यूपी: लखीमपुर के प्रगतिशील गन्ना किसान अचल मिश्रा को प्रथम पुरस्कार, इन किसानों को मिलेंगे 21 हजार से 51 हजार तक रुपए

गन्ने की खेती के साथ एकीकृत कृषि करने वाले किसानों को पुरस्कृत करने के लिए सरकार ने वर्ष 2018 में उत्कृष्ट कार्य योजना पुरस्कार की शुरुआत किया था।

Mohit ShuklaMohit Shukla   31 March 2021 10:45 AM GMT

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यूपी: लखीमपुर के प्रगतिशील गन्ना किसान अचल मिश्रा को प्रथम पुरस्कार, इन किसानों को मिलेंगे 21 हजार से 51 हजार तक रुपए

अचल ने अपने खेतों के बीच खास फार्म बना रखा है जहां वो नर्सरी के साथ मधुमक्खी पालन, कड़कनाथ मुर्गा, एजोला उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट आदि भी बनाते हैं (फोटो- गाँव कनेक्शन)

मढईपुरवा/लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। प्रदेश में गन्ने की बेहतर खेती करने वाले पांच किसानों को उत्कृष्ट कार्य पुररस्कार 2020-21 से सम्मानित किया जाएगा। गन्ने में बेहतर उत्पादन और गन्ने के साथ सहफसली खेती, मधुमक्खी पालन, औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान अचल मिश्रा को उत्तर प्रदेश उत्कृष्ट एकीकृत कृषि पुरस्कार में पहला स्थान मिला है। वहीं सहकारी समितियों में पहला पुरस्कार सहकारी गन्ना समिति खतौली मुज्जफरनगर, वहीं चीनी मिल कैटेगरी में अयोध्या जिले की रौजागांव चीनी मिल को पहला स्थान मिला है। विजेताओं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द नगद राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेंगे।

उत्कृष्ट कार्य पुररस्कार 2020-21 के लिए पांच किसानों का चयन किया गया है। जिनमें लखीमपुर खीरी के अचल मिश्रा को प्रथम पुरस्कार (51000 रुपए), बुलंदशहर जिले के गिरीश कुमार सिंह को द्वितीय पुरस्कार (31000 रुपए) और तीन किसानों को नरेंद्र बहादुर सिंह (आजमगढ़), अनिल कुमार (कुशीनगर) और अयोध्या प्रसाद, (शाहजहांपुर) को 21000 रुपए नगर और प्रशस्ति पत्र दिए जाएंगे।

यूपी के गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने 26 मार्च को उत्कृष्ट कार्य पुररस्कार 2020-21 के लिए किसानों, चीनी और सहकारी समितियों के नाम का ऐलान किया था।


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 181 किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी जिले दुधवा के जंगलों के करीब अचल मिश्रा 60 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं। लखीमपुर जिले को भारत का चीनी का कटोरा कहा जाता है। अपने खेती में वो नए-नए प्रयोग भी करते हैं।

जिले के बिजुआ ब्लॉक के मढईपुरवा में रहने वाले अचल गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारी मुख्य खेती गन्ने की है, हर 15-16 किस्मों की खेती करता हूं। गन्ना ट्रेंच विधि से बोते हैं, उससे पहले उसकी नर्सरी तैयार करते हैं। पिछले कई वर्षों से अपनी तैयार नर्सरी आसपास के कई जिलों के किसानों को भी देता हूं। गन्ने के साथ धान-गेहूं, शिमला मिर्च, ब्रोकली, हल्दी, सरसों, लहसुन प्याज, अदरक और दूसरी सब्जियों की खेती करता हूं। गन्ने के साथ ब्रोकली मिर्च समेत दूसरी फसलों की खेती करता हूं। नई-नई चीजें सीखता हूं और उनका अपने खेतों में प्रयोग करता हूं।'

लखीमपुरखीरी जिले के गन्ना अधिकारी बृजेश पटेल ने गांव कनेक्शन को बताया कि अलग-अलग कैटेगरी में जिले के दो किसानों को प्रदेश स्तर पर पुरस्कार मिला है। ज्यादा उत्पादन के लिए राजेंद्री देवी को और उत्कृष्ट कृषि कार्य योजना में अचल मिश्रा को पुरस्कार मिला है। हमारे जिले में गन्ने की औसत उपज 863 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि राजेंद्री देवी ने 2400 क्विटंल का उत्पादन लिया है, वहीं अचल मिश्रा गन्ने की खेती के उससे जुड़े कार्यों में बेहतर काम के लिए पुरस्कार किया गया है।

