क्या आप जीव-जंतु के इन पांच अधिकारों के बारे में जानते हैं? देखें वीडियो

Diti BajpaiDiti Bajpai   7 Sep 2019 2:03 PM GMT

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जिस तरह इंसानों के लिए कानूनी अधिकार बने हुए है वैसे ही जानवरों के लिए भी कानूनी अधिकार है। अगर आपके आस-पास कोई जानवरों के साथ गलत व्यवहार करता है या उससे मारता, पीटता तो आप उस जानवर की मदद कर सकते है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास जानवरों पर अनावश्यक दर्द या पीड़ा रोकने के लिए और पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम के लिए पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 लागू करने का अधिकार है। हाल ही में जुलाई वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अनोखा फैसला था। कोर्ट ने कहा था कि जानवरों को इंसानों की तरह कानूनी अधिकार मिले। यह आदेश पक्षियों और जलीय जीवों के लिए भी लागू हुआ था।

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जानें क्या है अधिकार-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी जानवर को पीटेगा,ठोकर मारेगा,उस पर अत्यधिक सवारी और बोझ लादेगा,उसे यातना देगा कोई ऐसा काम करेगा जिससे उसे अनावश्यक दर्द हो दंडनीय अपराध है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में इस बात का उल्लेख है कि कोई भी पशु (मुर्गी समेत) सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जाएगा। बीमार और गर्भधारण कर चुके पशु को मारा नहीं जाएगा।

अगर कोई व्यक्ति किसी पशु को आवारा छोड़ कर जाता है तो उसको तीन महीने की सजा हो सकती है।

बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है। वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है।

अगर किसी क्षेत्र में कुत्तों की संख्या ज्यादा है तो कोई भी व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन कर सकती है, लेकिन मार नहीं सकती क्योंकि उन्हें मारना गैरकानूनी है।


पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना संज्ञेय अपराध है।

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के मुताबिक जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का परीक्षण करना और जानवरों पर टेस्ट किये जा चुके कॉस्मेटिक्स का आयात करना प्रतिबंधित है।

चिड़ियाघर और उसके परिसर में जानवरों को चिढ़ाना, खाना देना या तंग करना दंडनीय अपराध है। पीसीए के तहत ऐसा करने वाले को तीन साल की सजा, 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

पशुओं को असुविधा में रखकर, दर्द पहुंचाकर या परेशान करते हुए किसी भी गाड़ी में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मोटर व्हीकल एक्ट और पीसीए एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है।

पीसीए एक्ट के सेक्शन 22(2) के मुताबिक भालू, बंदर, बाघ, तेंदुए, शेर और बैल को मनोरंजन के लिए ट्रेन करना और इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।

पक्षी या सरीसृप के अंडों को नष्ट करना या उनसे छेड़छाड़ करना या फिर उनके घोंसले वाले पेड़ को काटना या काटने की कोशिश करना शिकार कहलाएगा। इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

किसी भी जंगली जानवर को पकड़ना, मारना दंडनीय अपराध है। इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

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