महाराष्ट्र: पिछले 15 दिनों में लगभग आधी हुई प्याज की कीमतें, ओले की मार खाए किसानों की लागत तक निकालनी मुश्किल

सितम्बर 2020 में महाराष्ट्र में हुई बारिश से किसानों की प्याज की नर्सरी खराब होने के बाद काफी नुकसान उठाना पड़ा था, किसी तरह किसानों ने दोबारा नर्सरी लगाई और अब जब फसल तैयार हुई तो उन्हें कम दाम पर प्याज बेचना पड़ रहा है।

Divendra SinghDivendra Singh   8 March 2021 8:30 AM GMT

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महाराष्ट्र:  पिछले 15 दिनों में लगभग आधी हुई प्याज की कीमतें, ओले की मार खाए किसानों की लागत तक निकालनी मुश्किलअभी खरीफ की प्याज का रेट कम मिल रहा है, लेकिन अब किसानों को डर है कि अप्रैल में जब रबी की फसल बाजार में आएगी तो रेट और कम हो जाएंगे। फोटो: Garry McGivern, Flickr/Padmakar Jadhav

प्याज उगाने वाले किसान अरुण विट्ठल गिते को उम्मीद थी कि पिछले साल सितम्बर में हुई बारिश से जो भी नुकसान हुआ था, इस फसल में उसकी भारपाई हो जाएगी। लेकिन मंडी में प्याज का जो रेट मिल रहा है अरुण के मुताबिक उसमें मुनाफा तो दूर इस बार खेती में जो लागत आई थी नहीं निकल पा रही है। ये परेशानी सिर्फ अरुण की नहीं है, महाराष्ट्र के ज्यादातर प्याज उत्पादक किसान परेशान हैं। नाशिक की मंडियों में पिछले 10 दिन में ही प्याज की कीमतें 30 से 40 फीसदी तक कम हो गई हैं।

अरुण विट्ठल गिते (30 वर्ष) महाराष्ट्र के नाशिक जिले में सिन्नर तालुका के जायगाँव के रहने वाले हैं। अरुण ने इस बार दो एकड़ में प्याज की खेती थी। जिसमें 70 कुंतल के लगभग प्याज का उत्पादन हुआ है। अरुण गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "पिछले तीन दिनों से मंडी में प्याज लेकर आ रहा हूं, दस दिन पहले तक जिस प्याज की अच्छी कीमत तीन से चार हजार रुपए क्विंटल थी, उसी प्याज को मैंने एक दिन 1680 रुपए क्विंटल और एक दिन 1685 रुपए क्विंटल बेचा। लग रहा था कि प्याज से तीन से साढ़े तीन लाख तो मिल ही जाएंगे, लेकिन अभी तो जितना खर्च किया है, वो भी निकलना मुश्किल लग रहा है।"

27 फरवरी को शरद भीमाजी दिघोळे ने 2325 रुपए प्रति कुंतल प्याज बेचा था, जबकि पांच मार्च को उसी लाल प्याज को अरुण विट्ठल गिते को 1680 रुपए प्रति कुंतल बेचना पड़ा। फोटो: भारत दिघोळे

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "एक हफ्ते तक प्याज का अच्छा रेट मिल रहा था, लेकिन इस समय प्याज का रेट बहुत कम हो गया है, जिस तरह से किसानों की लागत बढ़ रही है, आमदनी नहीं हो रही है। अगर एक अनुमान लगाएं तो इस बार प्रति क्विंटल किसानों को एक हजार का नुकसान हो रहा है।"

वो आगे कहते हैं, "पहले सितम्बर में काफी नुकसान हुआ था, इससे किसानों को दोबारा उतना ही खर्च करना पड़ा। अभी पिछले महीने 18-19 तारीख को नाशिक, धुळे और पुणे, इन तीन जिलों में काफी बारिश हुई थी, जिससे वहां पर किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। इस ओले-बारिश का असर आने वाले समय में भी पड़ेगा, क्योंकि इस समय प्याज की बीज भी तैयार होते हैं, ओला गिरने से प्याज की फसल का तो नुकसान हुआ ही, जो किसान बीज के लिए खेती करते हैं, उनकी भी पूरी फसल बर्बाद हो गई है।"

पिछले साल सितम्बर में हुई बारिश से अरुण का भी काफी नुकसान हुआ था, जब महाराष्ट्र के कई जिलों में बारिश से प्याज की नर्सरी खराब हो गई थी। अरुण बताते हैं, "बारिश की वजह से एक बार नर्सरी खराब हुई, दोबारा फिर बीज लेकर नर्सरी लगाई, इस बार दो बार नर्सरी में भी खर्च करना पड़ा था। दो एकड़ प्याज में लगभग 110000 रुपए खर्च हो गए हैं।" 27 फरवरी को जो प्याज 2345 रुपए क्विंटल बिका था, वही प्याज पांच मार्च को 1680 रुपए में बिका।

ओले और बारिश से प्याज की बीज उत्पादक किसानों का काफी नुकसान हुआ है। फोटो: भारत दिघोले

देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नाशिक की लासलगाँव में 23 फरवरी को सामान्य प्याज का अधिकतम रेट 3890 रुपए प्रति क्विंटल और न्यूनतम रेट 2100 प्रति क्विंटल और लाल प्याज का अधिकतम रेट 4361 रुपए प्रति क्विंटल और न्यूनतम रेट 2000 प्रति क्विंटल था। उसी प्याज का पांच मार्च को घटकर सामान्य प्याज का अधिकतम 2700 और न्यूनतम 1000 और लाल प्याज का दाम अधिकतम 2992 और न्यूनतम 800 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।

महाराष्ट्र में साल में चार बार (अगेती खरीफ, खरीफ, पछेती खरीफ और रबी) प्याज की खेती होती है। अगेती खरीफ में फरवरी-मार्च में बीज की बुवाई, अप्रैल-मई में प्याज की रोपाई और अगस्त-सितम्बर महीने में प्याज की हार्वेस्टिंग होती है। खरीफ में मई-जून में बीज की बुवाई, जुलाई-अगस्त में रोपाई और अक्टूबर-दिसम्बर महीने में हार्वेस्टिंग होती है। पछेती खरीफ में अगस्त-सितम्बर में बीज की बुवाई, अक्टूबर-नवंबर में रोपाई और जनवरी-मार्च में हार्वेस्टिंग होती है। जबकि रबी मौसम में अक्टूबर-नवंबर में बीज बुवाई, दिसम्बर-जनवरी में रोपाई और अप्रैल मई में प्याज की हार्वेस्टिंग होती है।

फोटो: सागर/ रोहित विलासराव महल्ले

इस समय पछेती खरीफ का प्याज बाजार में आ रहा है, किसानों की माने तो रबी के प्याज आने पर दाम और कम हो जाएंगे। सितम्बर महीने में जब महाराष्ट्र में पछेती खरीफ की नर्सरी बुवाई और अगेती खरीफ प्याज की हार्वेस्टिंग चल रही थी। जब लगातार बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है।

पुणे में स्थित प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय (ICAR - DOGR) के अनुसार देश में सबसे अधिक प्याज उत्पादन महाराष्ट्र में होता है, उसके बाद कर्नाटक, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य आते हैं। महाराष्ट्र के नाशिक, अहमदनगर, पुणे, धुले, शोलापुर जिले में किसान प्याज की खेती करते हैं।

नाशिक के सटाणा तालुका के अंतापुर किसान दिनेश उत्तम आहिरे (37 वर्ष) की प्याज की फसल का 18 फरवरी को आए ओले-बारिश से काफी नुकसान हो गया है। दिनेश गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "ओले से हमारी फसल का पूरी तरह से नुकसान हो गया है, क्योंकि ओले से जो 20-30% फसल बच भी गई है, उसमें फंगस लग गया है। हमने चार एकड़ में प्याज लगाई थी, एक एकड़ में 70-80 हजार रुपए का खर्च आता है, सब कुछ बर्बाद हो गया है।"

पिछले महीने बारिश और ओला से प्याज का काफी नुकसान हो गया। फोटो: उत्तम आहिरे

वो आगे कहते हैं, "पिछले साल जब सितम्बर में बारिश हुई थी, जब भी नुकसान हुआ था, क्योंकि हम लोग घर के बीज की ही नर्सरी लगाते हैं। लेकिन जब बारिश से नर्सरी खराब हो गई थी, तो दुकान से बीज खरीदकर नर्सरी लगानी पड़ी, उसका अलग से खर्चा लगा।

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 507.96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज की खेती और 8854.09 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है।

धुले जिले के किसान जितेंद्र जाधव ने दस एकड़ में प्याज की खेती करते हैं। दस-पंद्रह दिनों में उनकी प्याज की फसल भी तैयार हो जाएगी। जितेंद्र बताते हैं, "पिछले दो-तीन दिनों से मार्केट भाव पता करने जा रहा हूं, इस समय बहुत कम रेट मिल रहा है, लेकिन दस-पंद्रह दिनों में प्याज तैयार हो जाएगी तो बेचना ही पड़ेगा, क्योंकि ज्यादा दिनों तक प्याज रखेंगे तो और कम दाम मिलेगा।"

किसानों के अनुसार अप्रैल तक प्याज के दाम और ज्यादा कम हो जाएंगे। फोटो: राहुल गांगुर्डे

अभी खरीफ की फसल की फसल का रेट कम मिल रहा है, लेकिन अब किसानों को डर है कि अप्रैल में जब रबी की फसल बाजार में आएगी तो रेट और कम हो जाएंगे। नाशिक जिले के देवला तालुका के किसान संदीप मागर भी उन्हीं किसानों में से एक हैं। संदीप मागर बताते हैं, "इस बार सात में एकड़ में प्याज लगाया है, हमारा प्याज लगभग 20 अप्रैल तक तैयार होगा, उस समय बहुत कम रेट होगा, अब इतने सस्ते में तो प्याज बेच नहीं सकते, इसलिए हमने सोच लिया है कि प्याज को स्टोर कर देंगे, जब सही रेट मिलेगा तब बाजार में ले जाऊंगा।"

    

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