ओडीएफ गाँवों का सच: कुछ अधूरे, कुछ पूरे

दो अक्टूबर को भारत को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया। इसके बाद गाँव कनेक्शन ने चार राज्यों के आठ जिलों के कई ओडीएफ गाँवों की जांची हकीकत, सरकारी मशीनरी की सुस्ती और प्रधानों द्वारा कराया गया घटिया काम और खुले में शौच को लेकर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन न होना बड़ी चुनौती

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नीतू सिंह-हरदोई, रणविजय सिंह-बाराबंकी, दया सागर-गोरखपुर

लखनऊ। दो अक्टूबर, 2019 को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। पिछले पांच वर्षों में अथक प्रयास और सरकारी दावों के उलट ज़मीनी हकीकत कुछ और है।

सरकारी पैसा जारी हुआ, कागजों पर शौचालय भी बन गए, लेकिन एक बड़ी संख्या में शौचालय उपयोग के लायक नहीं।

गाँव कनेक्शन की टीम ने चार राज्यों के आठ जिलों में जब ज़मीनी हकीकत जानीं तो निकल कर आया कि कहीं शौचालय कागजों पर बने हैं, बने हैं वो उपयोग लायक नहीं, साथ ही ग्रामीणों का शौचालय के उपयोग को लेकर व्यवहार में परिवर्तन न आना भी बड़ा कारण है।

दो अक्टूबर, 2014 को शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य था 02 अक्टूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच मुक्त कर देना। देश की 1.3 अरब आबादी वाले देश को खुले में शौचमुक्त घोषित करने का प्रयासों में सरकारी मशीनरी की सुस्ती और खाना पूर्ति आड़े आ गई।

बाराबंकी जिले सूरतगंज ब्लाक के ग्राम पंचायत बसारी निवी रुखसाना (45 वर्ष) बानो बताती हैं, "प्रधान ने कहा हमारा शौचालय बनाया जाएगा, शौचालय के लिए गड्ढा भी खोद दिया गया। करीब एक साल बीतने के बाद जब शौचालय नहीं बना, तो कई बार प्रधान से शौचालय बनवाने की बात की लेकिन ग्राम प्रधान ने कहा अब हम शौचालय नहीं बनवा पाएंगे। जिसके बाद गड्ढा भी हमने पाट दिया। अब घर की बड़ी-बड़ी बेटियां बाहर शौचालय जाने के लिए मजबूर हैं।"

स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के अनुसार 02 अक्टूबर-2014 को ग्रामीण भारत 38.70% ही खुले से शौच मुक्त था, जो 02 अक्टूबर, 2019 को भारत 100% खुले से शौच मुक्त हो गया।

बाराबंकी जिले में 1169 ग्राम पंचायत और 1845 राजस्व ग्राम है और जिले की कुल आबादी 32 लाख 60 हजार 699 है डीपीआरओ रणविजय सिंह बताते हैं कि बेस लाइन सर्वे 2012 के अनुसार जिले को ओ,डी,एफ जिलाधिकारी द्वारा घोषित कर दिया गया है ।जिले में अब तक करीब तीन लाख शौचालय बनवाए जा चुके हैं अभी हाल ही में सर्वे कराया गया है जिसमें 15000 और पात्र चयनित किए गए हैं जिनके भी शौचालय बनवाने का काम शुरू हो गया है।-


छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की नांगला गाम पंचायत में 14 अप्रैल-2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी, जिसके बाद लगने लगा था कि नांगला के दिन बहुर गए। नांगला ओडीएफ घोषित हो चुका है लेकिन आज भी नांगला के 80 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

"दो साल से शौचालय बना हुआ है, हम लोग तो जंगल में ही शौचालय जाते हैं, इसका इस्तेमाल नहीं करते। सब खराब हो गए हैं, सब जंगल जाते हैं," जांगला निवासी आसू कोरसा ने बताया।


वहीं, ग्राम पंचायत जांगला के सचिव कोमल निषाद ने कहा, "शौचालयों का निर्माण 2015 में करवाया गया था। कुछ जगहों पर पानी कमी के कारण शौचालय खराब हो गये हैं।" लेकिन पानी की कमी से शौचालय खराब कैसे हुए इसका जवाब नहीं दिया।

हालांकि गाँवों में खुले में शौच जाने से होने वाले नुकसान की ज्यादा जानकारी न होना भी शौचालय के उपयोग में लापरवाही बरतने के पीछे एक बड़ा कारण है।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के फीलनगर में रहने वाले रामासरे ने बताया, "हमारे गाँव में शौचालय बने हैं। शौचालय अगर चालू हालात में नहीं हैं, तो गाँव के लोग भी जिम्मेदार हैं। पैसे आते हैं लोग खर्च कर लेते हैं। सरकार भी कोई इस पर देख रेख नहीं करती है

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उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के सुंरदपुर ग्राम पंचायत में रहने वाली रामदेवी (65 वर्ष) के घर में तीन महीने पहले ठेकेदार ने शौचालय बनाया गया था, लेकिन सीट आज तक नहीं रखी गई।

