आत्मनिर्भर भारत पैकेज में मत्स्य पालन, पशुपालन और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों के लिए क्या है खास

Divendra SinghDivendra Singh   15 May 2020 6:41 PM GMT

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आत्मनिर्भर भारत पैकेज में मत्स्य पालन, पशुपालन और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों के लिए क्या है खास

कोरोना संकट में देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, जिसे आत्मनिर्भर भारत नाम दिया गया है। आत्मनिर्भर भारत के तीसरे चरण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र, पशुपालन, मछली पालन, फूड प्रॉसेसिंग उद्योग के क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान, दूध की मांग 20-25 प्रतिशत कम हो गई। सहकारी समितियों के जरिए 560 लाख लीटर की रोजाना खरीद की गई। नई स्‍कीम के तहत डेयरी कोऑपरेटिव्‍स को वर्ष 2020-2021 के लिए ब्‍याज में 2 फीसदी प्रति वर्ष की छूट दी गई।

पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund)

डेयरी सेक्टर के लिए पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि के तहत 15,000 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया है। डेयरी क्षेत्र में प्रोसेसिंग मे प्राइवेट इन्वेस्टर्स को बढ़ावा दिया जाएगा। डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और मवेशियों के चारे के लिए के बुनियादी ढांचे में निजी निवेशकों को जगह दी जाएगी। पशुपालन में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का एनीमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्र्रक्चर डेवलपमेंट फंड।

वित्त मंत्री ने कहा कि दुग्ध प्रसंस्करण, वैल्यू एडीशन और कैटल फीड इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश को बढ़ावा देने का मकसद है। देश के कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन होता है। इन क्षेत्रों में दूध उत्पादन में निजी निवेश में बड़ी संभावना है। पशुपालन क्षेत्र के उद्यमियों को इस योजना का लाभ मिलेगा।

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme)

पशुओं में मुंहपका व खुरपका (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस बीमारी के टीके के लिए 13,343 करोड़ रुपए का बजट पास किया गया है।

देश में पालतू मवेशी के मुंह में घाव होने की बीमारी बहुत पुरानी है। इसे आम भाषा में मुंहपका और खुरपका कहा जाता है। इसका असर दूध उत्पादन पर भी होता है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पशुओं की सुरक्षा के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। इसे नेशनल ऐनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम नाम दिया गया है। इस कार्यक्रम पर बजट 13,343 करोड़ रुपए होगा। इस प्रोग्राम के तहत 53 करोड़ जानवरों को वैक्सीन दी जाएगी जिसमें 1.5 करोड़ गाय-भैंस शामिल होंगे।

गाय, भैंस, बकरी और सुअर में एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के बचाव के लिए 100 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। पशुपालन विभाग के अनुसार ग्रीन जोन में पशुओं का टीकाकरण

मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए

वित्त मंत्री ने मछुआरों के लिए कई सारी योजनाओं की शुरूआत की है। समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए 11,000 करोड़ रुपए। 9000 हजार करोड़ रुपए आधारभूत सुविधाओं के लिए। अगले पांच वर्षों में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन, जिससे 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछली पालन के साथ-साथ नई फिशिंग वेसल्स, ट्रैसेबिलिटी, लेबोरेटरी नेटवर्क आदि प्रमुख गतिविधियां होंगी।

केज कल्चर, सी विड फार्मिंग, ओर्नामेंटल फिशरीज और नए फिशिंग वेसल्स, ट्रेसेबिलिटी, लैबोरेटरी नेटवर्क, आदि गतिविधियों पर पैसा होगा खर्च। जिस अवधि में मछुआरे मछली नहीं पकड़ते, उस अवधि में मछुआरों को सहयोग दिया जाएगा। मछुआरों और उनके बोट का बीमा किया जाएगा।

अगले 5 साल में 70 लाख टन का अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा। 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मत्स्य निर्यात दोगुना होकर एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। इस योजना के तहत आइसलैंड, हिमालय क्षेत्र, पूर्वोत्तर और एस्पिरेशनल जिलों पर मुख्य फोकस रहेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन के जरिए आजीविका को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़

इस योजना के तहत पॉलिनेशन (परागण) के माध्यम से फसलों की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि करने का प्रयास किया जाएगा। शहद के साथ ही मधुमक्खियों के दूसरे उत्पाद जैसे मोम उत्पादन के लिए नई योजना लाई जाएगी। मधुमक्खी पालन की बुनियादी जरूरतों में एकीकृत मधुमक्खी पालन केंद्र, कलेक्शन सेंटर्स, मार्केटिंग और भंडारण केंद्र, पोस्ट हार्वेस्टिंग और वैल्यू एडिशन जैसी सुविधाएं देने का प्रयास रहेगा।

मधुमक्खी पालन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इस योजना से दो लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाला शहद मिलेगा।


     

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