यूपी पंचायत चुनाव से पहले का हाल: गांव में दिखने लगे नेता जी, चाय-पान का भी बंदोबस्‍त

Ranvijay SinghRanvijay Singh   25 Nov 2019 10:14 AM GMT

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यूपी पंचायत चुनाव से पहले का हाल: गांव में दिखने लगे नेता जी, चाय-पान का भी बंदोबस्‍तबाराबंकी के ग्राम पंचायत छेदा में चाय की दुकान पर बैठकर चर्चा करते लोग। फोटो- व‍िरेंद्र स‍िंह

शाम का वक्‍त है। गांव के चौराहे पर गहमागहमी तेज है। चौराहे पर ही मौजूद नत्‍थू चाय वाले की दुकान पर चूल्‍हे पर रखी भगोना भर चाय उबल रही है। इस बीच चार लड़के नत्‍थू की चाय की दुकान पर आते हैं। चार चाय और 20 रुपए के पकौड़े खाने के बाद जैसे ही पैसे देने के लिए एक लड़का आगे बढ़ता है, कुर्ता पायजामा पहने एक नेता जी तपाक से उसका हाथ पकड़ लेते हैं। नेता जी लड़के को देख कहते हैं, 'अरे तू त घरे के लइका हव, रहे द हम पैसा देई देम।' नेता जी इतना कहते हुए ही बगल की जेब से 100 रुपए का नोट निकाल कर नत्‍थू को थमा देते हैं।

यह वाक्‍या उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले के अजना गांव के चौराहे का है। जो नेता जी चाय-पकौड़े की दावत बांट रहे हैं, वो एक बार फिर ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। जिस शाम को उन्‍होंने उन चार लड़कों के चाय-पकौड़े का पैसा दिया, उससे पहले और बाद में भी वो कई लोगों को चाय-पकौड़े की दावत दे चुके थे। उस शाम और अगले दिन सुबह तक गांव में चर्चा तेजी थी कि ठाकुर साहब ने खूब दावत लुटाई है।

देवरिया जिले के अजना गांव के चौराहे का यह नजारा इन दिनों उत्‍तर प्रदेश के कई गांव में देखने को मिल रहा है। कहीं नेता जी स्‍वास्‍थ्‍य कैंप लगवा रहे हैं तो कहीं प्रधान जी अपने दरवाजे पर कउड़ा (आग) तापने जुटे गांव वालों को पान, बीड़ी और चाय ऑफर करते हुए अपने काम गिनाते नहीं थक रहे हैं। गांवों में इस तरह की दावतें और इस तहर के नाजरे इस लिए आम हो चले हैं कि प्रदेश की 58 हजार से ज्‍यादा ग्राम पंचायतों में साल भर के अंदर ही पंचायत चुनाव होने हैं, जिसका ऐलान अगले साल किसी भी महीने में हो सकता है। ऐसे में कोइ भी नेता अपना दावा कमजोर करना नहीं चाहता है।

सीतापुर के गांव पिपरी शादीपुर में बैठकर चर्चा करते लोग। फोटो- मोहित शुक्‍ला

पंचायत चुनाव से पहले की यह गहमागहमी बाराबंकी जिले की ग्राम पंचायत रंजीतपुर सोनहारा में भी देखने को मिल रही है। गांव के ही संतोष मिश्रा बताते हैं, ''जबसे नेता जी लोग सुन लिए हैं कि एक साल के भीतर-भीतर चुनाव होना है सब दिखने लगे हैं। नेता जी लोग होटलों और पान की दुकान पर खूब चर्चा और खर्चा कर रहे हैं। अभी यह शुरुआत है, आने वाले दिनों में इनका खर्चा करना और तेज होगा।''

