मध्य प्रदेश: कर्ज माफी, बोनस और भावांतर के भंवर में लाखों किसान
Mithilesh Dhar 2 Nov 2019 10:15 AM GMT
इंदौर/हरदा/उज्जैन (मध्य प्रदेश)। जिला इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर गांव धरमपुरी सांवेर रोड के रहने वाले 37 वर्षीय सलीम पटेल को एक साल बाद भी उम्मीद है कि सरकार उन्हें उनके भावांतर का एक लाख रुपए जरूर देगी।
वह कहते हैं, "मैंने वर्ष 2018 में 200 कुंतल सोयाबीन बेचा था। उस समय भावांतर योजना के हिसाब से 500 रुपए कम पड़ रहे थे जिसे सरकार को देना था। लेकिन तभी चुनाव हुआ और सरकार बदल गई। मेरा एक लाख रुपए फंस गया।"
"तब से अब तक हम जब भी कृषि मंडी जाते हैं तो भावांतर के पैसे के बारे में अधिकारियों से पूछते हैं। वहां से तो यही कहा जाता है कि अभी ऊपर से कोई आदेश आया नहीं है, पैसा आएगा तो मिलेगा। अब एक लाख रुपए कम तो होते नहीं, इसलिए हम उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सराकार किसानों का दर्द समझेगी।", सलीम पटेल गांव कनेक्शन से अपना दर्द साझा करते हैं।
मंडी में भावों के उतार-चढ़ाव से किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में 'मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना' की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत सरकार किसान को मंडी में उपज का दाम कम मिलने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दर से अंतर की राशि का भुगतान कर रही थी। हालांकि उस समय भी किसान समय पर भुगतान न होने की शिकायतें कर रहे थे।
अगले महीने 17 दिसंबर को मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को एक साल पूरे हो जाएंगे। प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद लौटी कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने वर्ष 2018 में 17 दिसंबर को मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने सबसे पहले किसान कर्ज माफी की फाइल पर साइन किया।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के शपथपत्र में किसानों के दो लाख रुपए तक की कर्ज माफी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। चुनाव के बाद विशेषज्ञों ने इस वादे को टर्निंग प्वाइंट बताया क्योंकि मध्य प्रदेश में किसानों की संख्या 55 लाख से ज्यादा है।
सरकार बनते ही कर्ज माफी की प्रक्रिया शुरू करके कमलनाथ सरकार ने संदेश दिया कि उनकी सरकार किसानों की सरकार है। उन्होंने अपनी इस योजना का नाम 'जय किसान ऋण मुक्ति योजना' दिया, जिसका बजट 50 हजार करोड़ रुपये था। कुछ महीने बाद सरकार ने गेहूं पर 160 रुपए बोनस देने का वादा भी किया।
लेकिन क्या प्रदेश के किसान कमलनाथ सरकार से खुश हैं? इसकी जमीनी हकीकत क्या है इसके लिए हमने मध्य प्रदेश के कई जिलों के किसानों से बातचीत की और जानने का प्रयास किया कि नई सरकार अपनी वादों पर कितना खरी उतरी ?
किसान कर्ज माफी योजना का क्या हुआ?
