यह खबर सिर्फ उत्तराखंड की महिलाओं और बालिकाओं के लिए है, 25 फरवरी का दिन उनके जीवन में लाएगा बड़ा बदलाव
Sanjay Srivastava 20 Feb 2018 3:30 PM GMT
नयी दिल्ली। उत्तराखंड सरकार महिलाओं और बालिकाओं के लिए एक नई शुरुआत करने जा रही है। 25 फरवरी का दिन उत्तराखंड की महिलाओं और बालिकाओं के लिए बेहद अहम होगा। उत्तराखंड के आठ सरकारी बालिका विद्यालयों में सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। यह जानकारी उत्तराखंड की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने दी।
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगवाने का निर्णय किया है और इस परियोजना की शुरूआत राज्य के आठ बालिका विद्यालयों से की जा रही है। राज्य सरकार प्रदेश के उधमपुर नगर जिले में नैपकिन बनाने के लिए एक संयंत्र लगवा रही है।
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उत्तराखंड की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने बताया, देश में सेनिटरी नैपकिन का मुद्दा महिलाओं के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। आज भी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल न करने से कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।
उन्होंने बताया, महिलाओं एवं बालिकाओं तक हमने सस्ती सेनिटरी नैपकिन मुहैया कराने के उद्देश्य से राज्य के स्कूलों में वेंडिंग मशीन लगाने का निर्णय किया है। प्रथम चरण में इसे प्रदेश के विभिन्न जिलों के आठ बालिका विद्यालयों में लगवाया जा रहा है और आगामी 25 फरवरी से इसकी शुरूआत कर दी जाएगी। ये स्कूल उधमपुर नगर जिला सहित विभिन्न् जिलों में स्थित हैं।
एक नैपकिन की कीमत तीन रुपए होगी। वेंडिंग मशीन में तीन नैपकिन का एक पैकेट होगा जो दस रुपए के एक अथवा पांच-पांच रुपए के दो सिक्के डालने के बाद निकलेगा।
रेखा आर्य ने बताया, परियोजना को बाद में सूबे के अन्य बालिका स्कूलों तक बढ़ाया जाएगा। हमारा फोकस ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और बालिकाओं पर है क्योंकि शहर में नैपकिन का प्रचलन पहले से है। सरकार की योजना आंगनवाडी कार्यकर्ताओं की मदद से ग्रामीण महिलाओं के बीच नैपकिन बांटने की है। इसके लिए उन्हें प्रति नैपकिन तीन रुपए देना होगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि नैपकिन बनाने के लिए प्रदेश के उधमसिंहनगर जिले के रूद्रपुर में एक संयंत्र भी लगाया गया है जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री 25 फरवरी को करेंगे। फिलहाल इसकी क्षमता प्रतिदिन 500 नैपकिन के उत्पादन का है लेकिन बाद में इसे बढ़ा कर प्रतिदिन 800 करने का भी विचार है।
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रेखा ने जोर देकर कहा कि सरकार का मकसद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और युवतियों के बीच इसके लिए जागरूकता फैलाना भी है।
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इनपुट भाषा
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