महाराष्ट्र और राजस्थान के बाद अब उत्तर प्रदेश में किसान खोलेंगे मोर्चा

Kushal MishraKushal Mishra   15 March 2018 8:43 PM GMT

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महाराष्ट्र और राजस्थान के बाद अब उत्तर प्रदेश में किसान खोलेंगे मोर्चालखनऊ में रैली के दौरान सरकार के खिलाफ हुंकार भरते किसान।

लखनऊ। महाराष्ट्र और राजस्थान के बाद अब उत्तर प्रदेश में किसान एकजुट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों के इस महामोर्चा की तैयारी को लेकर गुरुवार को राज्य के कोने-कोने से आए हजारों किसानों ने ‘आत्महत्या नहीं संघर्ष करेंगे’ की हुंकार भरी।

बड़ी संख्या में ये किसान उत्तर प्रदेश किसान सभा के बैनर तले गुरुवार को लक्ष्मण मेला मैदान में विशाल ‘किसान प्रतिरोध रैली’ के दौरान एकत्र हुए। रैली के दौरान किसानों ने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव, तहसीलों, जिला मुख्यालयों और विधान सभा तक चरणबद्व मार्च करेंगे और अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।

रैली के मुख्य वक्ता महाराष्ट्र में किसानों लांग मार्च के नायक व अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले ने कहा, “देश और प्रदेश की मौजूदा सरकारों के एजेंडे से किसान गायब हो चुका है। ये सरकारें नीरव मोदी, माल्या जैसे लोगों की समर्थक है, जो देश की जनता का पैसा लेकर विदेशों में भाग कर मौज करते हैं।“

उन्होंने आगे कहा, “यह रैली ऐसे वक्त में हो रही है, जब बीती 14 तारीख को उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनाव के नतीजे आये हैं और किसान विरोधी मोदी और योगी सरकार के खिलाफ जनता ने अपने गुस्से को जाहिर किया है।“

उत्तर प्रदेश की यह रैली उन संघर्षो में महत्वपूर्ण कड़ी

ढवले ने कहा, “देश के कोने-कोने पर किसानों के संघर्ष चल रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश की यह रैली उन संघर्षो में महत्वपूर्ण कड़ी है। आज बैंकों का सबसे बड़ा कर्ज कोर्पोरेट लिये बैठे हैं और उसका ब्याज भी सरकार माफ कर दे रही है। जिसका खमियाजा किसानों को कर्जें में डूबकर आत्महत्या करके चुकाना पड़ रहा है।“ उन्होंने किसानों से एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया।

किसान को लागत मूल्य का वाजिब दाम मुहैया कराया जाए

वहीं किसान सभा के केन्द्रीय महामंत्री हन्नान मोल्ला ने किसान सभा के संघर्षों को याद करते हुए लखनऊ में उसकी नींव होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “यदि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलने लगे तो इस देश के किसानों को खुशहाली से कोई नहीं रोक सकता। हमारा किसान मेहनतकश है और वह पथरीली जमीन से भी सोना उगा सकता है। बस जरूरी है कि उसे उसकी लागत मूल्य का वाजिब दाम मुहैया कराया जाये। यह तभी संभव हो पायेगा, जब सरकार देश में स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी।“

आगे कहा, “परन्तु पिछले लोकसभा चुनाव में छाती ठोंक कर इसे लागू करने का दंभ भरने वाले नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद आज तक इससे मुंह मोड़ने का कार्य कर रहे हैं। किसानों को अपने अधिकार, संघर्ष और आन्दोलन के दम पर लेने होंगे। हमारा संघर्ष इतना तीखा और तीव्र होना चाहिए जिससे हमारा दुश्मन कांप जाए और हमारा दोस्त प्रफुल्लित हो जाए।“

प्रदेश सरकार की कर्जमाफी जैसी लुभावनी बातें हवा-हवाई

अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा, “प्रदेश सरकार की कर्जमाफी जैसी लुभावनी बातें हवा-हवाई थी। जमीनी स्तर पर किसी किसान का 10 रुपए माफ किया गया तो किसी का 40, जबकि दावे करोड़ों के हुए हैं। यह सरकार केवल जुमलेबाजी से ज्यादा कुछ कर रही है। ऊपर से नोटबंदी कर किसानों की कमर तोड़ने का काम अवश्य की है।“

किसान सभा के संयुक्त सचिव एन.के. शुक्ला ने कहा, “मोदी और योगी की सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी का काम किया है। कृषि क्षेत्र गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। खेती घाटे का सौदा बन गई है। इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार है। हमें इसका प्रतिरोध करना चाहिये, अन्यथा कब हम अपना खेत होते हुए भी पूंजीपतियों के गुलाम बन जाएंगे। पता ही नहीं चलेगा।“

रणनीति पर रखा विचार

रैली के शुरुआत में ही मुकुट सिंह ने प्रमुख मांगें और उस पर आगे के आन्दोलन व रणनीति पर विचार रखा, जिस पर सभी किसानों ने लड़ाई तेज करने को कहा कि उत्तर प्रदेष में भी प्रमुख मुद्दे व मांग फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम और किसानों को कर्ज मुक्ति के वादे को प्रधानमंत्री पूरा करें।

योगी सरकार से मांग है कि यूपी में बिजली की दरों में भारी वृद्धि और 7 जिलों में निजीकरण वापसी, खेती में ठेकाकरण और कार्पोरेटीकरण रोको, पशु व्यापार पर पाबंदियां हटाकर आवारा पशुओं से फसल की रक्षा, 60 पार किसानों-मजदूरों को 5000 रू0 प्रतिमाह पेंशन, सभी को सस्ता राशन, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को रोका जाए।

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