हाथरस कांड: सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक के निशाने पर यूपी सरकार, क्या चुनावी मुद्दा भी बनेगा?

हाथरस के जघन्य और दरिंदगी भरे अपराध को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है। लोग सीएम से लेकर पीएम तक से सवाल पूछ रहे हैं। दलित परिवार की बेटी को इंसाफ दिलाने के बहाने विपक्ष भी हमलावर है। पढ़िए इसका आने वाले दिनों में सियासत पर असर पड़ सकता है...

Arvind ShuklaArvind Shukla   30 Sep 2020 12:31 PM GMT

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हाथरस कांड: सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक के निशाने पर यूपी सरकार,  क्या चुनावी मुद्दा भी बनेगा?

"क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश की मां-बेटी सलामत नहीं हैं? शाम को अकेली घर के बाहर निकल नहीं पातीं? क्या कारण है आठवीं-नौवीं की बच्चियां इस बात के लिए परेशान हैं कि स्कूल जाते वक्त सिरफिरे लड़के भद्दी टोकाटाकी करते हैं, बच्चियां स्कूल जाने से डरती हैं, ये हालत आपने सामान्य जीवन मे यूपी में पैदा किए हैं।"

इन शब्दों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2017 के इलेक्शन में मंच से विपक्षियों पर निशाना साधते हैं तो सामने का मैदान तालियों से गूंज उठता है। दो मिनट 12 सेकेंड का ये वीडियो तीन साल बाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध को लेकर उनसे यूपी की वर्तमान कानून व्यवस्था और बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछ रहे हैं।

दिल्ली से करीब सवा 200 किलोमीटर दूर हाथरस में गैंगरेप और दरिंदगी का शिकार हुई युवती ने 29 तारीख को दिल्ली के अस्पताल में दम तोड़ दिया। समाज को शर्मसार करने वाली घटना 14 सितंबर की है। परिजनों का आरोप है कि पहले न सिर्फ उनकी रिपोर्ट लिखने में हीलाहवाली की गई बल्कि जब पीड़िता की मौत हुई तो जबरन रात में ढाई बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जिसकी सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है।

30 सितंबर को वीडियो कॉलिंग के माध्यम से पीड़िता के परिजनों से बात करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार (30 सितंबर 2020) को ट्वीटर पर लिखा, "जब वह जीवित थी तब सरकार ने उसे सुरक्षा नहीं दी। जब उस पर हमला हुआ तो सरकार ने समय पर इलाज नहीं दिया। पीड़िता की मौत के बाद सरकार ने परिजनों से बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार छीना और मृतका को सम्मान तक नहीं दिया। घोर अमानवीयता है। योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दो।" कांग्रेस महासचिव ने पीड़िता के पिता से बात की।

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट किया, "दलित पीड़िता के शव को उसके परिवार को न सौंपकर उनकी मर्जी के बिना व उनकी गैर-मौजूदगी में ही कल आधी रात को अन्तिम संस्कार कर देना लोगों में काफी संदेह व आक्रोश पैदा करता है। बीएसपी पुलिस के ऐसे गलत रवैये की कड़ी शब्दों में निन्दा करती है।"

मामले की गंभीरता को देखते यूपी सरकार ने गृह सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। आरोपियों को सजा दिलाने के लिए फास्र्टट्रैक गठन की बात कही गई है। हाथरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी योगी आदित्यनाथ से बात की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी जानकारी दी है।


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध (हर तरह के) 59,445 केस हुए थे, जबकि 2017 में 57,011 और 2016 में 49,262 केस दर्ज हुए थे। यौन हिंसा और बलात्कार की बात करें तो साल 2018 की बात करें यूपी में 3,946 केस दर्ज हुए थे, यानि 11 रेप के मामले रोज सरकारी आंकड़ों में दर्ज होते थे।

इसके अलावा तमाम ऐसे केस होंगे जो कभी सरकारी फाइलों तक पहुंच नहीं पाते। गांव कनेक्शन ने साल 2018 में ही रक्तरंजित नाम से ग्रामीण भारत में रेप के मामलों को लेकर विशेष सीरीज की थी, जिसमें कई रेप पीड़ित बेटियों, परिवारों ने माना था कि सामाजिक बदनामी, पुलिस के सहयोग न मिलने समेत कई वजहों से थाने नहीं जाते। इस सीरीज के लिए गांव कनेक्शन को 2019 में देश का प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड भी मिला था। (संबंधित पूरी खबर यहां पढ़े)

