मिर्जापुर के किसानों ने कहा- 'हमसे जमीन ले लेते, लेकिन हमारी खड़ी फसल क्‍यों बर्बाद की'

Ranvijay SinghRanvijay Singh   3 March 2020 11:04 AM GMT

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मिर्जापुर के किसानों ने कहा- हमसे जमीन ले लेते, लेकिन हमारी खड़ी फसल क्‍यों बर्बाद की

''हम साहब से कहने गए थे कि हमारी जमीन पर फसल लगी है, 20-25 दिन और रुक जाइए ताकि हम फसल काट सकें, लेकिन साहब ने हमारी नहीं सुनी। हमें लाठ‍ियों से मारा और गेहूं की खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी। यह तो गलत है न! अब हम क्‍या खाएंगे?'' यह शब्‍द मिर्जापुर के जाधवपुर गांव के रहने वाले 71 साल के श्रीराम बिहारी के हैं।

श्रीराम बिहारी मिर्जापुर के उन किसानों में से एक हैं जिनकी खड़ी फसल पर प्रशासन की ओर से जेसीबी चलवा दी गई। प्रशासन ने यह कार्रवाई इसलिए कि क्‍योंकि मिर्जापुर के अदलहाट थाना क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के निर्माण का काम शुरू हो गया है। इस बीच करीब 12 गांव के किसानों ने अध‍िग्रहित जमीन पर फसल लगा रखी थी। ऐसे में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए रेलवे टैक से सटकर सात किलोमीटर की दूरी तक की फसल को जेसीबी से रौंदवा दिया, जिससे करीब 12 गांव के 500 से ज्‍यादा किसान प्रभावित हुए हैं।

जाधवपुर गांव के ही रहने वाले आनंद कुमार की जमीन भी रेलवे ट्रैक के लिए अध‍िग्रहित हुई है और उनकी भी गेहूं की फसल पर जेसीबी चलवाई गई। आनंद कुमार कहते हैं, ''हमने जमीन देने के लिए मना किया ही नहीं था, बस एक शर्त थी कि खड़ी फसल को काट लें। उतनी बात भी नहीं सुनी गई। इससे पहले नवंबर में जब यही अध‍िकारी किसानों की पंचायत में पहुंचे थे तो फसल काटने के बाद भी कोई काम करने की बात कही थी और अब इसके उल्‍टा ही काम कर दिया।''

किसानों की रौंदी गई फसल।

आनंद कुमार ज‍िस किसान पंचायत की बात कर रहे हैं वो 27 नवंबर 2019 को हुई थी। इस पंचायत में प्रशासनिक अध‍िकारी भी पहुंचे थे। इसमें यह हुआ था कि किसानों की फसल कटने के बाद ही प्रशासन जमीन पर कब्‍जा लेगा। उस वक्‍त प्रशासन अध‍िकारियों की ओर से भी किसानों को यह आश्‍वासन दिया गया, लेकिन एक मार्च 2020 को प्रशासन ने अध‍िग्रहित जमीन से अतिक्रमण हटाने का काम शुरू कर दिया। जमीन पर किसानों की फसल थी जिसे जेसीबी से रौंद दिया गया।

प्रभावित गांव के किसानों में से कई ऐसे किसान भी हैं जो अध‍िग्रहण से नाखुश हैं। इन्‍हीं में से एक हैं गोरखपुर माथी गांव के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह, जिन्‍हें इस बात की श‍िकायत है कि अध‍िग्रहण के वक्‍त यह फैसला हुआ था कि जिनकी जमीन भी ली जाएगी उनके परिवार में एक शख्‍स को नौकरी दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

धर्मेंद्र कहते हैं, ''हमारी जमीन का अध‍िग्रहण 2009 में हुआ था। इसके बाद सरकार ने एक शासनादेश जारी किया कि जिनकी जमीन ली गई है उनके परिवार में एक आदमी को नौकरी दी जाएगी। हमें बहुत आशा थी कि किसी को रेलवे में नौकरी मिल जाएगी, लेकिन नहीं मिली। यह तो धोखा है।''

फिलहाल इस मामले में किसानों और जिला प्रशासन के बीच बातचीत चल रही है। वहीं, ग्रामीणों के लाठीचार्ज के आरोप पर जिलाधिकारी सुशील पटेल ने विभ‍िन्‍न मीडिया संस्‍थानों को एक ही बात बताई है कि मौके पर लाठीचार्ज नहीं हुआ है।

वहीं, इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले पर ट्वीट किया कि ''मिर्जापुर के किसानों ने मेहनत से अपनी फसल लगाई थी और भाजपा सरकार की पुलिस ने खड़ी फसल रौंद दी। कल मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए खूब झूठे ऐलान किए और 24 घंटे भी नहीं बीते कि महिला किसानों के साथ सरकार का व्यवहार देखिए। किसान विरोध भरा है भाजपा के अंदर।''




 

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