Monsoon Alert: एक दिन की देरी से मानसून दे सकता है दस्तक, मौसम विभाग ने की भवि‍ष्यवाणी

भारतीय मौसम विभाग ने 24 घंटे में मानसून आने की बात कही है। मौसम विभाग ने मंगलवार को बताया कि मानसून की दस्तक में एक दिन का विलंब हो सकता है और यह सात जून को आ सकता है। मौसम संबंधी भवि‍ष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने भी शनिवार को अपने पूर्वानुमान को संशोधित करते मानसून के आने की तिथि को चार जून से सात जून किया।

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Monsoon Alert: एक दिन की देरी से मानसून दे सकता है दस्तक, मौसम विभाग ने की भवि‍ष्यवाणी

लखनऊ। भारतीय मौसम विभाग ने 24 घंटे में मानसून आने की बात कही है। मौसम विभाग ने मंगलवार को बताया कि मानसून की दस्तक में एक दिन का विलंब हो सकता है और यह सात जून को आ सकता है। मौसम संबंधी भवि‍ष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने भी शनिवार को अपने पूर्वानुमान को संशोधित करते मानसून के आने की तिथि को चार जून से सात जून किया।

पिछले महीने केरल में मानसून के दस्तक देने की अनुमानित तारीख की घोषणा करते हुए मानसून विभाग ने कहा था कि मानसून छह जून को पहुंच सकता है। साथ ही उसने यह भी कहा था कि इसकी दस्तक चार दिन पहले या बाद में कभी भी हो सकती है। पृथ्वी वि‍ज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने भी संकेत दिया था कि मानसून केरल के तट पर 7-8 जून को पहुंच सकता है।

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देश के कई हिस्‍सों में भीषण गर्मी पड़ रही है। कुछ हिस्‍सों में पारा 50 डि‍ग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। हर्षवर्धन ने कहा कि मानसून दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 96 प्रतिशत रह सकता है जो सामान्य और सामान्य से कम श्रेणी की कगार पर माना जाता है। आमतौर पर 1 जून को मानसून आ जाता है। केरल में इसकी शुरुआत होने के साथ ही सात दिनों के भीतर मानसून महाराष्ट्र और मध्य भारत के अन्य हिस्सों में पहुंच जाता है।

बुवाई न करने की दी थी चेतावनी

महाराष्ट्र के कृषि विभाग ने किसानों को अपने बुवाई कार्यों में देरी करने की सलाह दी है क्योंकि राज्य में मानसून देरी से आने की संभावना है। यदि मानसून की शुरुआत जून के दूसरे सप्ताह में नहीं आती है तो उड़द और मूंग की फसलें प्रभावित होने की पूरी संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसान तब तक बुवाई का काम सामान्य रूप से खत्‍म कर लेते हैं।



महाराष्ट्र में किसानों के लिए खरीफ फसल सोयाबीन, अरहर, गेहूं, मूंग, उड़द और कपास के लिए यह प्रमुख मौसम है। इनमें से मूंग और उड़द की बुवाई जल्दी होती है, किसानों के पास कम अवधि की फसलें होती हैं जिसकी आमतौर पर जून में बुवाई होती। इस फसल की तीन महीने बाद कटाई होती है। यदि मानसून में देरी होती है, तो फसलों की बुवाई प्रभावित होती है।

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व्यापारी नितिन कलंत्री ने कहा कि राजस्थान जैसे राज्यों में अच्छी बारिश होती है, वहां मूंग की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हो सकता है। मानसून में देरी होने पर किसानों के लिए चिंता का विषय है कि उनके पशुओं के लिए पीने का पानी और चारे की कमी है। राज्य में दुग्ध उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है और सूखे चारे की लागत में कई गुना वृद्धि हुई है। अगर बारिश समय पर नहीं होती है, तो आने वाले दिनों में यह संकट और बढ़ जाएगा।

मानसून में देरी होने से किसानों के लिए एक और चिंता की है कि सब्जियों की फसलों का नुकसान तय है। नासिक बाजार के व्यापारी जगदीश अप्सुंडे ने कहा कि वर्तमान सब्जी की फसल कीटों से पीड़ित हैं। सब्जी की मंडियों में इनका दाम भी बढ़ रहा है क्योंकि फसल में देरी होगी। अगर मानसून में सात दिनों से अधिक की देरी हो जाती है तो बहुत मुश्किल हो जाएंगी। (इनपुट भाषा)



   

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