उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा, कर्ज माफी और मुफ्त बिजली से नहीं बदलने वाली किसानों की स्थिति

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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा, कर्ज माफी और मुफ्त बिजली से नहीं बदलने वाली किसानों की स्थिति

मुंबई (भाषा)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने खेती-बाड़ी के काम को और अधिक मजबूत तथा व्यवहारिक बनाने के लिए किसानों को नयी प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने का काम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। नायडू ने कृषि क्षेत्र में नयी-नयी प्रौद्योगिकी के समावेश पर मुंबई में बुधवार को एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा "कृषि आज दोराहे पर है और यह क्षेत्र व्यावसायिक दृष्टि से अव्यवहारिक होता जा रहा है। लोग खेती छोड़ रहे हैं। कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में एक है।"

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उपराष्ट्रपति ने डिजिटल स्मार्ट खेती को रेखांकित करते हुए कहा कि देश में यह हकीकत बनता जा रहा है। उन्होंने किसानों, अधिकारियों तथा वैज्ञानिकों को नयी प्रौद्योगिकी को समझने तथा कृषि की लागत में कमी लाने को लेकर मदद के लिए एकजुट प्रयास करने को कहा। सम्मेलन का आयोजन एशिया पैसेफिक फेडरेशन फॉर इनफार्मेशन टेक्नोलाजी (एएफआईटीए) और वर्ल्ड कांग्रेस ऑन कंप्यूटर्स इन एग्रीकल्चर (डब्ल्यूसीसीए) ने आयोजित किया है।

उन्होंने कहा "भारत जब दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है और 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है, ऐसे में हमें समावेशी वृद्धि की जरूरत है। इसके लिए हमें कृषि को संरक्षण देने के साथ उसे बढ़ावा देने तथा उसके प्रति तरजीही रुख रखना है।" नायडू ने कृषि उपज के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा, समय पर कर्ज तथा मूल्य वर्द्धन की जरूरत बल दिया। उन्होंने कहा कि साल-दर-साल कृषि उत्पादन बढ़ा लेकिन लाभ कम हुआ है। उन्होंने कृषि शोध और प्रौद्योगिकी पर जोर देने तथा उसे गांव के लोगों तक पहुंचाने की जरूरत का आग्रह किया।

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नायडू ने आगे कहा कि किसानों को समय से पहले उनकी उपज की मांग की स्थिति के बारे में सूचना देना जरूरी है ताकि उन्हें संकट में फंसकर उसे नहीं बेचना पड़े। उन्होंने कहा "कर्ज माफी और मुफ्त बिजली स्थायी समाधान नहीं है। यह दीर्घकालिक व्यावहारिक उपाय नहीं है। हमें दीर्घकालीन योजना की जरूरत है।" नायडू ने कहा कि देश दाल, गेहूं और चावल का प्रमुख उत्पादक है। करीब 130 करोड़ की आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए हम आयातित खाद्यान्न पर निर्भर नहीं रह सकते। हमें खाद्य सुरक्षा की जरूरत है और सदाबहार क्रांति की जरूरत है।


    

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