को लेकर किसान और मजदूरों ने किया था दिल्ली कूच?
Up Farmers Protest: दिल्ली में किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनकी पांच मांगें मानने काआश्वसान दिया है। किसान संगठनों के 11 प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की।
Vivek Shukla 21 Sep 2019 7:21 AM GMT

दिल्ली। दिल्ली में किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनकी पांच मांगें मानने काआश्वसान दिया है। किसान संगठनों के 11 प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। सहारनपुर से पैदल पहुंचे किसान और मजदूर दिल्ली के करीब एनएच 24 पर धरने पर जमे थे। अपनी मांगों को लेकर राजधानी पहुंचने की कोशिश में लगे किसानों को गाजियाबाद स्थित यूपी गेट पर रोक दिया गया था। भारतीय किसान संगठन की अगुवाई में हो रही किसान मजदूर अधिकार यात्रा में कई किसान संगठन भी शामिल थे। किसानों के इस प्रदर्शन को लेकर पुलिस भी हाई अलर्ट पर है।
यूपी के सहारनपुर से किसान अपनी मांगों को लेकर बीते 11 सितंबर को यात्रा शुरू करते हुए शुक्रवार को नोएडा पहुंची थी। किसानों की प्रमुख मांग है कि उन्हें कम रेट पर बिजली मिले, गन्ने का भुगतान ब्याज सहित हो, गोवंश की देखभाल का भत्ता बढ़ाया जाए, किसान पेंशन शुरू हो, किसान और मजदूरों की शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त हो, किसान दुर्घटना बीमा मिले, स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो, साथ ही किसानों की कर्ज माफी भी की जाए।
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इन मांगों को लेकर नोएडा में इस रैली के नेतृत्वकर्ता भारतीय किसान संगठन और कृषि मंत्रालय के बीच बातचीत हुई लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। इसके बाद किसानों ने अपनी मांग के साथ दिल्ली के किसान घाट पर प्रदर्शन करने का फैसला लिया।
भारतीय किसान संगठन के अध्यक्ष पूरन सिंह ने कहा कि 11 प्रतिनिधियों को कृषि मंत्रालय में ले जाया जा रहा है। अगर हमारी मांगे मान ली जाती हैं, तो हम यहां से (दिल्ली-यूपी सीमा) लौट जाएंगे, अन्यथा हम दिल्ली तक मार्च करेंगे।
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राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा, "बीते साल भी किसानों ने भारी संख्या में आकर सरकार को अपनी बात बताने की कोशिश की थी लेकिन उसी समय पुलवामा में राष्ट्र का मुद्दा आ गया। हमारा मुद्दा किसी राष्ट्रवाद से कम नहीं था। किसान अनाज उगाकर पुरे देश का पेट भरते हैं। किसान अपने अधिकार की मांग को लेकर दिल्ली आता है लेकिन उन्हें बार्डर पर ही रोक लिया जाता है।"
गौरतलब है कि इससे पहले भी अक्टूबर 2018 में किसानों ने 'किसान क्रांति यात्रा' निकाली थी। यह यात्रा हरिद्वार से दिल्ली पहुंची थी और इस पदयात्रा में देश के अलग-अलग राज्यों से हजारों किसानों ने हिस्सा लिया था। हरिद्वार से दिल्ली के लिए रवाना हुई किसान क्रांति यात्रा में शामिल हजारों किसानों को दिल्ली सीमा से सटे गाजियाबाद के इलाके रोका गया था, किसानों द्वारा विरोध करने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोलों और वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी किया था। इन किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी।
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किसानों की प्रमुख मांगें...
1. भारत के सभी किसानों के कर्जे पूरी तरह माफ हों।
2. किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त मिले।
3. किसान व मजदूरों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य मुफ्त।
4. किसान-मजदूरों को 60 वर्ष की आयु के बाद 5,000 रुपये महीना पेंशन मिले।
5. फसलों के दाम किसान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तय किए जाएं।
6. खेती कर रहे किसानों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर शहीद का दर्जा दिया जाए।
7. किसान के साथ-साथ परिवार को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिले।
8. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट और एम्स की स्थापना हो।
9. आवारा गोवंश पर प्रति गोवंश गोपालक को 300 रुपये प्रतिदिन मिलें।
10. किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान ब्याज समेत जल्द किया जाए।
11. समस्त दूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त कराया जाए।
12. भारत में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो।
13.घरेलू बिजली बिल पूर्व की भांति 100 रुपए प्रति माह किया जाए।
14. पुरकाजी में स्थित सूली वाला बाग शहीद स्थल घोषित हो।
15. भारत के सभी सदनों के सदस्यों की पेंशन बंद हो।
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