यूपी में लेखपालों की हड़ताल से ग्रामीण परेशान

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   27 Dec 2019 1:13 PM GMT

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लखनऊ। "जमीन की पैमाइश के लिए एक माह से तहसील के चक्कर लगाते-लगाते थक गया हूं। तहसील के बड़े बाबू ने कहा था कुछ दिन में काम हो जाएगा, लेकिन इसी बीच लेखपालों की हड़ताल शुरू हो गई है। हड़ताल की वजह से मेरा काम लटका हुआ है," किसान रामकुमार सिंह ने फोन पर कहा।

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रहने वाले रामकुमार सिंह (55 वर्ष) इसलिए परेशान हैं क्योंकि उनकी ज़मीन की पैमाइश का काम लेखपाल को करना है और वो हड़ताल पर हैं। दस दिसंबर-2019 से प्रदेश के 24 हजार लेखपालों के हड़ताल पर चले जाने से सबसे अधिक परेशानी गाँव के लोगों को उठानी पड़ रही है। लेखपालों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से लाखों किसानों के राजस्व से जुड़े काम अटक गए हैं।

राजस्व विभाग से जुड़े ज्यादातर काम लेखपाल के ही जिम्मे होते हैं। जनता से सीधे तौर पर जुड़े 52 कार्य ऐसे हैं जो लेखपालों के बिना नहीं हो सकते। खसरा तैयार करना, जमीन नामांतरण दर्ज कराना, ज़मीन की पैमाइश, बंटवारा प्रस्ताव बनाना, आईजीआरएस, तहसील और थाना दिवस में आने वाली शिकायतों के निस्तारण में सहयोग, आय- जाति व निवास प्रमाण पत्रों की जांच, हैसियत प्रमाण पत्रों की जांच, आवास सूची की जांच आदि लेखपालों के प्रमुख कार्य हैं।

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आठ मांगो को लेकर हड़ताल पर हैं प्रदेश के राजस्व लेखपाल।

लेखपालों की मांग है कि वेतन विसंगति दूर हो, वेतन में बढ़ोत्तरी हो, प्रमोशन किया जाए, पेंशन निर्धारित हो, भत्ते दिए जाएं, पदनाम को बदला जाए, राजस्व उपनिरीक्षक नियमावली लागू हो और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में खुलने वाले खाते में प्रोत्साहन राशि दी जाए।

हड़ताल पर लेखपाल संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम मूरत यादव ने फोन पर कहा, "बर्खास्तगी और निलंबन के बावजूद वह न तो डरेंगे और न ही अपना आंदोलन वापस लेंगे। देश के अन्य प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश के लेखपालों को भी वेतन मिलना चाहिए। हम चाहते हैं कि प्रदेश सरकार हमारी मांगों को जल्द से जल्द मांगें माने और हम हड़ताल वापस लें। हम नहीं चाहते कि हमारी हड़ताल से किसी को परेशानी हो।"

इस बारे में गोरखपुर के पिपराइच विकासखंड के गाँव रमवापुर निवासी युवा किसान अजय प्रताप मिश्रा (34वर्ष) फोन पर कहते हैं, "गाँव और किसान का सारा काम लेखपालों के हाथों की होता है। बिना लेखपाल के किसान एक कदम भी आगे नहीं चल सकता। ऐसे में लेखपालों की हड़ताल का सबसे ज्यादा असर किसानों पर ही पड़ रहा है। मुझे गेहूं का बीज लेना था। लेखपाल की रिपोर्ट के बाद ही खतौनी पर मुझे बीज मिल सकता है, लेकिन एक सप्ताह से इसके लिए चक्कर लगा रहा हूं।"

हड़ताल की वजह से जन सेवा केंद्रों पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। लखनऊ जनपद के गोइसाइगंज कस्बे में जन सेवा केंद्र चलाने वाले अनिल ने फोन पर कहा, " हमारे यहां मुख्य रूप से आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र के ऑनलाइन आवेदन भरे जाते हैं। बाद में इन आवेदनों पर लेखपाल की रिपोर्ट लगती है, इसके बाद ही ये प्रमाण पत्र तहसीलों द्वारा आवेदकों को जारी किए जाते हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से कोई काम नहीं हो रहा है।"

एक तरफ लेखपाल हड़ताल पर अड़े हैं, तो वहीं प्रदेश सरकार भी लेखपालों की मांगें मानती नहीं दिख रही। सरकार ने कड़े निर्णय लेते हुए हड़ताल में शामिल 100 से अधिक लेखपालों को निलंबित कर दिया है और 300 से ज्यादा को नोटिस जारी किया है।

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