हरदा के आलनपुर गांव में रहने वाले किसान नारायण खेरवा (65) इस बात को लेकर परेशान हैं कि उन्हें कर्जमाफी का प्रमाणपत्र तो मिल गया बावजूद इसके उनका कर्जमाफ नहीं हुआ। वे बताते हैं, "मेरे बेटे ने वर्ष 2018 में 1 लाख 12 हजार 540 रुपए का कर्ज सहकारी बैंक से लिया था। 52380 रुपए का मुझे और चुकाना था। इसी 25 फरवरी को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र दिया गया और कहा गया कि आपका कर्ज माफ हो जायेगा जिसकी सूचना आपको बैंक से दी जायेगी।"
"मुझे लगा कि मेरा कर्ज माफ हो गया है। लेकिन जब एक दिन में सहकारी समिति गया खाद लेने के लिए तब मुझे बताया गया कि आप तो डिफाल्टर हैं। पहले कर्ज चुकाइये। इसके बाद मैं बैंक गया जहां के नोडल अधिकारी ने कहा कि अभी आपका कर्ज माफ नहीं हुआ है। जैसे ही होगा आपको बता दिया जायेगा।" नारायण आगे बताते हैं।
मध्य प्रदेश में किसान कर्ज माफी के मुद्दे को लेकर कांग्रेसी नेताओं में ही टकराव की स्थिति देखी जा रही है। कुछ दिनों पहले 11 अक्टूबर को भिंड में एक रैली को संबोधित करते हुए दिग्गज कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "अभी सभी किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई है। सिर्फ 50 हजार रुपए तक का ही कर्ज माफ किया गया जबकि हमने 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था।"
Jyotiraditya Scindia, Congress, in Bhind, MP: The farm loan waiver of farmers has not been done in totality. Loan of only Rs 50,000 has been waived off even when we had said that loan upto Rs 2 Lakh will be waived off. Farm loan upto Rs 2 Lakh should be waived off. (10.10.2019) pic.twitter.com/6zMW5AyDBu
— ANI (@ANI) October 11, 2019
इसके बाद प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया। लेकिन पीडब्लयूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सरकार के समर्थन में ज्योतिरादित्य सिंधिया को जवाब दिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "सिंधिया को अपने क्षेत्र के किसानों की ज्यादा चिंता है, तभी वो इस तरह की बात कर रहे हैं। अभी विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है तो महाराज उन्हें मुद्दा दे रहे हैं। कमलनाथ मां के पेट से सीख कर आए हैं कि चक्रव्यूह कैसे भेदना है। कमलनाथ आधुनिक युग के अभिमन्यु हैं, उन्हें हर चक्रव्यूह से निकलना आता है।"
यह भी पढ़ें- भावांतर को पूरे देश में लागू करने की सुगबुगाहट लेकिन, एमपी के किसान ही खुश नहीं...
इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुद किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर अपनी बात रखी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "सिंधिया सच बोल रहे हैं। हमने कहा था कि पहली किश्त में केवल 50 हजार रुपए तक का ही किसानों का कर्ज माफ हुआ है। हमने पहले चरण में 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया है। इसके बाद अगले चरण में हम दो लाख तक का कर्ज माफ करेंगे। मेरा मानना है कि जनता अपने नेता पर भरोसा करती है।"
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अपने वचनपत्र में किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था। इस योजना की प्रक्रिया शुरू हुई और किसानों से तीन रंग के अलग-अलग फॉर्म भरवाए गए। तब सरकार ने 55 लाख किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। यह भी कहा गया था कि जिन किसानों का कर्ज 2 लाख रुपए से ज्यादा है उनका 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ होगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की मानें तो पहले चरण में किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया जा चुका है। लेकिन हमें कई ऐसे किसान मिले जिनका कर्ज 50 हजार रुपए से कम का है फिर भी उन्हें कर्जामाफी योजना का लाभ नहीं मिला।
