सुप्रीम कोर्ट का फैसला : सबरीमाला मंदिर में अब हर उम्र वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकेंगी
सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
गाँव कनेक्शन 28 Sep 2018 7:04 AM GMT
नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
अदालत ने अपने फैसले में 10 से 50 वर्ष के हर आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश को लेकर हरी झंडी दिखा दी है। पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ में एकमात्र महिला न्यायाधीश ने इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया। मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एमएम खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, "शारीरिक संरचना के आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।" मिश्रा ने कहा, "सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता।"
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, शादी से बाहर संबंध अपराध नहीं, लेकिन नैतिक रूप से गलत
उच्चतम न्यायालय का फैसला निराशाजनक
सबरीमाला के प्रमुख पुजारी कंडारारू राजीवारू ने कहा, सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाला उच्चतम न्यायालय का फैसला निराशा जनक है, लेकिन मंदिर बोर्ड इसे स्वीकार करेगा। त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का वस्तिृत अध्ययन किया जाएगा और उसके बाद आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
पद्मकुमार ने कहा कि बोर्ड ने न्यायालय को सूचित किया था कि वे मौजूदा नियम को जारी रखना चाहते हैं लेकिन अब इस फैसले को लागू करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट ने 'मस्जिद में नमाज' मामले को बड़ी बेंच को भेजने से किया इनकार
Right to worship is given to all devotees and there can be no discrimination on the basis of gender: Chief Justice of India Dipak Misra. SC has allowed entry of all women in Kerala's #Sabarimala temple pic.twitter.com/jGdRMlH1l6
— ANI (@ANI) September 28, 2018
अय्यप्पा स्वामी को माना जाता है ब्रह्मचारी
केरल में शैव और वैष्णवों में बढ़ते वैमनस्य के कारण एक मध्य मार्ग की स्थापना की गई थी। जिसमें अय्यप्पा स्वामी का सबरीमाला मंदिर बनाया गया था। इसमें सभी पंथ के लोग आ सकते थे। ये मंदिर 700 से 800 साल पुराना माना जाता है। अयप्पा स्वामी को ब्रह्मचारी माना गया है, इसी वजह से मंदिर में उन महिलाओं का प्रवेश वर्जित था जो रजस्वला हो सकती थीं।
साभार: एजेंसी
प्रमोशन में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, राज्यों को दिया अधिकार
More Stories