संतोष मिश्रा की तरह ही बाराबंकी जिले की ग्राम पंचायत छेदा के रहने वाले विपिन गौतम भी कहते हैं, ''पिछले कुछ महीनों से ग्राम प्रधान के बर्ताव में बदलाव साफ देखने को मिल रहा है। अब प्रधान जी के दरवाजे पर पान खाने वालों के लिए पान की व्‍यवस्‍था है और बैठो तो चाय अलग से मिल रही है। इस बीच प्रधान जी गांव में अपने काम के बारे में भी बात रहे हैं।''

बाराबंकी की तरह का ही हाल बरेली में भी देखने को मिल रहा है। बरेली जिले की पिपौली ग्राम पंचायत के रहने वाले सचिन गंगवार बताते हैं, ''चुनाव में एक साल बाकी है। ऐसे में प्रधान के अलावा ही गांव में कई नेता दिखाई दे रहे हैं। साथ ही वर्तमान प्रधान के काम में कमी निकालने का काम भी शुरू हो गया है। दूसरे नेता किसी ने किसी बात को लेकर आए दिन लोगों को समझाते हैं कि प्रधान ने घोटाला कर दिया है। अब जब तक चुनाव नहीं हो जाता गांव में ऐसा ही माहौल रहेगा।''

सचिन जिस माहौल की बात कर रहे हैं इसी का जिक्र करते हुए सिर्द्धाथनगर जिले के हसुड़ी ग्राम पंचायत के प्रधान दिलीप त्रिपाठी कहते हैं, ''इसमें कोई दो राय नहीं है कि चुनाव से पहले गांव में विपक्ष के लोग प्रधान के काम में गलतियां निकालने में लग ही जाते हैं। हमारे यहां भी ऐसा हो रहा है। विपक्ष के लोग गांव के लोगों से बात कर रहे हैं, लेकिन एक तरह से यह अच्‍छा है कि कम से कम नेता लोगों के बीच आ तो रहे हैं। मैंने अपने कार्यकाल में काम किया है और मैं उसके बारे में लोगों से बात करूंगा ही।'' दिलीप त्रिपाठी देश के उन चुनिंदा ग्राम प्रधानों में से हैं जिन्‍हें अपने बेहतर काम के लिए ''नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार'' मिला है।

बरेली जिले की पिपौली ग्राम पंचायत में गांव के बाहर बने मचान पर बैठे लोग। फोटो- फाइल

उत्‍तर प्रदेश का जिला सीतापुर भी चुनाव से पहले की इस गहमागहमी से अछूता नहीं है। सीतापुर के पिसावां ब्‍लॉक पर क्षेत्र के ग्राम प्रधान रोजाना गांव से किसी न किसी को लेकर पहुंच रहे हैं। इसमें बड़ी संख्‍या उन लोगों की है जिन्‍हें पेंशन बनवाना है। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत लिलसी के ग्राम प्रधान भी चार महिलाओं को लेकर ब्‍लॉक पर पहुंचे थे। इन महिलाओं को विधवा पेंशन बनवाना था। पिछले चार साल से पेंशन मिलने का इंतजार कर रही इन महिलाओं का इंतजार चुनाव से ठीक पहले खत्‍म होता दिख रहा है।

जब इस बारे में ग्राम पंचायत लिलसी के प्रधान आदित्‍य शुक्‍ला से बात की गई तो वो कहते हैं, ''चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। हम लोग जन सेवा के काम से जुड़े हैं। ऐसे में हम लोगों की सेवा हमेशा करते आए हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है। हां चुनाव से पहले गांव में बहुत से नेता सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन हम उनमें से नहीं हैं।''

फिलहाल प्रधानों की इस हां-ना के बीच में गांव में चुनाव से पहले का माहौल तो तैयार हो ही रहा है। और इस माहौल का सबसे ज्‍यादा और सीधा असर वहां के वोटर्स पर पड़ता नजर आ रहा है। उन वोटर्स पर जिनके पास इन नेताओं के किस्‍मत की चाबी है।

इनपुट- बाराबंकी से विरेंद्र सिंह, सीतापुर से मोहित शुक्‍ला


   

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