इस बारे में हरदा के किसान नेता राम इनानिया कहते हैं, "मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई ही इसलिए क्योंकि उन्होंने किसान कर्ज माफी का वादा किया। सरकार बनते ही उन्होंने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी, ये अच्छी बात रही। लेकिन इन्होंने यह तो कहा था कि हम कर्ज माफी किश्तों में करेंगे। पहले तो सरकार प्राइवेट बैंकों को इसके दायरे से बाहर कर दिया। फिर बोले की सहकारी बैंकों से लिया गया कर्ज माफ होगा लेकिन 50 हजार रुपए तक ही। इसके बाद फिर इन्होंने कहा कि अब 1 लाख रुपए तक का कर्ज माफ होगा।"
"लेकिन सच तो यह है कि मेरे गांव के आसपास ऐसे सैंकड़ों किसान हैं जिनका कर्ज 50 हजार और एक लाख रुपए से कम है लेकिन उनका भी माफ नहीं किया गया।", राम इनानिया आगे बताते हैं।
यह भी पढ़ें- Ground Report: एमपी के किसान ने कहा- फांसी लगाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं
इस कड़ी में हम कुछ ऐसे किसानों से भी मिले जिन्होंने 50 हजार रुपए तक का कर्ज ले रखा है। उनको भी प्रमाण पत्र दे दिया गया लेकिन बैंक ने कर्ज माफ नहीं किया।
हरदा के बडगांव के रहने वाले किसान राजेश सारन कहते हैं, "मैंने पिछले साल नवंबर में खाद के लिए सोसायटी से 14 हजार रुपए का कर्ज लिया था। मुझे तो लगा कि ये तो 50 हजार रुपए से भी कम है, माफ हो जायेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।"
जिला मंदसौर के गरोठ रहने वाले मोहन लाल के पास लगभग 10 एकड़ की जमीन है। जिसमें उन्होंने इस साल सोयाबीन लगाया था जो कि भारी बारिश से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने 97 हजार रुपए का कर्ज लिया था। वे बताते हैं, " मैंने 97 हजार का कर्ज लिया था जिसमें से 50 हजार रुपए डिफाल्टर घोषित हो गया था। मई में ही मुझे कर्ज माफी का प्रमाण पत्र दे मिला। लेकिन मेरा कर्ज माफ नहीं हुआ। बैंक वालों ने मेरे फसल बीमा का इस साल का प्रीमियम नहीं काटा।"
"इस साल मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई। ऐसे में फसल बीमा से मेरा नुकसान थोड़ा कम हो सकता था लेकिन मेरी फसल का बीमा हुआ ही नहीं क्योंकि मैं डिफाल्टर हूं। न तो कर्ज ही माफ हो पाया और न ही बीमा हुआ।", मोहन लाल आगे बताते हैं।
किसान कांग्रेस के मध्य प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष केदार सिरोही ने इस मसले पर सरकार का पक्ष रखा। वे कहते हैं, "जिन किसानों का कर्ज नेशनल बैंकों में था उन सभी का कर्ज माफ हो चुका है। कुछ लोगों को दिक्कतें आईं जिनका पैसा कॉपरेटिव बैंकों में था या जिन किसानों ने कई मदों में पैसा लिया उनका कर्ज माफ नहीं हो पाया।"
केदार सिरोही उदाहरण देकर भी देते हैं कि किसानों को परेशानी क्यों हो रही। वे बताते हैं, "मान लीजिए मैंने 50 हजार रुपए का कर्ज लिया है दो अलग-अलग खातों से, इसमें से 30 हजार रेगुलर है 20 हजार डिफाल्टर है। हमने तो 50 हजार रुपए का प्रमाण पत्र दे दिया लेकिन बैंक ने तो डिफाल्टर खाते का 20 हजार रुपए माफ कर दिया। किसानों को यही समझना होगा।"
यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में कर्जमाफी का सच: 10 दिन का वादा तीन महीने में भी पूरा नहीं हुआ
केदार सिरोही आगे बताते हैं, "किसान जागरूक नहीं हैं इसलिए उन्हें लगता है कि सरकार उनका कर्ज माफ नहीं कर रही है। जबकि ऐसा नहीं है। हम अगले साल तक सभी किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ कर देंगे।"
"मध्य प्रदेश में वर्ष 2016-18 के बीच में सूखा पड़ा था। उसके बाद किसानों के शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म लोन में बदल दिया गया। ऐसे में मिड टर्म वाला कर्ज माफ हुआ क्योंकि वो डिफाल्टर की श्रेणी में आ गया। शार्ट टर्म वाला कर्ज माफ नहीं हुआ क्योंकि उसे रेगुलर की श्रेणी में रख दिया गया। 22 लाख किसानों का कर्ज माफ हो चुका है जबकि 12 लाख किसानों का होना बाकी है।", केदार सिरोही कहते हैं।
शॉर्ट टर्म लोन पर्सनल लोन की तरह ही होते हैं लेकिन इन्हें चुकाने की अवधि एक सामान्य पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम होती है। जबकि मिड टर्म या मीडियम टर्म लोन में पैसे लौटाने का समय 1 साल से 3 साल या 5 साल के बीच होता है।
भावांतर के भंवर से नहीं निकल पा रहे किसान, बोनस का पैसा भी रुका
