अगर ई सिगरेट पर बैन तो आम सिगरेट पर क्यों नहीं?
आइए जानते हैं ई-सिगरेट है क्या और क्या ये सिगरेट से कम हानिकारक है?
Eshwari Shukla 7 Oct 2019 12:25 PM GMT
केंद्र सरकार ने 18 सितंबर 2019 को ई सिगरेट के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाने का फैसला किया। प्रतिबंध को सही ठहराते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान की आदतों से बाहर निकालने के तरीके के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन रिपोर्ट से पता चला है कि कई लोग इसे उस रूप में उपयोग नहीं कर रहे हैं, वे इसके आदी बन रहे हैं। आइए जानते हैं ई-सिगरेट है क्या और क्या ये सिगरेट से कम हानिकारक है?
ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट बैटरी की मदद से चलती है। ये तम्बाकू या गैर-तम्बाकू पदार्थों के भाप को सांस के जरिए भीतर ले जाती है। इसमें असल में कोई धुआं नहीं होता है। ई सिगरेट को ई-सिग्स, वेप्स, वेप पेन्स, मॉडस और टैंक्स के नामों से भी जाना जाता है।
ई-सिगरेट कितनी हानिकारक है ?
डॉ.संतोष, पल्मोनरी स्पेशलिस्ट, केजीएमयू बताते हैं, "सिगरेट की तुलना में ई-सिगरेट कम हानिकारक है लेकिन सरकार का इसे बैन करने का निर्णय सही है। सिगरेट की लत छोड़ने के दूसरे और भी तरीके हैं।''
There is much misinformation about e-cigarettes.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 29, 2019
They are extremely harmful for health. What is even worse is that unlike tobacco, where the hazards are known, in this case it is silent and equally lethal. #MannKiBaat pic.twitter.com/angfg1k5tq
अंग्रेजी वेबसाइट ट्रुथ इनिशिएटिव के मुताबिक ई-सिगरेट्स में निकोटीन का लेवल अलग-अलग होता है। कुछ में तो ये आम सिगरेट जितना ही होता है। ई सिगरेट पर निकोटीन लेवल की लेबलिंग अक्सर गुमराह करने वाली पाई गई है। हर व्यक्ति जिन अलग अलग तरीकों के और जिस मात्रा में ई-सिगरेट का इस्तेमाल करता है, इसका असर ठीक उसी तरह सभी पर अलग अलग होता है।
कुछ ई सिगरेट्स में एक आम सिगरेट के बराबर ही निकोटीन लेवल होता है। निकोटिन तम्बाकू में पाया जाने वाला ड्रग है। ये सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, गुटका में इस्तेमाल किया जाता है। ये आंतों में दर्द, लगातार सिर दर्द, नींद ना आने, डिप्रेशन और असंवेदनशीलता की वजह बन सकता है।
- ट्रुथ इनिशिएटिव के मुताबिक सभी ई सिगरेट्स को एक ही तकनीक से बनाया जाता है लेकिन ये अलग अलग कैटेगरी के होते हैं। इनमें अलग सामग्री होती है और ये अलग मात्रा में निकोटीन और दूसरे टॉक्सिन्स को डिलीवर करते हैं। यही वजह है की पब्लिक में ई सिगरेट्स से जुड़ी कोई भी स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने में रुकावटें आती हैं। ई सिगरेट्स पीने वाले का ये जानना जरुरी है कि वो जिस कैटेगरी की ई सिगरेट्स पी रहा है वो उसके लिए कितनी खतरनाक हो सकती है।
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ई-सिगरेट पर बैन कितना सही कितना गलत?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ वेपर्स ने (एवीआई) बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन किया इसमें द न्यूज़ मिनट की एक खबर के मुताबिक बेंगलुरु में रहने वाले 38 वर्षीय गौतम हनुमंथप्पा ने बताया कि "मैंने 16 साल की उम्र से धूम्रपान करना शुरू कर दिया था और धूम्रपान छोड़ने की सभी कोशिशें जैसे कि निकोटीन पैच या च्यूइंग गम का उपयोग करने से मुझे कोई मदद नहीं मिली। मैंने वेपिंग शुरू की और धीरे-धीरे अपने निकोटीन का सेवन कम कर दिया। इससे मुझे अंततः धूम्रपान छोड़ने में मदद मिली।"
एसोसिएशन ऑफ वेपर्स इंडिया के डायरेक्टर सम्राट चौधरी कहते हैं,"इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध सरकार का गलत निर्णय है। सिगरेट पीने वालों के पास इसकी लत छोड़ने के तरीके बहुत कम है। एक तरीका है या तो अपनी इच्छाशक्ति से सिगरेट छोड़ दें, जिसका सक्सेस रेट है 5 प्रतिशत। दूसरा तरीका है निकोटीन गम या पैचेज का सहारा लेना। इसमें दो तरह की दिक्कतें सामने आती हैं। पहली इसका भी सक्सेस रेट कम है और दूसरी ये सभी लोग अफ़्फोर्ड नहीं कर सकते।"
"सरकार का काम है लोगों की सिगरेट की लत को कम करने के तरीकों का बढ़ाना ना की उसे कम करना। ई सिगरेट को 68 देशों में वहां की सरकारों ने अनुमति दे रखी है। ये 68 कन्ट्रीज दुनिया की सबसे एडवांस कन्ट्रीज हैं।ईसिगरेट उन लोगों के लिए एक ऑप्शन है जो सिगरेट से मरना नहीं चाहते।"
"इस देश में बैन को लागू करना ऑलमोस्ट नामुमकिन है। गुजरात में अल्कोहल पर बैन है, आप घर पर होम डिलीवरी करा सकते हो। क्या हुआ बैन का। अब इससे क्या होगा आलरेडी लोग तो हैं इसको (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) यूज़ करने वाले, इससे ब्लैक मार्केटिंग होगी। जब ना कोई सेफ्टी होगी, ना कोई स्टैण्डर्ड होगा। लोगों को नुकसान और बढ़ेगा।" सम्राट आगे बताते हैं।
कोलकाता की एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट होलसेल कंपनी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती भी दी। कंपनी ने सरकार के निर्णय को मनमाना, भेदभावपूर्ण, अत्यधिक और कठोर करार दिया।
बैन और अवैध तस्करी
ASSOCHAM India के अनुसार, तंबाकू उद्योग अर्थव्यवस्था में 11,79,498 करोड़ रुपए का योगदान देता है और अनुमानित 4.57 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। वहीं धूम्रपान करने वालों की संख्या को कम करने के लिए सरकार जो कदम उठाती आई है उनमें से एक है टुबैको टैक्सेशन में वृद्धि साथ ही तस्करी को रोकना।
टुबैको टैक्सेशन में वृद्धि भारतीय तम्बाकू संगठन (Indian Tobacco Company) पर दबाव बनाती है। द टुबैको इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक प्रसिद्ध वैश्विक अनुसंधान संगठन यूरोमोनिटर इंटरनेशनल के अनुसार, भारत में अवैध सिगरेट की मात्रा 2005 से दोगुनी हो गई है, जिससे भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अवैध सिगरेट बाजार बन गया है और स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय सिगरेट तस्करों के लिए पसंदीदा स्थान है। तो क्या ई-सिगरेट पर बैन इसकी अवैध तस्करी बढ़ाएगा? ई सिगरेट्स पर बैन सरकार की एक पहल मानी जा सकती है लोगों को खतरनाक टॉक्सिन्स से बचाने की बशर्ते इसके उपभोक्ता इसका कोई दूसरा विकल्प ना ढूंढ ले या फिर अवैध तस्करी का सहारा ले।
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