हाईकोर्ट का अहम फैसला जानवरों को इंसानों की तरह कानूनी अधिकार

पशुओं के एक बार में 2 घंटे से ज्यादा पैदल चलाने पर रोक लगेगी। पशुओं के स्वास्थ्य, भोजन, इलाज के साथ ही उनकी भावनाओं और संवेदनाओं का ध्यान रखना जरूरी होगा। किसी वाहन में 6 से अधिक पशु न लादे जाएं। पशुओं को हांकने के लिए चाबुक, नुकीली खूंटी, डंडे का इस्तेमाल न करें।

Diti BajpaiDiti Bajpai   7 July 2018 9:32 AM GMT

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हाईकोर्ट का अहम फैसला जानवरों को इंसानों की तरह कानूनी अधिकार

लखनऊ। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अनोखे फैसले में राज्य में जानवरों को कानूनी तौर पर व्यक्ति या इकाई का दर्जा देने की घोषणा की है। कोर्ट ने कहा कि जानवरों को इंसानों की तरह कानूनी अधिकार मिले। यह आदेश पक्षियों और जलीय जीवों के लिए भी लागू होगा।

जानवरों की सुरक्षा और कल्याण के लिए कोर्ट ने उत्तराखंड के सभी निवासियों को जानवरों के कल्याण की जिम्मेदारी सौंपी है। कोर्ट ने जानवरों और बग्गियों पर फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टर्स लगाने, जानवरों द्वारा खींची जाने वाली खाली गाड़ियों के वजन का सर्टिफिकेट लेने, घोड़ों, बैलों और लावारिस जानवरों के लिए उपयुक्त आकार का शेड अनिवार्य तौर पर बनाने के भी निर्देश दिए हैं। साथ ही पशुओं द्वारा भार ढोने की सीमा को भी निर्धारित कर दिया है।

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उत्तराखंड के इस अनोखे फैसले के बारे में पशुचिकित्सक और पशु कल्याण की सेवा में लगे लखनऊ जिले के डॉ एन.डी. शर्मा ने बताया, " ऐसे फैसले बदलाव तभी आ सकता है जब उनके लिए लोग जागरूक होंगे और कानूनों को सही ढ़ग से क्रियान्वयन होगा। सभी राज्यों में जानवरों की सुरक्षा को लेकर अलग-अलग कानून बने हुए लगे, लेकिन लोग इन कानूनों को लेकर जागरूक नहीं है और इनका क्रियान्वन भी ठीक तरीके से नहीं होता है। उत्तर प्रदेश में जानवरों की सुरक्षा को लेकर बदलाव किया गया है, जिसमें गाय को काटने पर सजा है लेकिन फिर भी अखबारों में हम रोज ऐसी खबरें पड़ते है।"

उत्तराखंड कोर्ट ने निर्देशों में लिखा हैं कि छोटा बैल या भैंसा 75 किलो, मध्यम बैल या भैंसा 100 किलो, बड़ा बैल या भैंसा 125 किलो, खच्चर 35 किलो, गधा 150 किलो, ऊंट 200 किलो वजन उठाएंगे। हाईकोर्ट ने जैन धर्म, महात्मा गांधी, दलाई लामा का हवाला देते हुए कहा, इन सभी ने पशुओं के प्रति दयालुता और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार पर बहुत जोर दिया है।

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सड़कों में वाहन चालक पहले बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी इत्यादि को रास्ता दें। इससे राह बाधित नहीं होगी। काम के लिए जाने वाले पशुओं को हर दो घंटे में पानी, चार घंटे में भोजन देना आवश्यक है। पशुओं के एक बार में 2 घंटे से ज्यादा पैदल चलाने पर रोक लगेगी। पशुओं के स्वास्थ्य, भोजन, इलाज के साथ ही उनकी भावनाओं और संवेदनाओं का ध्यान रखना जरूरी होगा। किसी वाहन में 6 से अधिक पशु न लादे जाएं। पशुओं को हांकने के लिए चाबुक, नुकीली खूंटी, डंडे का इस्तेमाल न करें।

        

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