मंदसौर जिला मुख्यालय से सटे पालड़ी गांव (पोस्ट अफजलपुर ) के किसान भुवानी लाल (55) का लगभग डेढ़ लाख रुपए भावांतर योजना का रुका हुआ है।
वे कहते हैं, "मैंने वर्ष 2018 रबी सीजन में 300 कुंतल सोयाबीन बेचा था। तब हमारी मंडी में भाव का अंतर 500 रुपए था। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था वे प्रति कुंतल 500 रुपए देंगे। लेकिन चुनाव के बाद जैसे ही सरकार बदली इस पर बात ही बंद हो गई। अब पता भी नहीं कि रुका हुआ पैसा मिलेगा या डूब जायेगा।"
वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार खुद मान रही है कि प्रदेश के किसानों का भावांतर का लगभग 1000 करोड़ रुपए रुका हुआ है। मार्च में जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घोषणा की थी कि प्रदेश के किसानों को गेहूं पर 160 रुपए का बोनस मिलेगा तो उन्होंने उसी समय भावांतर के रुक हुए पैसों का भी जिक्र किया था।
अन्नदाताओं के लिये सौग़ात :
— MP Congress (@INCMP) March 6, 2019
मुख्यमंत्री मान. कमलनाथ जी ने गेहूँ पर ₹160 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि एवं मक्का पर ₹250 प्रति क्विंटल भावांतर राशि देने का निर्णय लिया है।
जो मप्र किसान आत्महत्याओं के लिये चर्चित था, वो आज किसानों की ख़ुशियों और रोज नई सौग़ातों का प्रदेश है। pic.twitter.com/erBVjH8NvF
उन्होंने कहा था, "भावांतर का करीब 1 हजार करोड़ रुपए मोदी सरकार दे। भावांतर योजना में केन्द्र और राज्य दोनों की हिस्सेदारी होती है इसलिए केंद्र सरकार सोयाबीन भावांतर की रोकी हुई लगभग 1000 करोड़ रुपए की राशि मध्य प्रदेश सरकार को दे दे, जिससे प्रदेश सरकार अपने हिस्से की राशि जोड़कर किसानों को तत्काल भुगतान कर सके।"
मार्च में प्रदेश सरकार ने घोषणा की थी कि प्रदेश के किसानों को गेहूं पर प्रोत्सहान के रूप में 160 रुपए प्रति कुंतल दिये जाएंगे। लेकिन किसानों को अभी तक बोनस का पैसा नहीं मिल पाया है।
जिला हरदा के तहसील हरदा, ग्राम आलनपुर के रहने वाले किसान अनिल कुमार का बोनस का लगभग 45000 रुपए रुका हुआ है। वे बताते हैं, "मैंने अप्रैल में लगभग 300 कुंतल गेहूं बेचा था। इसमें मेरे भाई का भी हिस्सा भी है। इसका लगभग 45000 रुपए मुझे बोनस के रूप में मिलना था। यह भी कहा गया था कि ये पैसा सीधे खाते में आएगा लेकिन अभी तक एक रुपए नहीं पहुंचा।"
इस बारे में किसान कांग्रेस के मध्य प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष केदार सिरोही बताते हैं, "प्रदेश के 9 लाख किसानों ने गेहूं बेचा है। उन्हें बोनस का पैसा देने के लिए 1500 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत है। आचार संहिता के कारण भी इसमें देरी हुई। लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं। इस सप्ताह के अंदर सभी किसानों को बोनस का पैसा भेज दिया जायेगा।"
किसान जागृति संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इरफान जाफरी प्रदेश सरकार के इस रवैये से खासे नाराज हैं। वे कहते हैं, "कांग्रेस ने चुनाव से पहले यह क्यों नहीं बताया था कि कर्ज माफी दो साल में होगी या किस्तों में होगी। सरकार बदली लेकिन किसानों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। झाबुआ में उपचुनाव था तो वहां किसानों को बोनस का पैसा दे दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि ये सरकार भी किसानों के साथ राजनीति ही करेगी, उनका भला नहीं।"
यह बात सही है कि उपचुनाव से पहले झाबुआ के 17000 किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया। इसकी पुष्टि खुद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट करके दी है और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उसे रिट्वीट भी किया।
झाबुआ विधानसभा के 17000 किसानों का क़र्ज़ा माफ़ हो चुका है, पूरी सूची इंटरनेट पर वायरल :
— MP Congress (@INCMP) October 17, 2019
—कमलनाथ सरकार ने सबका कर्जामाफ कर दिया है।
(कर्जमाफी की सूची- https://t.co/8nAStCOVPp)
शिवराज जी,
झूठे तो आप शुरू से थे, पर इतने..?
जनता से ना सही, भगवान से डरो..!https://t.co/OEG7j43PIl
More Stories