नारी सुरक्षा एवं जागरूकता सप्ताह मनाएगी यूपी पुलिस

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   3 Dec 2017 6:52 PM GMT

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नारी सुरक्षा एवं जागरूकता सप्ताह मनाएगी यूपी पुलिसडीजीपी सुलखान सिंह।

लखनऊ। नारी के सम्मान में यूपी पुलिस दिसम्बर माह में रहेगी मैदान में। उत्तर प्रदेश में महिला अपराध पर रोकथाम लगाने के लिए यूपी पुलिस ने दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में छह दिन नारी सुरक्षा एवं जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की है।

इसके तहत यूपी पुलिस चार दिसंबर से दस दिसंबर तक नारी सुरक्षा एवं जागरूकता सप्ताह मनाएगी। इसके तहत सूबे में जिलों पुलिस अधिकारी स्कूलों, कालेजों में जाकर नारी सुरक्षा से संबंधित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इसमें छात्राओं को महिला अपराध से जुड़े कानूनी प्राविधान, पुलिस द्धारा महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही सेवाओं के संबंध में जानाकारी साझा करेंगे।

यूपी पुलिस जिलों में जाकर महिलाओं और छात्राओं को सशक्त करने के लिए डायल-100, वीमेन पॉवर लाइन-1090, एंटी रोमियो स्क्वायड, ट्विटर सेवा के साथ सेफ्टी टिप्स के संबंध में जानकारी देगी। महिला सप्ताह के पहले दिन 4 दिसम्बर को डीजीपी सुलखान सिंह पूरे कार्यक्रम का शुभारंभ करंगे। डीजीपी राजधानी के किसी एक स्कूल में जाकर छात्राओं को नारी सुरक्षा एवं जागरूकता के संबंध में जानकारी देंगे।

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इस मौके पर उनके साथ आईजी वीमेन पॉवर लाइन 1090 नवनीत सिकेरा सहित अन्य आलाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस संबंध में डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि, नारी सुरक्षा सप्ताह मनाना पुलिस के लिए गर्व की बात है, क्योंकि मौजूदा वक्त में यूपी पुलिस की ओर से नारी सुरक्षा के लिए कई योजनाएं बनाई गई है, लेकिन इसकी जानकारी न होने के चलते अक्सर वह अपराध की शिकार हो जाती हैं। जबकि जागरूकता अभियान के तहत पूरे सूबे में छात्राओं को उनके अधिकारी संबंधित जानाकरी दी जायेगी।

नारी सुरक्षा सप्ताह मनाने से क्या आयेगी अपराधों में कमी

राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो (एनसीआरबी) ने जब 30 नवम्बर 2016 को भारत में अपराधों के आकंड़े जारी किए, तो उत्तर प्रदेश का एक दुखदायी पक्ष उभरकर सामने आया, जहां महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में देश भर में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। एनसीआरबी के मुताबिक भारत में महिलाओं के साथ 2016 में बलात्कार के कुल 38, 947 मामले दर्ज हुए। यानी देश में हर घंटे बलात्कार के कहीं न कही पांच मामले दर्ज होते हैं।

इनमें से सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले मध्यप्रदेश (4882) में दर्ज हुए हैं। इसके बाद दूसरे स्थान में उत्तरप्रदेश (4816) है, तीसरे पर महाराष्ट्र (4189) दर्ज हुए हैं। वहीं पिछले साल (यानी एनसीआरबी की 2015 की रिपोर्ट) भारत में महिलाओं के साथ बलात्कार के 34651 मामले दर्ज हुए। यानी देश में हर घंटे बलात्कार के कहीं न कही चार मामले दर्ज होते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले मध्यप्रदेश (4391) में दर्ज हुए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (4144), राजस्थान (3644) और फिर उत्तरप्रदेश (3025) का स्थान आता है।

