राजस्‍थान में क्यों 'जमीन समाधि सत्याग्रह' कर रहे हैं किसान?

Ranvijay SinghRanvijay Singh   4 March 2020 10:40 AM GMT

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राजस्‍थान में क्यों जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं किसान?

राजस्‍थान के जयपुर के नींदड़ गांव में किसान 'जमीन समाधि सत्‍याग्रह' कर रहे हैं। जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी (JDA) द्वारा भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों का यह आंदोलन जनवरी में शुरू हुआ था। करीब 50 दिन बीतने के बाद जब किसानों और JDA के बीच बात नहीं बनी तो अब किसान 'जमीन समाधि' करके अपना विरोध जता रहे हैं।

नींदड़ बचाव संघर्ष समिति के नेतृत्‍व में यह आंदोलन हो रहा है। इस समिति के अध्‍यक्ष नागेंद्र शेखावत बताते हैं, ''जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी आवासीय योजना के लिए नींदड़ के किसानों की जमीन ले रही है। किसानों की यह मांग है कि अथॉरिटी इनकी जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत न लेकर 2013 में लागू हुए नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत ले।''

''साथ ही किसानों की मुआवजे को लेकर भी मांग है। अथॉरिटी आवासीय योजना के लिए किसानों से जमीन लेकर 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने की बात कर रही है, लेकिन इस विकसित भूमि का पट्टा पाने के लिए किसानों को मोटी रकम देनी होगी। किसानों की मांग है कि एक रुपए टोकन मनी में उन्‍हें विकसित भूमि का पट्टा दिया जाए,'' नागेंद्र शेखावत बताते हैं।

जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी ने 2010 में जयपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्‍थ‍ित नींदड़ गांव में आवासीय योजना के लिए जमीन अधिग्रहित की थी। यह जमीन उस वक्‍त के जमीन अधिग्रहण कानून के तहत ली गई। इसके बाद 2013 में नया जमीन अधिग्रहण कानून लागू हुआ तो नींदड़ गांव के किसान आंदोलन करने लगे। इससे पहले भी नींदड़ गांव के किसान जमीन समाधि सत्‍याग्रह करते आए हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के आश्‍वासन के बाद इसे खत्‍म भी किया है।

किसानों के इस आंदोलन के बारे में जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी के डिप्‍टी कमिश्‍नर मनीष कुमार बताते हैं, ''आवासीय योजना के लिए 58 प्रतिशत जमीन किसानों ने खुद ही समर्पित कर दी है। 2010 से लेकर 2013 के बीच यह जमीन किसानों ने दी है। आंदोलन करने वाले किसान हाई कोर्ट गए थे जहां कोर्ट ने अधिग्रहण को सही माना है। इसके बाद किसान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गए। सुप्रीम कोर्ट में भी यह साबित हुआ कि अथॉरिटी द्वारा जमीन का अधिग्रहण सही है।''

जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी का आवसीय योजना के लिए 327 हेक्टेयर जमीन लेने का प्रस्‍ताव था। इसमें से करीब 204 हेक्‍टेयर जमीन किसानों द्वारा सरेंडर की जा चुकी है और बाकी 123 हेक्‍टेयर जमीन अभी जेडीए द्वारा ली जानी है। ऐसे में यह तो साफ होता है कि ज्‍यादातर किसान अपनी जमीन जेडीए को सरेंडर कर चुके हैं।


यही सवाल जब नागेंद्र शेखावत से पूछा गया तो उनका आरोप है कि जेडीए ने बहला फुसलाकर और दबाव बनाकर किसानों से जमीन सरेंडर कराई है। वो कहते हैं, ''सरेंडर करने वाले कई किसान भी हमारे साथ हैं। उन्‍हें अब महसूस हो रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है।''

वहीं, डिप्‍टी कमिश्‍नर मनीष कुमार का कहना है कि ''जिन किसानों ने जमीन हमें दे दी है वो पूछते हैं कि आवासीय योजना कब शुरू होगी क्‍योंकि आवासीय योजना से किसानों को फायदा ही है। हम जो 25 प्रतिशत विकसित भूमि (5 प्रतिशत व्यावसायिक और 20 प्रतिशत आवासीय) दे रहे हैं उसका दाम दो करोड़ से ढाई करोड़ तक है। एक बीघे जमीन के लिए यह मुआवजा अच्‍छा है।''


 

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