यूपी : आंगनवाड़ी केंद्रों से अब गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को मिलेगा सूखा राशन, समूह की महिलाएं करेंगी मदद

महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तराखंड की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी हर महीने की चार से छह तारीख को लाभार्थियों को मिलेगा लाभ, अलग-अलग रंग के कंटेनर में गेहूं, चावल, दाल, घी और पाउडर वाला दूध भी दिया जाएगा

Ajay MishraAjay Mishra   16 Oct 2020 6:29 AM GMT

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यूपी : आंगनवाड़ी केंद्रों से अब गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को मिलेगा सूखा राशन, समूह की महिलाएं करेंगी मददउत्तर प्रदेश में अब समूह की महिलाओं की मदद से अब आंगनवाड़ी केन्द्रों में लाभार्थियों को वितरण किया जाएगा सूखा राशन।

कन्नौज/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आंगनवाड़ी केंद्रों से अब गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और कुपोषित बच्चों को अलग-अलग रंग के कंटेनर में सूखा राशन दिया जाएगा।

इसके साथ हर महीने की चार से छह तारीख तक दो शिफ्टों में दाल, घी और दूध का पाउडर भी बांटा जाएगा। लाभार्थियों को सूखा राशन बांटने के काम में समूह की महिलाएं भी मदद करेंगी।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में तैयारी शुरू कर दी गयी हैं।

बाल पुष्टाहार विभाग से कन्नौज की प्रभारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलम कटियार 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "प्रदेश में अगस्त से पुष्टाहार वितरण का कार्य बंद हो गया था, मगर अब महिलाओं और बच्चों को सूखा राशन वितरण का काम दोबारा शुरू किया जा रहा है, ख़ास बात यह है कि इसमें आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के साथ समूह की महिलाएं भी मदद करेंगी।"

सूखा राशन वितरण के कार्य में समूह की महिलाएं भी करेंगी मदद।

एनआरएलएम के डीएमएम कन्नौज शिव बिहारी 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "महाराष्ट्र, झारखंड व उत्तराखंड की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में हर महीने चार से छह तारीख को चिह्नित लाभार्थियों को सूखे राशन दिया जाएगा। गेहूं और चावल भारतीय खाद्य निगम के जरिए स्वयं सहायता समूह को स्थानीय स्तर पर पीडीएस से मिलेगा। इसके अलावा तेल, घी और स्किम्ड मिल्क पाउडर प्रदेश को-ऑपरेटिव डेरी फेडरेशन से समूह को दिया जाएगा।"

"साथ ही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दाल खरीदेंगी और समूह की ओर से ड्राई राशन का स्थानीय क्रय और निर्धारित मात्रा में वजन व पैकिंग कर आंगनवाड़ी केंद्रों में विभिन्न श्रेणी के लाभार्थियों को हर महीने दिया जाएगा। सूखा राशन देने के लिए अलग-अलग रंग के कंटेनर का उपयोग किया जाएगा," शिव बिहारी बताते हैं।

समूह की महिलाएं कंटेनर में करेंगी पैकिंग

समूह की महिलाएं अलग-अलग रंग के कंटेनर में अनाज, देसी घी, दूध पाउडर और दाल की पैकिंग करेंगी। इसके अलावा प्लास्टिक के कंटेनर में खाद्य ग्रेड की गुणवत्ता की जानकारी होगी। समूह को एसआरएलएम की ओर से आवश्यक क्षमता और संख्या के कंटेनर देगा। इसके अलावा सभी कार्यकत्री को कंटेनरों का अतिरिक्त सेट भी दिया जाएगा।

सामग्री के कंटेनर के यह होंगे रंग

हल्का नीला कंटेनर छह महीने से तीन साल तक के बच्चे के लिए होगा।

तीन साल से छह साल तक के बच्चे को हल्का हरा कंटेनर मिलेगा।

लाल रंग के कंटेनर में गंभीर कुपोषित बच्चे के लिए सामग्री होगी।

पीले रंग के कंटेनर में गर्भवती और धात्री महिलाओं को सामग्री मिलेगी।

11 से 14 साल की किशोरियों को गुलाबी रंग के कंटेनर में वितरण होगा।

लाभार्थियों को हर महीने में मिलेगी यह सामग्री

छह महीने से तीन साल तक के बच्चे के लिए एक किलो चावल, डेढ़ किलो गेहूं, 750 ग्राम दाल, 450 ग्राम घी और 400 ग्राम स्किम्ड मिल्क मिलेगा।

तीन साल से छह साल तक के बच्चे के लिए एक किलो चावल और डेढ़ किलो गेहूं और 400 ग्राम स्किम्ड मिल्क दिया जाएगा।

गर्भवती, धात्री महिलाएं और 11 से 14 साल तक की किशोरियां को एक किलो चावल व दो किलो गेहूं मिलेगा। साथ ही 750 ग्राम दाल, 450 देसी घी और 750 ग्राम स्किम्ड मिल्क दिया जाएगा।

अति कुपोषित बच्चे छह महीने से तीन साल के लाभार्थियों के लिए डेढ़ किलो चावल, ढाई किलो गेहूं, 500 ग्राम दाल, 900 ग्राम देसी घी और 750 ग्राम स्किम्ड मिल्क मिलेगा।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री करेंगी देखरेख

इस बारे में जिला मिशन प्रबंधक शिव बिहारी बताते हैं, "सूखा राशन दिए जाने की पूरी देखरेख आंगनबाड़ी कार्यकत्री करेंगी। फिलहाल झारखंड जैसे प्रदेशों की तर्ज पर पंजीरी यानी पुष्टाहार को बंद कर छह महीने के लिए ड्राई राशन बांटा जाएगा। ट्रायल सफल होने पर इसे आगे भी बढ़ाया जाएगा। अभी तक 60-70 महिलाओं का चयन हो गया है और 150-175 समूह की महिलाओं को जोड़ा जाएगा।"

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