हर छोटी बात पर आखिर क्यों दरिंदगी पर उतर जाते हैं लोग?

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रिपोर्ट- अमल श्रीवास्‍तव

वाराणसी। ट्विंकल हत्या कांड समाज में एक ऐसी भयावह स्थिति पैदा कर चुका है कि उत्तर प्रदेश में हर मां-बाप अपने बच्चियों को घर से बाहर भेजने से भी अब घबराते हैं। हालांकि यह पहली ऐसी घटना नहीं है, बल्कि इसके पूर्व और इसके बाद भी यूपी में ऐसी घटनाएं लगातार हो रही है, लेकिन ट्विंकल हत्या कांड में एक मासूम को सिर्फ 10 हजार रुपये के लिए दर्दनाक मौत देना असामाजिक तत्वों के उस वहशीपन को दर्शाता है जहां उन्हें सिर्फ और सिर्फ सजा-ए-मौत के सिवा कानून को कुछ और दण्ड नहीं देना चाहिए।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक डॉ संजय गुप्ता बताते हैं कि समाज आज पूरी तरह से ऐसी घटनाओं से प्रभावित है। समाज में जो यह बर्बरता हो रही है इसे तीन "पी" से समझा जा सकता है। पहला पावर,दूसरा पैसा और तीसरा पनिशमेंट। ट्विंकल के केस में भी ऐसा था जहां 10 हजार रुपये आरोपी को नहीं मिल रहा था तो उसको अपनी पावर दिखानी थी।

अब यह 10 हजार रुपये के लिए क्यों ऐसा करना तो यहां दूसरा पी यानी पैसा आ जाता है, जिसे आज के समय में इतना तवज्जों दिया जा रहा है कि इसके लिए व्यक्ति कुछ भी कर रहा है। जब आरोपी अपना पैसा मांगा तो उसे नहीं मिला, ऐसे में उसने दिमाग में पावर दिखाने की बात आई और उसने थर्ड पी यानी पनिशमेंट खुद से देने की बात सोचते हुए इस बर्बरतापूर्ण घटना को अंजाम दे दिया।

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डॉ संजय गुप्ता बताते है कि पनिशमेंट तय करना आम लोगों का काम नहीं है, यह पुलिस का काम है। हालांकि ऐसी घटनाओ ने यह साबित कर दिया कि कहीं न कहीं पुलिस फेलियर है। क्योंकि आज आप देखते हैं कि लोग पुलिस के यहां जाने से पहले खुद कहते हैं कि पुलिस को बुलाने का कोई फायदा नहीं है। हम खुद हैंडल कर लेंगे। यह सोच ही साबित करता है कि पुलिस की कार्य प्रणाली से लोग कितने संतुष्ट हैं। इसके लिए पुलिस को भी अपनी कार्यशैली बदलनी पड़ेगी और लोगों का विश्वास जितना होगा। इसी प्रकार जस्टिस के लिए ऐसे मामले में त्वरित न्याय होना चाहिए और कोर्ट को भी सजा जल्द से जल्द मुकर्रर करना होगा।

डॉ संजय बताते हैं कि इस तरह की घटनाएं हालांकि किसी मानसिक रोग की श्रेणी में नहीं आता अगर कुछ एक केस को छोड़ दिया जाए। यह घटना तो दर्शा रहा हैं कि समाज किस ओर जा रहा है। हालांकि ट्विंकल केस की बात करें तो यह निश्चित तौर पर बीमार मानसिकता का रिजल्ट है, लेकिन समाज मे ये जो बहुत बड़ा संकट आ रहा है कि आदमी अपने इगो के कारण अपना पावर दिखाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है कि वे ना नहीं सुन सकता। समाज को यह समझने की जरूरत है कि कोर्ट और कानून है आप पनिशमेंट देने वाले नहीं है।

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उन्होंने बताया कि ऐसी घटना सिर्फ और सिर्फ पावर दिखाने के लिए होती है क्योंकि अगर रेप ही करना है तो ऐसे कई केस हैं, जिनमे रेप के बाद आरोपी पीड़ित को छोड़ देते हैं, लेकिन यहां तो उसे बर्बरतापूर्व मारते है जो यह दर्शाता है कि वह अपनी पावर को दिखाने के लिए ही ऐसा कर रहे हैं। कुछ लोगों को इस तरह की मनोदशा को बदलने की जरूरत है।ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डॉ संजय गुप्ता कहते हैं कि समाज में इस प्रकार की घटना को रोकने के लिए परस्पर संवाद की जरूरत है। मेडिटेशन और योग जैसी चीजें इसमे मदद कर सकती हैं। एकदूसरे को सम्मान दें जिससे यह अहंकार की भावना खत्म हो और समाज सही दिशा में आगे बढ़े।

   

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