गोरखालैंड की मांग: इंटरनेट सेवाएं अब भी बंद, जीजेएम ने विरोध मार्च निकाला  

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गोरखालैंड की मांग: इंटरनेट सेवाएं अब भी बंद, जीजेएम ने विरोध मार्च निकाला  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पोस्टर जलाते हुए जीजेएम सपोर्टर (फोटो: पीटीआई)

दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) (भाषा)। गोरखालैंड की मांग को लेकर यहां गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के समर्थकों ने प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पुतले फूंके। इस बीच, सुरक्षा बलों ने यहां की सड़कों पर गश्त किया और इंटरनेट सेवाएं सोमवार को दूसरे दिन भी बंद रही।

काले झंडे लहराते हुए प्रदर्शनकारियों, खासतौर पर युवाओं ने चौक बाजार इलाके में मार्च किया और राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री का पुतला भी फूंका और गोरखालैंड के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया। जीजेएम के कार्यकर्ता शिरीष प्रधान ने बताया, 'हमारे तीन कार्यकर्ता मारे गए हैं। हम अपनी जान देने को तैयार हैं लेकिन गोरखालैंड हासिल करने तक प्रदर्शन नहीं रोकेंगे।'

पुलिस सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिए उकसाने वाले संदेश के प्रसार को रोकने के लिए वहां इंटरनेट फिलहाल बंद कर दिया है। सुरक्षा बलों ने सड़कों पर गश्त किया क्योंकि जीजेएम के अनिश्चितकालीन बंद के पांचवे दिन भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'स्थिति अब भी तनावपूर्ण है। सुबह से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है लेकिन हम हाई अलर्ट पर हैं और किसी भी प्रकार की संभावित घटना के लिए तैयार हैं। ' मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी संबद्ध पक्षों और हितधारकों से एक सर्वदलीय बैठक में शरीक होने का अनुरोध किया है जिसे राज्य सरकार ने दार्जीलिंग की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर सिलीगुडी में 22 जून को बुलाया है।

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उन्होंने लोगों से शांति कायम रखने का अनुरोध किया और कहा, 'हिंसा किसी समस्या का हल नहीं हो सकता और और सिर्फ वार्ता ही इसे हल कर सकता है।' केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कल प्रदर्शनकारियों से हिंसा का सहारा नहीं लेने और इसकी बजाय किसी मुद्दे के हल के लिए वार्ता करने की अपील की।

दार्जीलिंग विधायक और जीजेएम के वरिष्ठ नेता अमर सिंह राय ने कहा कि सहयोगी दल भाजपा की भूमिका बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और निराश करने वाला है। हमने केंद्र सरकार से कुछ सकारात्मक चीजों की उम्मीद की थी। हमें लगता है कि केंद्र और राज्य के बीच हमारा इस्तेमाल प्यादे के रूप में किया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में दवा दुकानों को छोड़कर सभी अन्य दुकानें और होटल बंद हैं।

      

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