धूल भरी हवाओं से इंसान बेहाल, दस दिन नहीं हुई बारिश तो पौधों और फसलों का घुटने लगेगा दम
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इंसानों के साथ-साथ अब यहां मौजूद पेड़-पौधों का भी हाल बुरा है क्योंकि प्रदूषण के कारण इनका भी दम घुटने लगा है। पत्तियों पर जमा धूल कण की परत काफी मोटी होती जा रही हैं।
Chandrakant Mishra 15 Jun 2018 11:59 AM GMT
लखनऊ । दिल्ली में शुक्रवार को भी धूल भरी हवाएं चलने का सिलसिला जारी है। न्यूनतम तापमान सामान्य से छह डिग्री ज्यादा 33.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि दिल्ली में कई जगहों पर वायु गुणवत्ता सूची 500 के पार पहुंच गया है। इसे लेवल को गंभीर स्तर माना जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग का कहना है, धूलभरी हवाएं अभी चलती रहेंगे। वहीं पिछले साल नवंबर में भी दिल्ली और एनसीआर में स्मॉग का कहर देखने को मिला था। इस धूलभरी हवाओं का असर मानव शरीर के साथ-साथ फसलों पर भी पड़ रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, अगर दस से पंद्रह दिन तक पत्तों पर धूल जमी रही तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
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Held emergency meeting in view of severe dust pollution in Delhi with Hon Min @ImranHussaain & officials.Emergency measures like stoppage of all civil construction activities till 17th June.More monitoring by agencies like NHAI,DMRC, MCDs,PWD & NBCC etc. for ensuring compliance. pic.twitter.com/MvUOXumoJJ
— LG Delhi (@LtGovDelhi) June 14, 2018
एनसीआर में बुधवार को अचानक से गर्मी व धूल में बढ़ोतरी देखने को मिली। यह धूल राजस्थान, ईरान और अफगानिस्तान से हवाओं के जरिए आई। यहां तक कि गुरुवार को एनसीआर पर धूल की चादर बनी रही और न्यूनतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह मौसम के औसत तापमान से पांच डिग्री ऊपर रहा। धूल के कणों के काफी बारीक होने से सांस में जाने से आंखों में जलन, खांसी, छींक, बुखार व अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। धूल के संपर्क में ज्यादा देर तक रहने से शिशुओं, छोटे बच्चों व बुजुर्ग लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होने की संभावना है। उपराज्यपाल अनिल बैजल की उच्चस्तरीय बैठक में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर बड़ा फैसला लिया गया। इन फैसलों में दिल्ली में रविवार तक निर्माण कार्यों पर रोक लगाना शामिल है, साथ ही वातावरण में फैली धूल भरी धुंध को हटाने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा।
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पश्चिम भारत की धूल भरी आंधी
पश्चिम भारत की धूल भरी आंधी की वजह से दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता आज तीसरे दिन भी खतरनाक स्तर पर है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगले तीन-चार दिन तक धूल भरी आंधी चल सकती है तथा लोगों को लंबे समय तक घर से बाहर ना रहने की सलाह दी गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि पश्चिमी भारत खासतौर से राजस्थान में धूल भरी आंधी चलने के कारण हवा की गुणवत्ता एकदम खराब हो गई है। हवा में मोटे कणों की मात्रा बढ़ गई है। दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 (10 मिलीमीटर से कम मोटाई वाले कणों की मौजूदगी) का स्तर 796 और केवल दिल्ली में 830 है जिससे हवा में घुटन - सी हो गई है।
ग्रेटर नोएडा की रहने वाली आराधना मिश्रा (35वर्ष) का कहना है, " अभी कुछ माह पहले ही मेरे पति का ट्रांसफर सूरत से नाएडा हुआ है। सूरत और एनसीआर में जमीन का अंतर है। दो दिन से आसमान में बस धूल ही धूल नजर आ रही है। घर से बाहर निलकने पर घुटन सी महसूस हो रही है।"
मेरठ के रहने वाले राजेश कुमार (43वर्ष) का कहना है," दिल्ली और उसके आस-पास के जिलों की स्थिति बहुत खराब है। धूलभरी हवाओं के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग दिन में घर से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं।"
गाजियाबाद के इंद्रापुरम में रहने वाले अवनीश कुमार (36वर्ष)का कहना है," रोज सुबह मुझे आफिस जाना होता है। इस समय सुबह से बाहर के वातावरण में दम घुटने वाली हवाएं चल रही हैं। दिल्ली की हवा पहले से ही प्रदूषित थी, अब इस धूलभरी हवा से स्थिति और विकराल होती जा रही है।"
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नोएडा में रहने वाले शिव कुमार (40वर्ष) का कहना है," भीषण गर्मी के बाद धूल और धुंध ने जीना मुहाल कर दिया है। घर से बाहर निकलने की इच्छा नहीं हो रही है।"
गाजियाबाद में रहने वाले पर्यावरणविद्व श्रानेंद्र रावत (65वर्ष) का कहना है," यह सब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा है। अगर हम सुधरे नहीं तो स्थिति और भयावह होने वाली है। दिल्ली में वायु प्रदूषण पहले से ही ज्यादा है ऊपर से इस धूलभरी हवाओं ने लोगों के सामने समस्या खड़ी कर दी है।"
Thick blanket of dust is there. As of now, it seems that there'll be some respite from these conditions in next 48-72 hours. Monsoon is still in weak phase, however, there are chances of its revival by end of the month: S.Paul, Director,India Meteorological Department #Chandigarh pic.twitter.com/rINr2g6jf9
— ANI (@ANI) June 15, 2018
भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक चरन सिंह का कहना है," दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ यूपी, हरियाणा और पंजाब में धूलभरी हवाओं का असर देखने को मिल रहा है। अगले एक दो दिन में मौसम में कुछ सुधार देखने को मिलेगा। लोगों को इन धूलभरी हवाओं से बचना चाहिए। "
किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ के श्वसन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकांत का कहना है, "धूल कण जब भी हवा के जरिए उड़ते हैं तो सांस के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे फेफड़ों और आंत पर असर पड़ता है। लोगों को मास्क पहनकर बाहर निकलना चाहिए।"
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बारिश नहीं हुई तो उत्पादन पर पड़ेगा असर
धूलभरी हवाओं का असर फसलों पर भी देखने को मिल रहा है। पेड़ों की पत्तियों पर धूल और प्रदूषित कणों की मोटी परत जमा हो गई है, इसे कोई भी देख सकता है। साथ ही सड़कों के किनारे, निर्माणाधीन और अधूरी बनी सड़कों पर, फुटपाथों पर और डिवाइडरों के किनारे-किनारे भी धूल की परत देखी जा सकती है। इससे प्रदूषण के असर को साफ देखा जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक बिपिन कुमार (32वर्ष) का कहना है," पत्तियों पर धूल जमा होने से प्रकाश प्रकाश संश्लेषण सही तरीके से नहीं हो पा रहा है, जिससे पौधे सूख सकते हैं। अगर दो चार दिनों में बारिश हो गई तो धूल हट जाएगी। यदि एक सप्ताह से ज्यादा समय तक पत्तियों पर धूल जमी रह गई तो फसल के विकास पर असर पड़ने लगेगा।"
फव्वारा सिंचाई करेगी मदद
पत्तियों पर जमा धूल हटाने के लिए फव्वारा (स्प्रिंकल) सिंचाई स्प्रिंकल विधि काफी मददगार होगी। इस तरह से सिंचाई में पानी को छिड़काव के रूप में किया जाता है, जिससे पानी पौधों पर बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है। पानी की बचत और उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकल विधि ज्यादा उपयोगी मानी जाती है। ये सिंचाई तकनीक ज्यादा लाभदायक साबित हो रहा है।
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धूल भरी आंधी का प्रभाव
- आंधी में पीएम 2.5 की मात्रा 6 से 7 गुना ज्यादा बढ़ गई है, ये फेफड़ों को भारी नुकसान पहुचाते हैं
- ये मौसम बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है
- बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता जिसके चलते दोनों ही जहरीली हवा और मौसमी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं
- दमा के मरीजों के लिए ऐसे मौसम में बाहर निकलना जानलेवा है
- गर्भवती महिलाओं के लिए भी दिल्ली की जहरीली हवा में सांस लेना अजन्में बच्चे के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है
- दिल के मरीजों की दिक्कतें भी ऐसे दूषित हवा के चलते बढ़ जाती है
- धूल के कण आंखों में जाते ही उनमें इरिटेशन और रेडनेस पैदा कर देते हैं
- ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टरी सलाह लें और ठंडे पानी से लगातार आराम मिलने तक धोते रहें
मुश्किल में सांसें, दुनियाभर के 80 फीसदी शहर वायु प्रदूषण के चपेट में
क्या है बचाव का तरीका
- जहां तक मुमकिन हो घर से बाहर कम ही निकलें
- प्रदूषित जगहों पर कम जाएं
- अपने घरों के आसपास पानी का छिड़काव करते रहें जिससे धूल मिट्टी का उड़ना कम हो
- घर से बहार निकलते समय एन95 मास्क ही पहनें
- मौसमी सब्जियों और फलों का सेवन करें
- खूब सारा पानी या निम्बू पानी पीते रहे
धूल के चलते चंडीगढ़ हवाईअड्डे से उड़ान सेवा रद्द
चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से शुक्रवार को दूसरे दिन भी सभी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें धूल के चलते कम दृश्यता की वजह से रद्द रहीं। यह जानकारी हवाई अड्डे के अधिकारियों ने दी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के कार्यालय के अनुसार, शुक्रवार रात बारिश होने की संभावना है, जिसके बाद स्थिति में सुधार हो सकती है। चंडीगढ़ हवाईअड्डे के एक अधिकारी ने बताया, "दृश्यता कम होने की वजह से कोई भी विमान उड़ान नहीं भर पाया।" उन्होंने कहा कि दुबई जाने वाले विमान यात्रियों को सड़क मार्ग से चंडीगढ़ से दिल्ली भेजा गया। स्थानीय मौसम विभाग कार्यालय में निदेशक सुरिंदर पॉल ने कहा कि इलाके में पश्चिम विक्षोभ से शुक्रवार की रात या शनिवार की सुबह बारिश होने की संभावना है जिसके बाद स्थिति में सुधार होगी। उन्होंने कहा कि बारिश के बाद धूल नीचे बैठ जाएगी।
सिगरेट से ज्यादा खतरनाक वायु प्रदूषण
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण की वजह से वैश्विक स्तर पर मरने वालों की संख्या में इजाफ़ा हुआ है, इसने ह्दय रोग और धूम्रपान से होने वाली मौत की संख्या को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट में आंकड़ों की मानें तो सिगरेट पीने से मरने वालों की संख्या 60 लाख है, जबकि वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 65 लाख है। विकासशील देशों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक अध्ययन में 1990 से 2013 के बीच 188 देशों में स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण जैसे खतरनाक कारकों का विश्लेषण किया गया। इसमें दुनिया की 85 प्रतिशत से ज्यादा आबादी उन इलाकों में रहती है, जहां वायु प्रदूषण के विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुरक्षित स्तर से ज्यादा वायु प्रदूषण है। इसमें बताया गया कि वर्ष 2012 में प्रदूषित हवा के कारण करीब 70 लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, जिसमें से 88 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में हुई।
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