"हमने केवल जगह बताई थी बाकी का काम ठेकेदार ने किया है। बरसात ने बाहर जाने में बहुत दिक्कत है। बहुत बार कह चुके हैं कि इसको पूरा कर दो पर कोई सुनने वाला नहीं है। हमारे खाते में न कोई पैसा आया न हमें जानकारी कि इसमें कितनी लागत आई," रामदेवी ने बताया।


गाँव कनेक्शन रिपोर्टर ने जब सुंदरपुर ग्राम पंचायत में बने 10-12 शौचालय देखे तो किसी का दरवाजा टूटा तो किसी में सीट नहीं थी, किसी में कंडे भरे तो कोई उपयोग करने की स्थति में ही नहीं। शौचालय के बगल में रखे टूटे दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए रामप्यारी (35 वर्ष) ने कहा, "जब शौचालय बना था तो कुछ दिन बाद ही दरवाजा टूट गया। परदा लगाकर बच्चे जाते हैं पर डर लगा रहता है। हमने 12,000 रुपए प्रधान के हाथ में दे दिए थे। सोचा था अच्छा बन जाएगा तो बाहर शौच नहीं जाना पड़ेगा।"

संडीला के सहायक खंड विकास अधिकारी अजय अवस्थी ने बताया, "अभी संडीला खुले से शौच मुक्त नहीं हुआ है। चार-पांच ग्राम पंचायत ही खुले से शौच मुक्त हुई हैं। अगर अधूरे शौचालय बने हैं तो उसे पूरा कराना चाहिए। लाभार्थी अगर 12000 की प्रोत्साहन राशि खुद लेने का इच्छुक होता है तो उसके खाते में पैसे दे दिए जाते हैं। अगर लाभार्थी कहता है हमें पैसे नहीं चाहिए प्रधान खुद ही बनवा दें क्योंकि एक शौचालय बनवाना एक व्यक्ति के लिए मुश्किल होता है तो प्रधान बना देता है।"

बाराबंकी में बना यह शौचालय ओडीएफ की जमीनी हकीकत बयां कर रहा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर की ग्राम पंचायत जंगल अहमद अली शाह के हरिपुर निवासी रामप्रीत बताते हैं, ""प्रधान के घर और ब्लॉक ऑफिस में सैकड़ों बार दौड़ चुका लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लिस्ट में नाम होते हुए भी शौचालय नहीं मिला। योगी और मोदी जी घर-घर जाकर थोड़े ही देखेंगे कि सबको शौचालय मिला या नहीं। यह तो अधिकारियों और प्रधान का काम है, जो सिर्फ लूट मचाए हैं।"

पंचायती राज विभाग के अक्टूबर, 2017 के आंकड़ों में गोरखपुर को उत्तर प्रदेश का सबसे तेज खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) हो रहा जिला घोषित किया गया था। वहीं अक्टूबर, 2018 आते-आते पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।

गोरखपुर के जंगल औराई गांव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए गोद लिया था। चौदह टोलों और एक हजार से अधिक घरों वाले इस बड़े गाँव में लगभग सभी घरों में शौचालय प्रयोग होते दिखे।

गाँव की मुख्य सड़क पर बैठे बुजुर्ग पंचम प्रसाद कहते हैं, "गाँव पहले से काफी बदल गया है। जिस सड़क पर हम बैठे हैं, पहले वह शौच की वजह से गंदा रहता था। अब सबके यहां शौचालय बन गया है और लोगों ने भी शौचालय में जाने की आदत डाल ली है। इसलिए हम लोग यहां पर आराम से बैठे हुए हैं।" पंचम प्रसाद के साथ बैठे बुद्धु प्रसाद और चार अन्य साथी भी उनकी हां में हां मिलाते हैं।


साबरमती रिवर फ्रंट पर दो अक्टूबर, 2019 को 20,000 स्वच्छाग्रहियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया में खुले में शौच करने वाले लोगों के 60% हिस्से को कम करके भारत ने एसडीजी-6 (सस्टनेबल डवलपमेंट गोल) की वैश्विक उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "खुले में शौच से मुक्त भारत महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर एक सच्ची श्रद्धाजंलि है।"

मध्‍य प्रदेश के शिवपुरी के रहने वाले कल्‍ला वाल्‍मीकि ने गाँव कनेक्शन से कहा, "हमारे घर आधा-अधूरा भी शौचालय नहीं था, इसी वजह से बच्‍चे घर से बाहर शौच करने गए थे। आज अगर घर में शौचालय होता तो हमारे दोनों बच्‍चे जिंदा होते। शौचालय को लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।" गौरतलब है बीते दिनों मध्‍यप्रदेश के शिवपुरी दो बच्‍चों की इसलिए पीटकर हत्‍या कर दी, क्‍योकि वे किसी के खेत में शौच कर रहे थे।

(अतिरिक्त सहयोग: बाराबंकी-वीरेन्द्र सिंह, छत्तीसगढ़-तामेश्वर सिंहा, ललितपुर-अरविंद सिंह परमार, शाहजहांपुर-रामजी मिश्रा, सीतापुर-मोहित शुक्ला, मध्य प्रदेश-अशोक दायमा व पुष्पेन्द्र वैद्य, झारखंड-नयनतारा)

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