धान की नई सुगंधित किस्म से किसानों को होगा फायदा

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लखनऊ। सुगंधित चावल भले ही महंगा बिकता हो लेकिन किसान इसकी खेती नहीं करना चाहता है, क्योंकि लागत के हिसाब से इसमें उत्पादन नहीं हो पाता है। बीएचयू द्वारा विकसित धान की नई प्रजाति एचयूआर-917 की खेती अब आम किसान भी कर सकेंगे।

धान की नई प्रजाति एचयूआर-917 (मालवीय सुगन्धित धान-917), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में विकसित की गयी है। कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. आरपी सिंह के साथ में प्रो एचके जायसवाल और मदन कुमार के सहयोग से विकसित किया गया है।

इस प्रजाति की खासियत यह है कि यह अन्य स्थानीय सुगन्धित प्रजातियों की तुलना में अधिक उत्पादन (55-60 कुन्तल/हेक्टेयर) देने वाली छोटे दाने की चावल की सुगन्धित प्रजाति है। यह प्रजाति 140-145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। 

इसके पौधे की लम्बाई 100-110 सेमी होती है, जिससे तेज आंधी-तूफान में भी धान के पौधे गिरते नहीं है जबकि स्थानीय सुगन्धित छोटे दाने वाली प्रजातियों के पौधों की लम्बाई 160 सेमी होती है, जिससे वे अक्टूबर के महीनों में चलने वाली तेज हवाओं में गिर जाते हैं जिसकी वजह से पैदावार कम होती है। 

धान की नई किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं, “हमने ये किस्म साल 2008-09 में ही विकसित कर ली थी, 2009-12 तक इसका परीक्षण अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना और स्टेट वैरायटल ट्रायल में किया गया।”

वो आगे बताते हैं, “लगातार चार साल परीक्षण के बाद दिसंबर 2014 में इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने विमोचित किया और 12 अक्टूबर 2015 को भारत सरकार द्वारा किसानों के खेती करने के लिए इसे अधिसूचित कर दिया गया है।”

इस प्रजाति का चावल खाने में स्वादिष्ट, मीठा और सुगन्धित होता है। इसे किसी भी तरह से (सीधी बुआई/रोपाई) बोया जा सकता है। अन्य प्रजाति जहां 30-35 कुन्तल/हेक्टेयर से अधिक नहीं होती है और 160-165 दिनों में तैयार होती है वहीं यह प्रजाति 145 दिनों के अन्दर तैयार हो जाती है।

इस प्रजाति को विकसित करने में अपना योगदान देने वाले संस्थान के निदेशक प्रो आरपी सिंह बताते हैं, “इसका बीज हमारे यहां के कृषि फार्म प्रक्षेत्र से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।”

अभी मिज़ार्पुर,पर्वतपुर, चकिया, चन्दौली आदि के किसानों के यहां बड़े पैमाने पर इसके बीज तैयार किए जा रहे हैं। इस प्रजाति को लगाकर किसान सुगन्धित चावल को 40-45 रुपए प्रति किलो की दर से बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।”

 

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