ममता बनर्जी ने मोहर्रम के दौरान दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर लगाई रोक, निर्देश पर विवाद

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ममता बनर्जी ने मोहर्रम के दौरान दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर लगाई रोक, निर्देश पर विवादममता बनर्जी (फोटो साभार: गूगल)।

लखनऊ। पिछले साल की तरह इस साल भी पश्चिम बंगाल मे दुर्गा मूर्ति विसर्जन को लेकर विवाद पैदा हो गया है। खबरों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार भी मोहर्रम के चलते दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है। भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी वोटबैंक की राजनीति कर रही हैं।

भाजपा प्रवक्ता ने उन पर आरोप लगाया है कि वह एक खास समुदाय के वोट के लिए इस तरह का निर्णय ले रही हैं। बताते चलें कि ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि मोहर्रम के कारण इस साल दुर्गा पूजा के बाद होने वाले मूर्ति विसर्जन पर 30 सितंबर की शाम 6 बजे से लेकर 1 अक्टूबर तक रोक रहेगी।

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रामनाथ कोविंद को जानती ही नहीं

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा, 'इस वर्ष दुर्गा पूजा और मुहर्रम एक ही दिन पड़ रहा है। मोहर्रम के 24 घंटों को छोड़कर 2, 3 और 4 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन किया जा सकता है।' ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि मुहर्रम के जुलूसों के चलते दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन पर यह रोक रहेगी। कोलकाता हाईकोर्ट में पिछले साल दायर की गई तमाम जनहित याचिकाओं के बावजूद इस साल भी ऐसा किया जा रहा है।

आपको बता दें कि पिछले साल भी ममता सरकार ने इसी तरह से मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध जारी किया था क्योंकि तब भी विजय दशमी मुहर्रम से एक दिन पहले मनाया गया था। ममता के इस फैसले के खिलाफ तब कोलकाता हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह एक समुदाय को रिझाने जैसा प्रयास है।

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र में नए युग की शुरुआत : ममता बनर्जी

अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि इससे पहले कभी विजयदशमी के मौके पर मूर्ति विसर्जन पर रोक नहीं लगी थी। हाई कोर्ट ने सरकार के निर्णय को 'मनमाना' करार दिया था और 'जनता के अल्पसंख्यक वर्ग को खुश करने' का राज्य द्वारा 'स्पष्ट प्रयास' कहा था।

          

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.