किसान मुक्ति संसद का दूसरा दिन : किसानों का दर्द बयां करने के लिए बनाई गई दीवार

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किसान मुक्ति संसद का दूसरा दिन : किसानों का दर्द बयां करने के लिए बनाई गई दीवारदीवारों पर किसान आत्महत्याओं की तस्वीरें लगाई गई हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली में किसान मुक्ति संसद के दूसरे दिन किसानों का दर्द दिखाने और किसानों के समर्थन के लिए एक दीवार बनाई गई है, जिसमें देश भर में हुई किसान आत्महत्याओं और किसान आंदोलन से जुड़ी तस्वीरें और जानकारियां दी गई हैं।

इस दीवार के बारे में तेलंगाना से आए नवीन ने बताया,'' तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में किसानों की आत्महत्याओं के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में सिर्फ तेलंगाना में ही 3000 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की हैं। इन लोगों का दर्द बताने के लिए यह दीवार बनाई गई है।''

किसान दीवार को दिखाते तेलंगाना से आए नवीन।

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राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) 2015-16 के मुताबिक देश में किसान आत्महत्या के मामले साल 2015 में सबसे ज़्यादा 4,291 किसानों ने महाराष्ट्र में रहें, इसके बाद 1,569 आत्महत्याओं के साथ कर्नाटक दूसरे स्थान पर रहा। तेलंगाना में 1,400 किसानों ने आत्महत्या की। इसके बाद मध्य प्रदेश में 1,290 मामले, छत्तीसगढ़ में 954 मामले, आंध्र प्रदेश में 916 मामले, तमिलनाडु 606 मामले और उत्तर प्रदेश में 324 मामले सामने आए हैं।

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'' इस दीवार से हम यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि सरकार इन आत्माहत्याओं पर अपनी नज़र डाले और इन परिवारों की सहायता करे।'' नवीन ने आगे बताया।

किसान मुक्ति संसद में देश के राजनीतिक पार्टियों के किसान फ्रंटल संगठनों को दूर रखा गया है, सिर्फ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के फ्रंटल संगठन अखिल भारतीय किसान महासंगठन को छोड़कर बाकी शामिल नहीं हैं।


(दिल्ली से अरविंद शुक्ला, दिती बाजपेई और अश्विनी निगम की रिपोर्ट)

       

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