विश्व गौरैया दिवस: गौरैया ही नहीं ये पक्षी भी हैं किसानों के सच्चे मित्र 

Divendra SinghDivendra Singh   20 March 2018 4:26 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
विश्व गौरैया दिवस: गौरैया ही नहीं ये पक्षी भी हैं किसानों के सच्चे मित्र किसानों को बताते डॉ. आनंद सिंह

एक समय था जब हर घर में गौरैया दिखती थीं, गौरैया ही नहीं समय के साथ गाँवों में उल्लू, चमगादड़, मोर जैसे पक्षी कम हो गए जो किसानों के मित्र होते हैं, किसानों को ऐसे पक्षियों के संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया, सीतापुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

किसानों को समझाते डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव

ये भी पढ़ें- गौरैया के संरक्षण के लिए शुरू हुआ ‘दाना-पानी’ 

दुनिया भर में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। विश्व गौरैया दिवस पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया, सीतापुर में विश्व गौरैया दिवस के मौके आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में सकरन, रेउसा व बिसवां ब्लॉक के किसानों ने भाग लिया। केवीके के प्रभारी प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह कार्यक्रम उद्घाटन किया।

ये भी पढ़ें- विश्व की दस गिद्ध प्रजातियों में से तीन यूपी की गिद्ध प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा

इस मौके पर किसानों पक्षियों के घर भी बांटे गए, साथ ही उन्हें कैसे बना सकते हैं के बारे में भी जानकारी दी गई। केन्द्र के फसल सुरक्षा अधिकारी डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "गौरैया, उल्लू, चमगादड़, मोर जैसे पक्षी आपदाओं के सूचक होते हैं, लेकिन अगर ये कम हो रहे हैं तो ये पर्यावरण के लिए खतरा है, यूकेलिप्टस के पेड़ भी इन पक्षियों के कम होने का एक कारण है, इसपर कोई पक्षी घोसला नहीं बनाता है।"

ये भी पढ़ें- श्रावस्ती में बढ़ रही है गिद्धों की संख्या

वो आगे कहते हैं, "ये पक्षी किसानों के मित्र होते हैं, इनके रहने से फसल में कीट-पतंगे नहीं लगते हैं, उल्लू चूहों को नियंत्रित करता है। हमने किसानों को जागरूक किया कि सिर्फ खेती करने से ही काम नहीं चलेगा, पर्यावरण को भी बचाए, जब किसानों को बताया गया क्यों ये पक्षी गायब हो गए तो उन्हें पता ही नहीं था।"

         

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.