Lockdown 4 : तमिलनाडु में फंसी झारखंड की 256 महिलाएं, घर वापसी के लिए सरकार से लगा रहीं गुहार
लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो चुका है और मजदूरी न मिलने से अब इन महिलाओं के पास रहने के लिए जरूरी सामान खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं।
Kushal Mishra 18 May 2020 11:40 AM GMT
"हम यहाँ तमिलनाडु में 256 महिलाएं बुरी तरह फँस गए हैं, हमारी मदद कीजिये, हमें अपने झारखण्ड जाना है," एक सिलाई सेंटर में काम करने वाली झारखण्ड की महिला कारीगर शकुंतला कहती हैं।
शकुंतला तमिलनाडु के कारूर जिले के मनमनगलम में कारूर टेक्सटाइल पार्क के पास एक सिलाई सेंटर में अपने 255 साथी महिला कारीगरों के साथ फँसी हुई हैं। ये सभी महिला कारीगर झारखण्ड से हैं।
लॉकडाउन की वजह से इनका काम बंद हो चुका है और मजदूरी न मिलने से अब इनके पास रहने के लिए जरूरी सामान खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं। ये सभी महिलाएं कई बार झारखण्ड सरकार से भी घर वापसी के लिए गुजारिश कर चुकी हैं मगर अब तक इन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी है।
इस सिलाई सेंटर में काम करने वाली नंदी बताती हैं, "मार्च से हम लोगों का काम बंद है, तबसे हम लोगों को मजदूरी भी नहीं मिली है, अब हमारे पास इतने भी पैसे नहीं बचे हैं कि हम लोग साबुन-तेल खरीद सकें। हम लोगों के घर से लगातार फ़ोन आ रहे हैं, मगर हम क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा।"
नंदी झारखण्ड में पश्चिमी सिंहभूम जिले में चायबासा की रहने वाली हैं। उन्हें दुःख है कि लॉकडाउन के बीच उनके परिवार में उनकी बड़ी माँ खत्म हो गईं और वो अभी तक अपने घर नहीं पहुँच सकी हैं।
ये सभी महिलाएं सिलाई सेंटर से जुड़े एक हॉस्टल में साथ रह रही हैं। फिलहाल खाने-पीने के लिए ये हॉस्टल पर ही निर्भर हैं। मगर दो महीनों से न ही इनके पास काम है और न ही पैसे बचे हैं। ऐसे में अपने घर से करीब 2000 किलोमीटर दूर फंसी ये महिलाएं अब सिर्फ अपने घर जाना चाहती हैं।
शकुंतला बताती हैं, "घर वालों ने इतनी दूर हमें बड़ी मुश्किल से काम करने के लिए भेजा था, मगर अब घर वालों को पैसे भेजना तो दूर, हम खुद यहाँ दूसरों से पैसे मांग रहे हैं।"
सरकार से घर वापसी की गुजारिश करने के सवाल पर शकुंतला बताती हैं, "हम झारखण्ड सरकार के सहायता एप्प में भी रजिस्ट्रेशन किये, झारखण्ड जाने को ट्रेन के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराये हैं, मगर अब तक हम लोगों को किसी ने वापस नहीं पूछा।"
शकुंतला कहती हैं, "हम लोग यहाँ की पुलिस के पास भी मदद मांगने के लिए गए थे, मगर भाषा की बहुत दिक्कत थी, वो हमारी बात भी समझ नहीं पाए। हमने चायबासा के विधायक दीपक बरुआ से भी मदद मांगी मगर अब तक हमें कोई मदद नहीं मिली।"
झारखण्ड से तमिलनाडु में काम के लिए आईं ये महिला कारीगर ज्यादातर पश्चिमी सिंहभूम जिले से हैं और लॉकडाउन बढ़ने के बावजूद भी अब तक सरकार की ओर से कोई मदद न मिलने पर ये अब पैदल झारखण्ड के लिए निकलने के लिए भी तैयार हैं।
इन महिला कारीगरों में से एक सीमा सोरेन बताती हैं, "लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है और सरकार हम लोगों के लिए ट्रेन की सुविधा भी नहीं दे रही है। हम लोगों के सामने भी दिक्कतें बढ़ रही हैं और अगर सरकार ने हम लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो हम लड़कियां भी दूसरे मजदूरों की तरह घर जाने के लिए पैदल चलने को मजबूर होंगे।"
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