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साल दर साल उत्तर प्रदेश में बढ़ते महिला अपराध संबंधित आकड़ों में कमी लाने के लिए यूपी पुलिस ने नारी सप्ताह चलाने की योजना बनाई है। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, एनसीआरबी के आकड़ों के आने के बाद इस कार्यक्रम की योजना नहीं बनाई गई, बल्कि यह पहले से ही पूर्व निर्धारित था।

नारी सप्ताह से नहीं समाजिक बदलाव से अपराध में आयेगी कमी

आज जाति-सामाजिक अस्मिता का सवाल बिलकुल खुले रूप में सामने है। आर्थिक विकास का आभामंडल छुआछूत और गैर-बराबरी के सच को छिपा नहीं पाया। इसके बावजूद इन महत्वपूर्ण पहलुओं में सुधार न कर यूपी पुलिस केवल खानापूर्ति के लिए ही नारी सुरक्षा सप्ताह मना रही है। महिला समाजिक संगठन चलाने वाली कई संस्थाओं का कहना है कि, जब तक नारी को समाजिक रूप से पुरुष समाज से बराबरी नहीं मिलेगी तबतक महिला अपराध में कमी नहीं आयेगी।

बलात्कार का आरोपी कोई करीबी ही निकलता है

अक्सर कहवातों में कहा जाता है कि, नुकसान तो अपने ही पहुंचाते हैं। एनसीआरबी के आंकड़े इस कहावत को सही साबित करते नजर आ रहे हैं, जहां भारत में हुई बलात्कार की 38,947 घटनाओं में से 33098 घटनाओं में आरोपी परिचित या जाना पहचाना व्यक्ति ही है। यानी समाज में विश्वास का संकट बहुत गहरा है। यह रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर मामलों में किसी व्यक्ति ने महिला से शादी का वादा करके उसका शारीरिक शोषण किया। जबकि अन्य मामलों में बलात्कार करने वाले के रूप में किसी पड़ोसी का ही नाम अक्सर सामने आता है।

बलात्कार के लंबित मामलों में नहीं हुई सुनवाई

वर्ष 2015 में बलात्कार के कुल 137458 मामले परीक्षण के लिए थे, जिनमें से केवल 14 प्रतिशत (18764) का परीक्षण पूरा हुआ और 86.2 प्रतिशत मामले अपूर्ण रहे। अपहरण के 124051 मामलों में से केवल 12879 के परीक्षण पूरे हुए और 89.2 प्रतिशत मामलों में परीक्षण ही पूरे नहीं हुए।

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महिलाओं के विरुद्ध पूरे मामलों में से 88 प्रतिशत मामलों में तो प्रकरण का परीक्षण ही पूरा नहीं हुआ। न्याय व्यवस्था का यह व्यवहार महिलाओं के विश्वास को तोड़ देने के लिए पर्याप्त है। वर्ष 2015 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के जिन 128240 मामलों का परीक्षण पूरा हुआ, उनमें से केवल 27844 मामलों में ही आरोपी को सजा हुई और बाकी के एक लाख मामलों में किसी को सजा नहीं हुई या आरोपी को बरी कर दिया गया। भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामले में केवल 21.7 प्रतिशत प्रकरणों में ही किसी को सजा होती है; यानी 78.3 प्रतिशत तो बरी ही हो जाते हैं।

लंबित 10.80 लाख मामलों में महिलाओं को न्याय कब तक मिलेगा? और क्या समाज अपनी कोई ऐसी न्याय व्यवस्था बनाएगा, जिसमें महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित हों?

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नारी के 10 महत्वपूर्ण अधिकार

1. समान वेतन का अधिकार- समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।

2. कार्यस्थल पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार- काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है।

3. नाम न छापने का अधिकार- यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है। अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।

4. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

5. मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार- मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं।

6. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार- भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें. गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

7. मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार- बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। थानेदार के लिए ये ज़रूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।

8. रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार- एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।

9. गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार- किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

10. संपत्ति पर अधिकार- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।

        

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