गन्ने के साथ करते है एकीकृत कृषि

अचल ने अपने खेतों के बीच खास फार्म बना रखा है जहां वो नर्सरी के साथ मधुमक्खी पालन, कड़कनाथ मुर्गा, एजोला उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट आदि भी बनाते हैं, ताकि में इनपुट कॉस्ट (लागत) कम हो और उत्पादन बेहतर हो सके।

अचल बताते हैं, "आज के समय में ज्यादा उत्पादन के लिए कई किसान मनमाने ढ़ंग से रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने लगे हैं, जिससे खेती का लगात बढ़ती जाती है लेकिन अगर मुर्गी की खाद, वर्मी कंपोस्ट और एजोला आदि से सही तरीके की देसी खादें बनाई जाएं तो न सिर्फ बाजार से कम उर्वरक खरीदनी होंगी बल्कि उत्पादन भी बढ़ता है।"

अपनी खेती की सफलता को लेकर अचल मिश्रा बताते हैं, गन्ना लंबी अवधि की फसल है, तो हम लोग क्या करत हैं, गन्ने के साथ सहफसली खेती करते हैं। जैसे गन्ने के साथ लहसुन, सरसों, ब्रोकली,आदि बीच में बो देते हैं तो जब तक गन्ने की फसल बड़ी होती है दूसरी फसलें तैयार हो जाती हैं। इससे हमें सिर्फ गन्ने के उत्पादन का ही इंतजार नहीं करना पड़ता।'

उत्कृष्ट कार्य योजना पुरस्कार

गन्ने की खेती के साथ एकीकृत कृषि करने वाले किसानों को पुरस्कृत करने के लिए सरकार ने वर्ष 2018 में उत्कृष्ट कार्य योजना पुरस्कार की शुरुआत किया था। इसके तहत जिले में गन्ने के साथ एकीकृत कृषि करने वाले किसान एवं प्रदेश की चीनी मिलें साथ ही गन्ना सोसायटी इसमें प्रतिभाग करती हैं इसके लिए किसानों को अपना आवेदन संबंधित जिले के जिला गन्ना अधिकारी के यहां आवेदन करना पड़ता है।

इसके बाद प्राप्त आवेदनों को जिला अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनती है उसमें चयन होने के बाद जिले से 3 किसान मंडल स्तर पर चुने जाते हैं फिर मंडल स्तर पर मंडलायुक्त के तत्वाधान में कमेटी गठित होती है। उसमें चयनित किसानों को प्रदेश स्तर की कमेटी पर भेजा जाता है फिर वह किसान प्रदेश स्तर पुरस्कार के लिए चयनित होकर उन को पुरस्कृत किया जाता है जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹51000 द्वितीय पुरस्कार ₹31000 एवं तृतीय पुरस्कार ₹21000 रखा गया है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में लखीमपुर और बागपत के किसानों का परचम

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2020-21 के अंतर्गत म के लिए भी नामों का ऐलान कर दिया गया है। बागपत जिले में गांव रन्छाड़ श्रीचरण सिंह पुत्र रामधन के पेड़ी (सेकेंड राउंड) गन्ना (.0238 प्रजाति) संवर्ग में 1,809 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज के साथ पहला स्थान हासिल किया। वहीं लखीमपुर जिले की राजेंद्री देवी को पौधा संवर्ग में पहला स्थान मिला है। राजेंद्री देवी ने अपने गन्ने (प्रजाति .0238) के खेत में 2471 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन लिया है।

30 मार्च को पुरस्कारों का ऐलान करते हुए प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश से कुल 120 आवेदन मिले थे, गन्ना फसल प्रतियोगी खेती की कटाई के लिए राज्य स्तर से अधिकारी नामित किए गए थे, उनके प्रमाणपत्रों के आधार पर किसानों को विजयी घोषित किया गया है। विजयी किसानों को 50-50 हजार रुपए की नगद राशि की जाएगी।

सभी विजयी किसानों, गन्ना विकास समितियों और चीनी मिलों को गन्ना मंत्री उपस्थिति में जल्द लखनऊ में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित करेंगे।



उत्कृष्ट कार्य पुररस्कार 2020-21

1.अचल मिश्रा, लखीमपुर खीरी (प्रथम)

2.गिरीश कुमार सिंह, बुलंदशहर (द्वितीय पुरस्कार)

3.नरेंद्र बहादुर सिंह, आजमगढ़ (तृतीय पुरस्कार)

4.अनिल कुमार, कुशीनगर (तृतीय पुरस्कार)

5.अयोध्या प्रसाद, शाहजहांपुर (तृतीय पुरस्कार)

राज्य स्तरीय गन्ना उत्पादकता पुरस्कार 2020-21

1.श्रीचरण सिंह, बागपत

2.राजेंद्री देवी, लखीमपुर खीरी


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