यूपी सरकार निर्भया फंड के तहत साल 2013 से 2019 में मिले बजट को भी नहीं खर्च कर पाई है। यूपी में 324.8 करोड़ रुपए आया था, जिसमें से 216.75 करोड़ रुपए खर्च हुए जो पूरे बजट का करीब 65 फीसदी ही है। उत्तर प्रदेश की तरह दूसरे राज्य भी निर्भया फंड को खर्च करने में नाकाम साबित हुए। इस फंड के तहत रेप पीड़ितों की आर्थिक मदद और पुर्नवास किया जाता है।

हाथरस कांड को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कानून व्यवस्था के मुद्दे और मोदी लहर के चलते प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई यूपी सरकार पर कांग्रेस, बहुजन समाजवादी पार्टी, समाजवादी पार्टी और यूपी में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही आम आदमी पार्टी ने भी हमला बोल रखा है। राजनैतिक दलों की सक्रियता के कई कारण हैं। यूपी की सियासत समझने वाले जानकार प्रदेश में कानून व्यवस्था के अलावा इसे दलित वोट बैंक से भी जोड़कर देख रहे हैं।

यूपी के वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री कहते हैं, "ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। युवती दलित थी और पीएम मोदी लगातार दलितों को अपनी ओर करने के प्रयास में रहे हैं। करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे, एक बड़ा वोट बैंक जो उन्होंने संभालकर रखा है। वो निकल न जाए। विपक्ष भी राजनैतिक दृष्टि लाभ उठाना भी चाहता है काफी दिनों बाद एक मुद्दा हाथ आया है।"

बड़े मुद्दे का संदर्भ भी वो समझते हैं, "सवर्ण बीजेपी और कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है तो उसकी चिंता नहीं है, लेकिन दलित वोट कई वर्षों बाद मायावती से छीनकर बीजेपी के पास आया है। इसलिए पीएम मोदी ने इतनी तत्परता दिखाई। सपा का वोट बैंक पिछड़ा, इसीलिए वो इस मुद्दे पर ज्याद मुखर नहीं है। 30 सालों से मुर्छित पड़ी कांग्रेस जरूर एक्टिव हो गई है। इसका शोर आने वाले उप चुनाव से लेकर विधानसभा चुनावों तक सुनाई दे सकता है।"

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर 3 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। 29 सितंबर को ही भारत निर्वाचन आयोग ने इसकी घोषणा की है। सिर्फ यूपी ही नहीं यूपी से जुड़े दो अन्य राज्यों में भी चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। मध्य प्रदेश की 27 सीटों पर इन्हीं तारीखों में उपचुनाव हैं तो आने वाले दिनों में बिहार की 243 सीटों के लिए अक्टूबर से लेकर नवंबर तक चुनाव हैं। ऐसे में ये राष्ट्रीय मुद्दा भी बन सकता है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी बृहस्पतिवार को हाथरस में पीड़ित के घर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें ग्रेटर नोएडा में ही रोक लिया। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गाँधी को हिरासत में भी लिया गया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल गाँधी से धक्का मुक्का का आरोप लगाया और नाराजगी भी जाहिर की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों की आवाज को दबाना चाहती है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गांव कनेक्शन से कहा, "मृतका के परिजनों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता है। यूपी में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। हैवानियत दरिंदगी की सारी सीमाएं पार हो चुकी हैं। प्रत्येक दिन 11 रेप की घटनाएं यूपी में दर्ज होती हैं। इस (हाथरस) घटना के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार सरकार है। समय बद्ध तरीके से अगर उसे इलाज मिलता है, मुकदमा दर्ज होता, आरोपियों को जेल भेजा जाता तो उस पीड़िता को न्याय मिलना संभव था लेकिन सरकारी मशीनरी सबूत मिटाने में जुटी रही।"

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक अगर वो कांग्रेस के कार्यकर्ता डेलिगेशन लेकर न जाते, एसपी से गुहार, प्रदर्शन न करते तो शायद ये गैंगरेप का मुकदमा ही दर्ज न होता। मुख्यमंत्री को अब पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।

हाथरस जाने की कोशिश कर रहे राहुल गाँधी को गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने हिरासत में लिया। राहुल गांधी गाड़ियां रोके जाने पर पैदल ही हाथरस जाने पर अड़े रहे। बाद में उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया गया।


एसआईटी सरकार का ठंडा बस्ता है। सीएम रोज बोलते हैं। इस पर एनएनएस लगाया, उसका घर गिराएंगे, एनकाउंटर करेंगे, लेकिन इतना बड़ा कांड हो जाता है और कोई एक्शन नहीं लिया जाता।- उदयवीर सिंह, एमएलसी, समाजवादी पार्टी

कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी भी सरकार पर हमलावर है। सपा के एमएसली उदयवीर सिंह गांव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए कहते हैं, "इस पर राजनीति का मतलब नहीं है। अगर सरकार जिम्मेदार लोगों पर समय रहते कार्रवाई कर देती तो कुछ नहीं होता, लेकिन सीएम (योगी आदित्यनाथ) रोज बोलते हैं। इस पर एनएनएस (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाया, उसका घर गिराएंगे, एनकाउंटर करेंगे, लेकिन इतना बड़ा कांड हो जाता है और कोई एक्शन नहीं लिया जाता। सरकार के अधिकारी इसे फेक न्यूज तक बताते रहे।"

हाथरस पुलिस से लेकर वो लखनऊ तक तक हुई कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं, "एसआईटी सरकार का ठंडा बस्ता है। निर्भया केस कानून है कि अगर पुलिसकर्मी मौके का मुआयना ठीक से नहीं करेंगे, सही धाराओं में केस दर्ज नहीं करेंगे तो उन पर कार्रवाई होगी। 10 दिन बाद रेप का चार्ज बढ़ाया गया, पुलिसवालों पर क्या कार्रवाई हुई। सबूत मिटाए गए हैं। उसकी मौत हुई तब भी किसी का बयान नहीं आया, न सीएम का न मंत्रियों का।"

ये अपराध जघन्य, दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है। ये हम सबके लिए कष्टकारी है। मुख्यमंत्री जी ने एसआईटी का गठन किया है। पीएम साहब ने बात की है फास्टट्रैक कोर्ट के जरिए दोषियों को जल्द और कड़ी सजा दिलाई जाएगी। हरीश चंद्र श्रीवास्तव, प्रवक्ता, बीजेपी, यूपी

विपक्ष के इन आरोपों और तेवरों को सत्ताधारी बीजेपी पीड़ादायक राजनीति बताती है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव गांव कनेक्शन से कहते हैं, "ये अपराध जघन्य, दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है। ये हम सबके लिए कष्टकारी है। मुख्यमंत्री जी ने एसआईटी का गठन किया है। पीएम साहब ने बात की है फास्टट्रैक कोर्ट के जरिए दोषियों को जल्द और कड़ी सजा दिलाई जाएगी।"

विपक्ष के दलित विरोधी आरोपों को निराधार बताते हुए हरीश चंद्र श्रीवास्तव आगे कहते हैं, "बेटी-बेटी होती है, वो किसी जाति- समुदाय की ही नहीं नहीं होती। इसी तरह अपराधी अपराधी होते हैं, ये समाज का कलंक है। इनका प्रतिकार करने के लिए योगी सरकार बचनबद्ध है। जो लो इस पर राजनीति कर रहे हैं, राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है।"

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए की आर्थिक मदद, परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी और हाथरस में एक मकान देने का वादा किया है।

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कांत तिवारी कहते हैं, "लड़की दलित थी, इससे सेंटीमेंट तो प्रभावित होंगे। आरोपी पहले से गिरफ्तार हैं। लापरवाह अधिकारी-पुलिसकर्मियों पर अगर एक्शन लिया जाएगा तो डैमेज कंट्रोल होगा। रही बात सियासी समीकरणों की तो भीम आर्मी के चंद्रशेखर बहुत सक्रिय हैं। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी को कोई फायदा मिलेगा इसकी उम्मीद कम है। मुझे लगता है कि उप चुनाव तक सरकार कोशिश करेगी कि दलितों को आश्वस्त करने में सफल हो जाए कि उन्होंने समय रहते कार्य किया। क्योंकि बीजेपी के पास एक तंत्र है। वो अपने दलित नेताओं को आगे करेंगे और समाज दलितों के उद्धार वाली योजनाओं को आगे लाएंगे।"

हाथरस मामले को लेकर बीएसपी ने सुप्रीम कोर्ट स्वत संज्ञान लेने की अपील की है। बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण द्विवेदी कहते हैं, ये दुखद है कि परिवार की सहमति के बिना अंतिम संस्कार किया गया। जबकि हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। बहुत से प्रश्न पुलिसिया कार्यवाही और सरकार के सामने हैं। जनता जवाब मांग रही है।"

हालांकि हाथरस पुलिस जबरन अंतिम संस्कार को निराधार बता रही है लेकिन सोशल मीडिया में मां-पिता और दूसरे वीडियो ही सवाल खड़े कर रहे हैं।


हाथरस में बाल्मिकी समाज और सफाई कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। जिसमें पुलिस पर पत्थर हुआ तो पुलिस ने भी आंसूगैस के गोले और लाठीचार्ज किया तो वहीं लखनऊ में आम आदमी पार्टी की महिला विंग ने प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया। आप की महिला बिंग की प्रदेश अध्यक्ष नीलम यादव कहा, "भाजपा सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया था,लेकिन यह भाजपा की सरकार बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ में लगी है।"


   

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