इन सात सूत्रीय रणनीतियों के सहारे 2022 तक किसानों की आय दो गुना करेगी सरकार
गाँव कनेक्शन 19 Feb 2018 6:20 PM GMT
नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (पूसा) में आयोजित “कृषि 2022- डबलिंग फार्मर्स इनकम” के दो दिवसीय कार्यशाला को पहले दिन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने संबोधित किया। पहले दिन कृषि मंत्री ने आय अाधारित कृषि पर जोर दिया।
2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री मंत्री ने सात सूत्रीय महत्वाकांक्षी रणनीति को अपानाने पर जोर दिया है। इस रणनीति के बारे में कृषि मंत्री ने कहा है कि कृषि को आय केंद्रित बनाने के लिए इस रणनीति को अपनाना होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में आयोजित “कृषि 2022- डबलिंग फार्मर्स इनकम” पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में अपनी बात रखी।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कार्यशाला में कहा कि सरकार अन्न एवं कृषि उत्पादों के भण्डारों के साथ किसान की जेब को भरा व उनकी आय को बढ़ा देखना चाहती है। सरकार इस दिशा में तेजी से कदम उठा रही है। ‘कृषि 2022 - डबलिंग फार्मर्स इनकम’ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, कृषि राज्य मंत्री परषोतम रुपाला, गजेन्द्र सिंह शेखावत, कृष्णा राज, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव एस के पटनायक उपस्थित थे। इनके अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारीगण, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, व्यापार उद्योग के प्रतिनिधि, पेशवरों के संगठन, कॉर्पोरेट एवं निजी क्षेत्र कम्पनियों के प्रतिनिधि, किसान और किसान समितियों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और बैंकर्स ने भी इस कार्यशाला में हिस्सा लिया।
हाल में बजट में सरकार ने कृषि ऋण को 2018-19 में 11 लाख करने की पहल के साथ वाजिब दाम के मसले पर काफी बड़ा दावा किया। ग्रामीण इलाकों के कायाकल्प को बुनियादी ढांचे और आजीविका कार्यक्रमों लिए 14.34 लाख करोड़ का व्यय का ऐलान किया गया। चौधरी देवीलाल के कृषि मंत्री और उप प्रधानमंत्री रहने के दौरान 1990-91 के आम बजट में खेती को खासा तवज्जो मिली थी। बाद में यूपीए सरकार की ओर से की गयी कर्ज माफी और मनरेगा ने कुछ खास असर डाला। लेकिन इधर खेती भारी उपेक्षा की शिकार थी।
किसानों की आय दोगुनी करने पर कृषि मंत्री ने कहा "सरकार किसानों की आय बढ़ाने के हर संभव प्रयास कर रही है। यही वजह है कि वर्ष 2018-19 के लिए कृषि एवं किसान कल्याण के बजटीय आवंटन को पिछले वर्ष यानि 2017-18 के 51,576 करोड़ रुपए से बढा कर 2018-19 में 58,080 करोड़ रुपए करते हुए, सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने के लिए निर्धारित ‘सात सूत्रीय’ रणनीति के प्रत्येक सूत्र के लिए प्रचुर धन राशि की उपलब्धता सुनिश्चित की है। यह बजट किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलवाने के उद्देश्यत से कृषि मंडियों के लिए नए सुधारों की शुरुआत करता है। इस बजट में 2000 करोड़ रुपए के एग्री मार्केट डेवलपमेंट फंड (Agri-Market Development Fund) की घोषणा की गई है जो कि कृषि विपणन में खुदरा बाजार (Retail Market) के महत्व को दर्शाता है। इन बाजारों को ग्राम (Gramin Retail Agriculture Market) का नाम दिया गया है। इसके माध्यम से 22,000 ग्रामीण हाट एवं 585 एपीएमसी (APMC) मण्डियों की आधारभूत संरचना का विकास हो सकेगा।
उन्होंने आगे कहा "प्रधानमत्री के वादे के मुताबिक 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की वृहद योजना को अमली जामा पहनाने का काम सरकार ने अप्रैल 2016 से ही एक समिति के गठन से शुरू कर दिया था, जिसमे वरिष्ठ अर्थशास्त्री, भारत सरकार के खाद्य प्रसंकरण, फसल, पशु पालन एवं डेरी तथा नीति प्रभागों के संयुक्त सचिव; नीति आयोग के कृषि सलाहकार एवं कई अन्य गैर सरकारी सदस्य को शामिल किया गया। सरकार चाहती है कि कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्पादन केंद्रित’ के बजाय ‘आय केंद्रित’ बनाया जाए। इस महत्वाकांक्षी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बहु-आयामी सात सूत्रीय’ रणनीति को अपनाने पर बल दिया गया। नजर डालते हैं इन रणनीतियों पर....
- ‘’प्रति बूंद अधिक फसल’’ के सिद्धांत पर पर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल।
- ‘प्रत्येक खेत की मिटटी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान।
- कटाई के बाद फसल नुक्सान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्डचेन में बड़ा निवेश।
- खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन ।
- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार का क्रियान्वन एवं सभी 585 केन्द्रों पर कमियों को दूर करते हुए ई – प्लेटफार्म की शुरुआत।
- जोखिम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत।
- डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्खी –पालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना।
कृषि मंत्री ने बताया कि भारत जैसे विशाल और आर्थिक विषमताओं वाले देश में दूर-दराज के दुर्गम इलाकों तक और समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक अनाज की भौतिक और आर्थिक पहुँच सुनिश्चित करना एक कठिन चुनौती साबित हो रही थी। लेकिन 2014-15 के दौरान सरकार की अनुकूल नीतियों, कारगर योजनाओं और प्रभावी क्रियान्वयन ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में ‘क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर’ विकसित करने की ठोस पहल की गई है। इसके लिए राष्ट्रीय-स्तर की परियोजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकें अपनाने के लिये जागरूक एवं सक्षम बनाया जा रहा है।
More Stories