भीमा-कोरेगांव हिंसा का असली कसूरवार कौन?
Chandrakant Mishra 5 Jan 2018 3:31 PM GMT
महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव से शुरू हुई जातीय हिंसा की आंच महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के साथ-साथ यूपी तक पहुंच चुकी है। एक जनवरी को पुणे में दलित समुदाय भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मना रहे थे, लेकिन कार्यक्रममें दो गुटों के बीच हुए टकराव में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए, जिसके बाद मुंबई समेत राज्य के अन्य इलाकों में तनाव फैल गया। दो लोगों को इस विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
संभाजी भिड़े (85 वर्ष) जिन्हें भिड़े गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है और मिलिंद एकबोटे (56 वर्ष) । इसके साथ ही डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के पोते और एक्टिविस्ट प्रकाश आंबेडकर पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा है। लेकिन तीनों ने इस पूरे मामले में अपनी भूमिका को नकार दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर इस पूरे घटनाक्रम का दोषी कौन है?
भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की हिंसा का असर समूचे महाराष्ट्र पर पड़ा है। बुधवार को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई में कई संगठनों ने राज्य बंद बुलाया। इस दौरान मुंबई समेत कई इलाकों में हिंसा हुई- मुंबई पुलिस ने कुल 25 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है, इसके अलावा कुल 300 लोगों को हिरासत में लिया गया। प्रकाश अंबेडकर का कहना है, इस पूरे मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
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प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री फडणवीस सेअपील की है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। प्रकाशअंबेडकर के मुताबिक, “ महाराष्ट्र के शांतिपूर्ण समाज में हिंदूवादी संगठन नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। मैं राज्य सरकार और मुख्यमंत्रीफडणवीस से अपील करता हूं कि वह भिड़े और एकबोटे को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाएं।”
वहीं प्रकाश अंबेडकर के आरोपों को नकारते हुए भिडे़ ने भी केंद्र सरकार से अंबेडकर द्वारा लगाए गए आरोपों की पूरी जांच के लिए अपील की। भिड़े का कहना है, "प्रकाश अम्बेडकर ने मुझे साजिश के लिए दोषी ठहराया, जो पूरी तरह से गलत है। मैं सरकार से मामले की पूरी जांच करने और दोषी पाए जाने के लिए सशक्त दंड देने की मांग करता हूं।"
शुक्रवार को ग्राम पंचायत कोरेगाँव की एक महिला सदस्य का कहना है, “ हम अपने घरों और कारों को नहीं जलाएंगे, हमारी माताओं और बहनों पर अत्याचार करेंगे। यहां कोई जाति समस्या नहीं है। यहां मुसलमान, दलित, मराठा हैं और हम सब शांति से एक साथ रहते हैं।”
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