निर्भया की मां को तो इंसाफ मिल गया, लेकिन इन मांओं का इंतजार कब खत्म होगा ?

निर्भया मामले में दोषियों को फाँसी हो गयी है, देश में अभी ऐसे हज़ारों मामले हैं जिनमें बलात्कारियों को सजा नहीं मिली है। आखिर कब मिलेगा इन रेप पीड़ित परिवारों को न्याय, जो इंसाफ के लिए वर्षों से भटक रहे हैं?

Neetu SinghNeetu Singh   20 March 2020 1:49 PM GMT

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निर्भया की मां को तो इंसाफ मिल गया, लेकिन इन मांओं का इंतजार कब खत्म होगा ?

"निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा मिली इससे हम बहुत खुश हैं, पर ...?

"वो दिल्ली का बड़ा मामला था तभी उन्हें फांसी हुई, हमारी बेटी का मामला तो गाँव का है आरोपी को सजा ही मिल जाए हमारे लिए यही बड़ी बात होगी।"

ये शब्द एक रेप पीड़िता की माँ सुषमा (बदला हुआ नाम) ने तब कहे जब देश के सबसे चर्चित निर्भया मामले के दोषियों को तिहाड़ जेल में फांसी दी गयी।

निर्भया कांड के दोषियों को सात साल तीन महीने और तीन दिन बाद फाँसी हो गयी है, देश में अभी ऐसे हज़ारों मामले हैं जिनमें बलात्कारियों को सजा नहीं मिली है। गाँव कनेक्शन ने कुछ रेप पीड़िताओं और उनके परिवारों से बात की कि इस फैसले के बाद उनकी क्या राय है?

ये है वो माँ जिनकी मूक-बधिर नाबालिग लड़की के साथ रेप हुआ था.

"हमारे पास इतने पैसे कहाँ हैं कि हम भी भागदौड़ करके अपनी बेटी को निर्भया की तरह इंसाफ दिला सकें। हमने कभी नहीं सुना गाँव की किसी लड़की के साथ रेप हुआ हो और वो दिल्ली तक चर्चा में आया हो, उन्हें फांसी की सजा मिली हो।" सुषमा ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया।

सुषमा जिस निर्भया की बात कर रहीं हैं वो 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) थी जिसके साथ 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में निर्ममता के साथ गैंगरेप हुआ था। निर्भया की इलाज के दौरान उसकी 13वें दिन सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी।

"मेरे घर में टीबी नहीं है आज सुबह से हम पड़ोसी के घर में ये फांसी वाली खबर देख रहे थे। मैं सोच रही थी अगर ऐसी सजा हर रेप के मामले में हो तो लोगों में डर पैदा होगा। सजा में देरी न हो और कठोर सजा मिले," सुषमा ने कहा।

ये हैं निर्भया के माता-पिता जिन्होंने अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए दिन रात एक कर दिए.

निर्भया की माँ आशा देवी ने बेटी के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए दिन रात एक कर दिया। छह आरोपी नामजद थे जिसमें एक नाबालिग था। मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिन बाद ही रामसिंह नाम के एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि नाबालिग को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था।

शेष बचे चार दोषियों 20 मार्च को फांसी दी गयी।

आशा देवी की तरह सुषमा भी उस बेटी की माँ हैं जिनकी 17 वर्षीय मूक-बधिर बेटी के साथ अगस्त 2017 में रेप हुआ है। अभी इनकी बेटी डेढ़ साल के बच्चे की माँ है।

यह मामला उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का है। आरोपी जेल में भले ही है पर आरोपी का परिवार पीड़ित परिवार को आये दिन मुकदमा वापस लेने की धमकियां देता रहता है। यह मामला न तो कभी बहुत चर्चा में आया और न ही सुर्खियाँ और हैशटैग बन पाया यही वजह है अभी तक पीड़िता के पुनर्वास के लिए मिलने वाली मुआवजा राशि भी नहीं मिल सकी। पीड़ित परिवार इतना सक्षम नहीं है कि वो केस भी लड़ सके और उस बच्चे का पुनर्वास कर सके।

जब सुषमा से गाँव कनेक्शन ने पूछा आपको ऐसा क्यों लग रहा है कि आप गाँव की रहने वाली हैं तो आपकी बेटी को न्याय नहीं मिलेगा इस पर वह बोलीं, "थाने के कई चक्कर लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई थी। हम गरीब लोगों की ऊपर तक पहुंच नहीं होती। गाँव में बलात्कार जैसे मामलों को बहुत गम्भीर नहीं माना जाता।"

"हर दूसरे तीसरे दिन यह सुनने को मिल जाता है उस गन्ने के खेत में रेप हुआ, उस घर में रेप हुआ, रेप करके हत्या हो गयी. अब तो सबको ऐसी घटनाओं की आदत सी हो गयी है। पुलिस भी गरीबों के मामले में बहुत लापरवाही करती है।" सुषमा ने बताया, "केस लम्बे दिनों तक खिचता है, पैसा भी बहुत खर्च होता है। कई बार तो लोग बदनामी के डर से ही थाने तक नहीं पहुंचते और जो हिम्मत जुटाकर पहुंचते भी हैं उन्हें न्याय नहीं मिलता।"

मामले थाने तक नहीं पहुंचते सुषमा की इस बात का आंकड़े भी गवाही दे रहे हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक, यौन हिंसा के 99.1 फीसदी मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते हैं।

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